गांधीनगर : डिफेंस एक्सपो 2022 (DefExpo 2022) में भारत में बने हथियारों की प्रदर्शनी लगाई गई है. यहां पर भारतीय सेना के हथियारों में त्रिशूल स्वचालित बंदूकें भी रखी गई हैं. यह गन पूरी तरह से ऑटोमेटिक है जो दुश्मन के राडार में आते ही अपने आप निर्धारित लक्ष्य फिक्स कर लेती है. यह गन आने वाले दिनों में सीमा क्षेत्र में एक बहुत ही महत्वपूर्ण हथियार साबित होगी. त्रिशूल ऑटोमेटिक गन के बारे में रक्षा अधिकारी पारस कंवर ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि यह एक रोबोटिक गन है जिसे डिजाइन किया गया है और यह सेंसर से परे काम करती है.
वहीं इस गन में किसी भी व्यक्ति को ऑपरेटर के तौर पर नहीं रखा गया है. यदि कोई दुश्मन 300 मीटर की सीमा के भीतर आता है, तो स्वचालित बंदूक से फायरिंग शुरू हो जाती है और दुश्मन को खत्म करने के लिए कहा जाता है. बंदूक ही लक्ष्य निर्धारित करती है. खास बात यह है कि जो गन तैयार की गई है उसमें इंसान, जानवर, पक्षी और वाहन जैसी चीजों का भी पता लगाया जाता है और उसके बाद ही निशाना साधा जाता है.
रक्षा अधिकारी पारस कंवर ने कहा कि शुरुआती चरण में त्रिशूल स्वचालित बंदूकों की रेंज 300 मीटर तक होती है. लेकिन अगर जरूरत पड़ी और रेंज को बढ़ाने की जरूरत है, तो सिर्फ एक सेंसर लगाने से रेंज काफी बढ़ सकती है. यह दो किलोमीटर के दायरे में दुश्मन को निशाना बनाकर उसे भेद सकती है. शुरुआती चरण में सेना से मंजूरी मिलने के बाद गन को एलओसी पर रखा जाएगा, वहीं यह ऑटोमेटिक गन दिन हो या रात किसी भी माहौल में काम करती है. उन्होंने बताया कि किसी त्रिशूल ऑटोमेटिक गन के एक पूरे सिस्टम पर काम करने की वजह से इसके लिए ऑपरेटर की जरूरत नहीं पड़ेगी.
इस प्रकार बंदूक को एक स्थान पर स्थापित करने के बाद यदि कोई दुश्मन बंदूक के रेडिएशन या रेंज में आता है, तो तुरंत सेकंड के भीतर फायरिंग शुरू हो जाएगी और 100 प्रतिशत लक्ष्य उपलब्धि अभ्यास में भी देखी गई है. इससे यह गन आने वाले दिनों में सीमा क्षेत्र में एक बहुत ही महत्वपूर्ण हथियार साबित होगी. त्रिशूल ऑटोमैटिक गन पूरी तरह से मेड इन इंडिया का उत्पादन है.
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