हैदराबाद : महाराष्ट्र सरकार में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं है. महाविकास अघाड़ी के सहयोगी दल एक दूसरे पर यदा-कदा निशाना साधते रहते हैं. एक दिन पहले शिवसेना की ओर से यह बयान आया था कि इस समय जो भी दल अकेले चुनाव लड़ने की बात करेगा, उसे जूते पड़ेंगे. कांग्रेस पार्टी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि इसका फैसला तो जनता ही करेगी.
कांग्रेस के ही एक अन्य नेता संजय निरुपम ने कहा कि शिवसेना की यह भाषा ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने ज्यादा बोल दिया. अपने सहयोगी को जूता मारने की बात कहकर उन्होंने गठबंधन की मर्यादा लांघ दी.
कांग्रेस के साथ गठबंधन स्थायी नहीं
नाना पटोले ने कहा, 'हमने 2019 में पांच साल के लिए महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार का गठन भाजपा को रोकने के लिए किया था. यह कोई स्थायी गठजोड़ नहीं है. हर पार्टी को अपने संगठन को मजबूत करने का अधिकार है और कांग्रेस ने कई जगहों पर कोविड-19 प्रभावित लोगों को खून, ऑक्सीजन और प्लाज्मा उपलब्ध कराकर हमेशा राहत मुहैया कराने को प्राथमिकता दी है.' हालांकि पटोले ने कहा कि ठाकरे ने उक्त टिप्पणी शिवसेना के 55वें स्थापना दिवस पर पार्टी अध्यक्ष के तौर पर दी थी न कि मुख्यमंत्री के तौर पर दी.
इस बाबत जब शिवसेना नेता संजय राउत से पूछा गया, तो उन्होंने भी यही बात कही. उन्होंने कहा कि पार्टी की 55वीं स्थापना दिवस पर हमारे पार्टी सुप्रीमो ने कहा कि इस वक्त राज्य में अकेले चुनाव लड़ने की बात कौन कर रहा है. अगर कोई ऐसी बात करता है, तो हम क्या करेंगे. क्या हम हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहेंगे. अगर कोई अकेले लड़ना चाहता है, तो लड़ने दीजिए. संजय राउत ने कहा कि चाहे ये मुद्दा महाराष्ट्र की साख का हो या शिवसेना के अस्तित्व का, हमें लड़ना होगा तो हम लड़ेंगे.
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही नाना पटोले का यह बयान सामने आया था कि कांग्रेस अगला विधानसभा और स्थानीय निकाय के चुनाव अकेले लड़ेगी. उन्होंने तो अपने को सीएम प्रोजेक्ट करने तक की बात कह दी थी. ये वही पटोले हैं, जिन्होंने 2014 में भाजपा से चुनाव लड़ा था. उन्होंने एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल को हराया था. लेकिन बाद में उन्होंने पार्टी छोड़ दी. 2014 से पहले भी पटोले कई बार पार्टी बदल चुके हैं.
एक और कांग्रेस नेता भाई जगताप ने कहा कि हमारी पार्टी शुरू से ही कहती आ रही है कि अकेले चुनाव लड़ेंगे. इसमें कुछ अलग नहीं है.
यूपीए अध्यक्ष पद पर हुआ था विवाद
दिसंबर 2020 में भी कांग्रेस और शिवसेना आमने-सामने आ गई थी. तब शिवसेना के मुखपत्र सामना में संपादकीय छपा था कि यूपीए का अध्यक्ष सोनिया गांधी की जगह शरद पवार को बना देना चाहिए. कांग्रेस ने साफ तौर पर कहा था कि शिवसेना यूपीए में नहीं है. इसलिए इस तरह का बयान देने का कोई मतलब नहीं बनता है.
औरंगाबाद का नाम बदलने पर कांग्रेस की आपत्ति
महाराष्ट्र के औरंगाबाद का नाम बदलने को लेकर भी कांग्रेस शिवसेना ने एक दूसरे का विरोध किया था. शिवसेना इसका नाम संभाजीनगर रखना चाहती है, लेकिन कांग्रेस ने आपत्ति जताई. आपको बता दें कि औरंगाबाद शहर का नाम मुगल शासक औरंगजेब के नाम पर रखा गया है. उसने मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे संभाजी की हत्या कर दी थी.
ठाकरे ने भाजपा को भी निशाने पर लिया. उद्धव ठाकरे ने कहा कि एक संदेश चारों ओर जा रहा है कि अगर कोई शोर करता है, तो आप धमाकेदार जवाब देते हैं. मुझे यकीन है कि आप जानते हैं कि यह संदेश पिछले कुछ दिनों में क्यों प्रसारित हो रहा है.
ठाकरे ने कहा कि सड़कों पर खूनखराबा शिवसेना कार्यकर्ताओं की असली पहचान नहीं है. लेकिन एक सच्चा शिवसेना कार्यकर्ता अन्याय का सामना करने वालों की मदद करने के लिए दौड़ता है. जिन्होंने हमारे खिलाफ आरोप लगाए, क्या वे ऐसे काम के लिए जाने जाते हैं ? उन्होंने कहा कि वे हमारी छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. हमें गर्व के साथ अपना काम जारी रखना चाहिए.
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