बुलंदशहर : 12 साल की बच्ची के साथ हुई दरिंदगी के मामले में स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट डॉ. पल्लवी अग्रवाल ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने बालिका की अपहरण के बाद दुष्कर्म कर हत्या के मामले में अभियुक्त को फांसी और अर्थदंड की सजा सुनाई है. अभियुक्त ने घर पर पानी पीने आई बालिका का अपहरण कर दुष्कर्म किया और हत्या कर शव को घर में ही दफन कर दिया था. करीब साढ़े चार महीने के अंदर अदालत ने फैसला सुनाते हुए बच्ची के साथ इंसाफ किया है.
न्यायाधीश ने गवाहों के बयान, साक्ष्यों का अवलोकन और दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की दलीलों को सुनकर आरोपी हरेंद्र को दोषी पाया बृहस्पतिवार को न्यायाधीश ने अभियुक्त हरेंद्र को फांसी और 1.30 लाख रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है.
ये है पूरा मामला
अनूपशहर थाना क्षेत्र के एक गांव में 12 साल की किशोरी के साथ रेप के बाद हत्या करने के आरोपी हरेंद्र को पुलिस ने हिमाचल प्रदेश के शिमला से गिरफ्तार किया था. आरोपी ने रेप के बाद मासूम की गला दबाकर हत्या कर दी थी और शव को घर में गड्ढा खोदकर दबा दिया था. पुलिस ने आरोपी को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था. इसके पहले इस संबंध ने परिजनों ने 28 फरवरी को थाने में तहरीर दी थी. जिसमें बताया गया था कि 25 फरवरी को उसकी पत्नी और दो बच्चियां घर से खेत पर काम करने के लिए गई थीं. जहां शाम करीब चार बजे उन्होंने खाना खाया था. जिसके बाद उसकी 12 साल की बेटी आस-पास पानी न मिलने पर खेत से कुछ दूर पर ही स्थित हरेंद्र के घर पानी पीने के लिए गई थी. लेकिन इसके बाद वो वापस नहीं लौटी.
शाम करीब छह बजे बच्ची की मां और उसकी बहन उसके घर पहुंचे. लेकिन वो घर पर मौजूद नहीं मिला. जिसके बाद दोपहर करीब तीन बजे पुलिस की एक टीम आरोपी के घर पहुंची. लेकिन ताला लगा होने की वजह से वो दीवार कूदकर अंदर दाखिल हुए. जहां उन्होंने खोजबीन शुरू की. इस दौरान एक सिपाही का पैर घर के एक हिस्से में मामूली सा धंस गया. संदेह होने पर ग्रामीणों को बुलाकर उस जगह की खुदाई की गई. जिसमें लापता बच्ची का शव मिला. परिजनों ने रेप के बाद हत्या कर शव को मिट्टी में दबाने का आरोप लगाया. इसके बाद पुलिस आरोपी की तलाश में जुटी हुई थी.
चार महीने में मिला न्याय
एडवोकेट सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि अनूप शहर थाना क्षेत्र के हरेंद्र के खिलाफ जजमेंट सुनाया गया है. जिसमें 302 आईपीसी 376, 5/एम पॉक्सो एक्ट में माननीय न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई है. इसके साथ ही 201 में न्यायालय ने 7 साल की सजा और 30 हजार रुपये का जुर्माना और 302 में एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
इस तरह दोषी हरेंद्र पर पॉक्सो एक्ट में 1 लाख 30 हजार का जुर्माना लगा है. घटना 25 फरवरी 2021 की है. ठीक चार महीने बाद पीड़ित पक्ष को न्याय मिला है. कोरोना संक्रमण की वजह से न्याय मिलने में थोड़ी देर हुई. इसकी वजह कोर्ट का बंद रहना था.
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