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सीपीएम का दावा, 'त्रिपुरा में चार साल में हमारे 23 कार्यकर्ता मारे गए'

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Published : Feb 13, 2022, 1:36 PM IST

पूर्वोत्तर भारत में अशांति की आशंका के बीच त्रिपुरा में भाजपा पर गंभीर आरोप लगे हैं. ताजा घटनाक्रम में माकपा ने कहा है कि त्रिपुरा पुलिस भाजपा समर्थित अपराधियों को संरक्षण (Tripura police is sheltering BJP backed criminals) दे रही है. बता दें कि त्रिपुरा में पुलिस के रवैये पर टीएमसी पहले ही सवाल उठा चुकी है.

Jitendra Chaudhury CPIM
जितेंद्र चौधरी त्रिपुरा माकपा सचिव

अगरतला : मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कहा है कि त्रिपुरा में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के चार साल के शासन के दौरान कम से कम 23 माकपा सदस्यों और समर्थकों की हत्या कर दी गई, लेकिन पुलिस ने दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि पुलिस ने कई मामलों में उलटे ही पीड़ितों के खिलाफ कार्रवाई की.

माकपा की त्रिपुरा इकाई के सचिव जितेंद्र चौधरी (Jitendra Chaudhury CPIM) ने मीडिया से बात करते हुए शनिवार को कहा कि राज्य में अब कानून का शासन नहीं रहा. माकपा केंद्रीय समिति के सदस्य चौधरी ने आरोप लगाया कि पुलिस का एक वर्ग भाजपा समर्थित अपराधियों और हत्यारों को पनाह दे रहा है.

चौधरी ने कहा, 'पुलिस और अपराधियों के बीच साठगांठ दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, जिससे त्रिपुरा में पूरी तरह अराजकता फैल गई है.' बता दें कि माकपा सदस्यों ने अपने नेताओं के नेतृत्व में बिस्वास की हत्या के खिलाफ शुक्रवार और शनिवार को पूरे त्रिपुरा में विरोध रैलियों और प्रदर्शनों का आयोजन किया. पार्टी सदस्य बेनू विश्वास की हत्या गुरुवार शाम दक्षिणी त्रिपुरा के कमालपुर बाजार (Tripura Benu Biswas murder Kamalpur market) में हुई थी.

त्रिपुरा पुलिस पर पहले भी उठे सवाल
गौरतलब है कि त्रिपुरा में पुलिस की बर्बरता को लेकर तृणमूल कांग्रेस भी आवाज उठा चुकी है. विगत नवंबर में तृणमूल कांग्रेस के सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने त्रिपुरा में कथित पुलिस बर्बरता को लेकर दिल्ली में गृह मंत्रालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था. तृणमूल सांसदों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ नारेबाजी की और शाह से मिलने का समय भी मांगा था.

तृणमूल सांसद डोला सेन ईटीवी भारत से बताया था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद त्रिपुरा में विपक्षी पार्टियों को अपनी सामान्य राजनीतिक गतिविधियां करने से भी रोका जा रहा है. उनके पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की सोमवार को त्रिपुरा में रैली निर्धारित थी लेकिन उसके लिये अनुमति नहीं दी गई.

यह भी पढ़ें- त्रिपुरा में राजनीतिक हिंसा : भाजपा कार्यकर्ताओं पर तोड़फोड़ व आगजनी के आरोप

डोला सेन ने बताया था कि त्रिपुरा में जगह-जगह विपक्षी पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं को भाजपा सरकार द्वारा निशाना बनाया जा रहा है. ऐसे तमाम विषयों को रखने और ज्ञापन सौंपने के लिये तृणमूल सांसदों ने गृहमंत्री अमित शाह से मिलने का समय मांगा था लेकिन गृहमंत्री क्या गृह राज्यमंत्री या सचिव स्तर के अधिकारी भी उनको नहीं मिले.

(आईएएनएस)

अगरतला : मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कहा है कि त्रिपुरा में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के चार साल के शासन के दौरान कम से कम 23 माकपा सदस्यों और समर्थकों की हत्या कर दी गई, लेकिन पुलिस ने दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि पुलिस ने कई मामलों में उलटे ही पीड़ितों के खिलाफ कार्रवाई की.

माकपा की त्रिपुरा इकाई के सचिव जितेंद्र चौधरी (Jitendra Chaudhury CPIM) ने मीडिया से बात करते हुए शनिवार को कहा कि राज्य में अब कानून का शासन नहीं रहा. माकपा केंद्रीय समिति के सदस्य चौधरी ने आरोप लगाया कि पुलिस का एक वर्ग भाजपा समर्थित अपराधियों और हत्यारों को पनाह दे रहा है.

चौधरी ने कहा, 'पुलिस और अपराधियों के बीच साठगांठ दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, जिससे त्रिपुरा में पूरी तरह अराजकता फैल गई है.' बता दें कि माकपा सदस्यों ने अपने नेताओं के नेतृत्व में बिस्वास की हत्या के खिलाफ शुक्रवार और शनिवार को पूरे त्रिपुरा में विरोध रैलियों और प्रदर्शनों का आयोजन किया. पार्टी सदस्य बेनू विश्वास की हत्या गुरुवार शाम दक्षिणी त्रिपुरा के कमालपुर बाजार (Tripura Benu Biswas murder Kamalpur market) में हुई थी.

त्रिपुरा पुलिस पर पहले भी उठे सवाल
गौरतलब है कि त्रिपुरा में पुलिस की बर्बरता को लेकर तृणमूल कांग्रेस भी आवाज उठा चुकी है. विगत नवंबर में तृणमूल कांग्रेस के सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने त्रिपुरा में कथित पुलिस बर्बरता को लेकर दिल्ली में गृह मंत्रालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था. तृणमूल सांसदों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ नारेबाजी की और शाह से मिलने का समय भी मांगा था.

तृणमूल सांसद डोला सेन ईटीवी भारत से बताया था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद त्रिपुरा में विपक्षी पार्टियों को अपनी सामान्य राजनीतिक गतिविधियां करने से भी रोका जा रहा है. उनके पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की सोमवार को त्रिपुरा में रैली निर्धारित थी लेकिन उसके लिये अनुमति नहीं दी गई.

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डोला सेन ने बताया था कि त्रिपुरा में जगह-जगह विपक्षी पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं को भाजपा सरकार द्वारा निशाना बनाया जा रहा है. ऐसे तमाम विषयों को रखने और ज्ञापन सौंपने के लिये तृणमूल सांसदों ने गृहमंत्री अमित शाह से मिलने का समय मांगा था लेकिन गृहमंत्री क्या गृह राज्यमंत्री या सचिव स्तर के अधिकारी भी उनको नहीं मिले.

(आईएएनएस)

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