चंडीगढ़ : पंजाब में त्रिशंकु विधानसभा की संभावना ने राजनीतिक दलों के साथ आम लोगों की रुचि बीजेपी के चुनाव परिणाम को लेकर बढ़ गई है. पॉलिटिकल एक्सपर्ट मान रहे हैं कि चुनाव प्रचार के शुरुआती दौर में कमजोर माने जाने वाली बीजेपी की स्थिति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के बाद से बदल गई. हालांकि, चुनाव परिणाम आने पर ही पता चलेगा कि भाजपा के प्रदर्शन कैसा रहा.
पंजाब भाजपा के नेताओं का दावा है कि प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से एनडीए उम्मीदवारों का मनोबल बढ़ा है और पार्टी पहले से काफी बेहतर करेगी. अन्य पार्टियां पंजाब में बीजेपी की ज्यादा मौजूदगी की संभावना को खारिज कर रहे हैं मगर यह माना जा रहे हैं बीजेपी को सीटें मिलने पर त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बन सकती है.
इस विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी अकाली दल के गठबंधन में जूनियर पार्टनर थी. कुल 117 विधानसभा सीटों में से बीजेपी के हिस्से में सिर्फ 23 सीटें आती थीं, इसलिए पंजाब में बीजेपी का वोट शेयर कभी भी 11 फीसदी से ऊपर नहीं गया. इस बार कम वोटिंग ने पंजाब के सभी राजनीतिक दलों को निराश किया है. इस बार पंजाब में 2017 विधानसभा चुनाव की तुलना में कम वोटिंग हुई है. जिन इलाकों में मुख्य राजनीतिक दलों ने सीनियर नेताओं ने रैलियां की, वहां भी कम मतदान हुआ.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14, 16 और 17 फरवरी को पंजाब में चुनावी रैलियों को संबोधित किया था. 14 फरवरी को जालंधर में हुई प्रधानमंत्री की चुनावी रैली में खूब भीड़ जुटी मगर जिले में भी मतदान प्रतिशत कम ही रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 फरवरी को पठानकोट में एक चुनावी रैली को संबोधित किया था, वहां की तीन सीटों पर 2017 के मुकाबले 3 फीसदी कम वोट पड़े. पिछले चुनाव की तुलना में वोटर कम क्यों निकले, इसके बारे में कोई स्थिति स्पष्ट नहीं है.
पठानकोट विधानसभा क्षेत्र में जहां 2017 में 76.49 फीसदी वोट पड़े थे, इस चुनाव में 73.82 फीसदी वोटरों ने मतदान किया. सुजानपुर में 2017 के चुनाव में 79.85 फीसदी वोट पड़े थे जबकि इस बार 76.33 फीसदी लोग ही मतदान के लिए बूथ पर पहुंचे. भोजा इलाके में 2017 में 76.52 फीसदी वोट पड़े थे और इस बार सिर्फ 73.91 प्रतिशत मतदान हुआ. प्रधानमंत्री मोदी की तीसरी रैली 17 फरवरी को राजस्थान बॉर्डर के पास स्थित विधानसभा क्षेत्र अबोहर में हुई थी. यहां भी वोटिंग में 4.61 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. प्रधानमंत्री ने 8 फरवरी को एक डिजिटल रैली को भी संबोधित किया था.
प्रधानमंत्री के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अमृतसर, लुधियाना और पटियाला में भी चुनावी रैलियां कीं. अमृतसर में कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के नेताओं ने भी प्रचार किया था. पंजाब की हॉट सीट माने जाने वाले अमृतसर ईस्ट में पिछले चुनाव के मुकाबले करीब सात फीसदी कम मतदान हुआ. अमृतसर सेंट्रल, राजासांसी, अमृतसर पश्चिम में वोट प्रतिशत पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले पांच फीसदी कम रहा. पटियाला में इस बार 73.1 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाले.
पिछले चुनावों पर नजर डालें तो कम मतदान सत्ता में रहने वाली पार्टी के खिलाफ रहा है. ऐसी चर्चा थी कि चुनाव से एक दिन पहले पंजाब के दो बड़े डेरों ने बीजेपी के पक्ष में वोट करने का फैसला किया था. माना जा रहा है कि इस फैसले से भी मतदान प्रतिशत बढ़ा, जिसका फायदा बीजेपी को मिला. इस जालंधर की 9 विधानसभा सीटों पर 2017 के मुकाबले 8 फीसदी कम वोट पड़े. 2017 में जालंधर 73.16 फीसदी वोट पड़े थे, लेकिन इस बार सिर्फ 66.95 फीसदी वोटिंग हुई. वोटिंग के दिन लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि किसकी लहर है.
पंजाब भाजपा अध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने कहा कि भले ही वोटिंग कम या ज्यादा हुई हो, लेकिन लोगों ने कांग्रेस और अन्य दलों के खिलाफ मतदान किया है. उनका कहना है कि वोटरों ने मतदान समाप्त होने तक अपने इरादे का खुलासा नहीं किया. आम आदमी पार्टी के सीनियर लीडर हरपाल सिंह चीमा का दावा है कि इस बार पंजाब के लोगों ने बदलाव के लिए वोट किया है. उनका कहना है आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में गुड गवर्नेंस का उदाहरण पेश किया है, इसलिए उसे पंजाब में मौका मिलेगा. सीनियर जर्नलिस्ट गुरुपदेश सिंह भुल्लर का कहना है कि बीजेपी 2024 लोकसभा चुनाव के लिए लंबी तैयारी कर रही है. इसलिए उसका लक्ष्य वोट बैंक को बढ़ाना है, जिसमें वह सफल होती दिख रही है.
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