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निजी गवाहों से पूछताछ उसी दिन पूरी करें निचली अदालतें : सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय (Suprem court) ने कहा है कि देशभर में निचली अदालतों को निजी गवाहों से पूछताछ, जहां तक संभव हो उसी दिन पूरी करनी चाहिए. न्यायालय ने कहा कि ऐसे गवाहों से जिरह की प्रक्रिया अचानक ही बगैर किसी कारण स्थगित करने की प्रवृत्ति का संज्ञान लेते हुए यह टिप्पणी की.

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Published : Feb 7, 2022, 9:31 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Suprem court) ने कहा कि निजी गवाहों से उसी दिन पूछताछ पूरी करें निचली अदालतें. शीर्ष अदालत ने कहा कि बार-बार न्याय मिलने की प्रक्रिया को बाधित करने के लिए जानबूझकर किये जा रहे प्रयास पर वह आक्रोश व्यक्त करता है और इससे ऐसे हालात पैदा होते हैं जिससे निजी गवाह जाहिर कारणों से विरोधी हो जाते हैं.

न्यायमूर्ति एसएस कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की एक पीठ ने कहा कि मुख्य पूछताछ के पूरा होने के बाद लम्बे समय के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी जाती है, जिससे बचाव पक्ष को विजयी होने में सहायता मिलती है. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि इसलिए हम यह दोहराना उचित समझते हैं कि निचली अदालतों को निजी गवाहों की मुख्य पूछताछ और प्रति परीक्षण, जहां तक संभव हो उसी दिन करना चाहिए.

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शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ चार अपीलकर्ताओं की अपील पर यह निर्णय सुनाया. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में इन चारों को 2004 में दो व्यक्तियों की गोली मारकर की गई हत्या के मामले में, दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. न्यायालय ने इस फैसले की प्रति संबंधित उच्च न्यायालयों के माध्यम से सभी निचली अदालतों में वितरित करने का आदेश दिया.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Suprem court) ने कहा कि निजी गवाहों से उसी दिन पूछताछ पूरी करें निचली अदालतें. शीर्ष अदालत ने कहा कि बार-बार न्याय मिलने की प्रक्रिया को बाधित करने के लिए जानबूझकर किये जा रहे प्रयास पर वह आक्रोश व्यक्त करता है और इससे ऐसे हालात पैदा होते हैं जिससे निजी गवाह जाहिर कारणों से विरोधी हो जाते हैं.

न्यायमूर्ति एसएस कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की एक पीठ ने कहा कि मुख्य पूछताछ के पूरा होने के बाद लम्बे समय के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी जाती है, जिससे बचाव पक्ष को विजयी होने में सहायता मिलती है. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि इसलिए हम यह दोहराना उचित समझते हैं कि निचली अदालतों को निजी गवाहों की मुख्य पूछताछ और प्रति परीक्षण, जहां तक संभव हो उसी दिन करना चाहिए.

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शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ चार अपीलकर्ताओं की अपील पर यह निर्णय सुनाया. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में इन चारों को 2004 में दो व्यक्तियों की गोली मारकर की गई हत्या के मामले में, दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. न्यायालय ने इस फैसले की प्रति संबंधित उच्च न्यायालयों के माध्यम से सभी निचली अदालतों में वितरित करने का आदेश दिया.

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