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'बजट 2021-22 में आदिवासी मंत्रालय के लिए 7524 करोड़ रुपये आवंटित'

बजट में जनजातीय मामलों के मंत्रालय के लिए 7524 करोड़ रुपये आवंटित किए, जो पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 36 प्रतिशत की वृद्धि है. मंत्रालय को वित्तीय वर्ष 2020-21 में 7411 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जिसे बाद में संशोधित करके 5508 करोड़ रुपये किया गया था.

आर सुब्रमण्यम
आर सुब्रमण्यम
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Published : Feb 10, 2021, 10:18 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्रालय के सचिव आर सुब्रमण्यम ने आम बजट 2021-22 पर प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा, बजट में आदिवासी समाज का खास ख्याल रखा गया है. आदिवासी कल्याण मंत्रालय के लिये बजट में 7524 करोड़ रुपये आवंटित किये गए हैं. पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले इसमें 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में जनजातीय मंत्रालय के लिये 7411 करोड़ रुपये आवंटित किये गए थे, जिसको बाद में संसोधित करके 5508 करोड़ रुपये किया गया था. आम बजट 2021-22 में आदिवासी कल्याण मंत्रालय के लिये आवंटित 7524 करोड़ रुपये में से 2393 करोड़ रुपये जनजातीय शिक्षा के लिये हैं. कमजोर आदिवासी समूहों (पीवीटीजी) के विकास के लिये 250 करोड़ रुपये रखे गए हैं.

उन्होंने कहा कि बजट में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों का बजट बढ़ाने का भी प्रावधान किया गया है. 20 करोड़ से बढ़ाकर 38 करोड़ किया गया है.

पढ़ें : किसान कल्याण की गारंटी से ही खुलेगा 'आत्मनिर्भरता' का रास्ता!

उन्होंने कहा कि पहाड़ी व दुर्गम क्षेत्रों के लिये इसे बढ़ाकर 48 करोड़ किया गया है. इस कदम से जनजातीय विद्यार्थियों के लिये इंफ़्रास्ट्रक्चर सुविधा विकसित करने में मदद मिलेगी. आदिवासी बच्चों के लिये पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप जारी रहेगी.

नई दिल्ली : केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्रालय के सचिव आर सुब्रमण्यम ने आम बजट 2021-22 पर प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा, बजट में आदिवासी समाज का खास ख्याल रखा गया है. आदिवासी कल्याण मंत्रालय के लिये बजट में 7524 करोड़ रुपये आवंटित किये गए हैं. पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले इसमें 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में जनजातीय मंत्रालय के लिये 7411 करोड़ रुपये आवंटित किये गए थे, जिसको बाद में संसोधित करके 5508 करोड़ रुपये किया गया था. आम बजट 2021-22 में आदिवासी कल्याण मंत्रालय के लिये आवंटित 7524 करोड़ रुपये में से 2393 करोड़ रुपये जनजातीय शिक्षा के लिये हैं. कमजोर आदिवासी समूहों (पीवीटीजी) के विकास के लिये 250 करोड़ रुपये रखे गए हैं.

उन्होंने कहा कि बजट में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों का बजट बढ़ाने का भी प्रावधान किया गया है. 20 करोड़ से बढ़ाकर 38 करोड़ किया गया है.

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उन्होंने कहा कि पहाड़ी व दुर्गम क्षेत्रों के लिये इसे बढ़ाकर 48 करोड़ किया गया है. इस कदम से जनजातीय विद्यार्थियों के लिये इंफ़्रास्ट्रक्चर सुविधा विकसित करने में मदद मिलेगी. आदिवासी बच्चों के लिये पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप जारी रहेगी.

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