नई दिल्ली : भारत में आज भी ट्रांसजेंडर (Transgender) को लेकर लोगों के मन में कई तरह के भ्रम हैं. आज भी उन्हें समाज में वो दर्जा नहीं मिला है, जो आम लोगों को मिलता है. ट्रांसजेंडर सुनते ही लोगों की सोच और समझ दोनों बदल जाती है. समाज के इसी सोच के चलते कई अपराध हो रहे हैं. कुछ दिन पहले हरियाणा के रोहतक में भी एक लड़के ने, जो अपना जेंडर चेंज करवाना चाहता था, परिवार ने मना किया तो परिवार के चार लोगों की हत्या कर दी.
वहीं, दिल्ली में भी ट्रांसजेंडर की उसके बॉय फ्रेंड ने हत्या कर दी थी. इन सबके बीच भी कई ऐसे ट्रांसजेंडर्स हैं, जिन्होंने कई चुनौतियों को पार कर अपना एक अलग मुकाम हासिल किया है. चलिए ऐसे ही एक ट्रांसजेंडर से सुनते हैं, उनके संघर्ष की कहानी.
सत्यजीत सिंह (Satyajit Singh) से ख्वाहिश परिहार (Khwaish Parihar) बनीं ख्वाहिश का कहना है कि उन्हें बचपन से ही लड़कियों की तरह चलना, बोलना पसंद था, लेकिन घरवालों को उनकी ऐसी हरकतें पसंद नहीं थीं, इसलिए वो हर बात पर मुझे टोकते थे. उन्होंने बताया कि पांचवीं-छठवीं कक्षा तक सब कुछ नॉर्मल था, लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गई लोगों ने मजाक उड़ाना शुरू कर दिया, जिससे घर वाले नाराज होते थे.
अपने बचपन को याद करते हुए ख्वाहिश कहती हैं कि स्कूल में बच्चे मुझे सत्तू रानी-सत्तू रानी कह कर चिढ़ाते थे. भैया के दोस्त उन्हें बोलते थे कि तेरा भाई लड़कियों जैसी हरकतें करता है तो मेरे भाई मुझे टोकते थे. उस वक्त मेरे दिमाग में एक ही बात चलती थी कि मैं लड़की हूं. फिजिकली मैं भले ही लड़का हूं, पर मुझे लड़कियों की तरह रहना पसंद था. घर का काम करना, मां की बिंदी, काजल और लुगड़ी पहनकर घूमना पसंद था. जिसके लिए उन्हें बहुत मार भी पड़ी.
जेंडर चेंज करवाने के लिए छोड़ दिया घर
ख्वाहिश ने बताया कि 10वीं की परीक्षा देने के बाद 2007 में उन्होंने घर छोड़ दिया और जयपुर आकर रहने लगीं. उन्होंने बताया कि जेंडर चेंज करवाने के लिए उनके घर वाले तैयार नहीं थे, जिसकी वजह से उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा. ख्वाहिश ने जयपुर में एक पार्लर में हेल्पर का काम किया. वहीं से मुंबई गईं फिर दिल्ली में डॉक्टर से कंसल्ट किया और एक साल के ट्रिटमेंट के बाद अपनी सर्जरी करवा कर सत्यजीत सिंह से ख्वाहिश परिहार बन गईं.
'जेंडर चेंज करवाना प्रकृति के खिलाफ नहीं'
ख्वाहिश का कहना है कि जेंडर चेंज करवाना किसी भी तरह से प्रकृति के साथ खिलवाड़ नहीं है, क्योंकि हमारी मूल प्रकृति कुछ और होती है, जिसके अनुसार हमें रहने का अधिकार है. हमें ये अधिकार है कि हम अपने आप को कैसे प्रेजेंट करें, जिसके लिए हर पैरेंट्स को और समाज को सपोर्ट करना चाहिए.
ईटीवी भारत (ETV BHARAT) से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में ख्वाहिश ने बताया कि जब वह सर्जरी करवा रही थीं तो उनकी मां उनके साथ थीं. मेरे घरवालों को एहसास हुआ कि उनके रोकने के बाद भी मैंने जो फैसला लिया वो सही है, जिसके बाद उनके घरवालों ने उन्हें स्वीकार कर लिया. हालांकि ख्वाहिश बताती हैं कि उनका उनके भाइयों के साथ ज्यादा कनेक्शन नहीं है.
'रोहतक की घटना से हूं शॉक्ड'
रोहतक की घटना को लेकर ख्वाहिश ने कहा कि वह इस घटना से स्तब्ध हैं. उन्होंने कहा कि परिवार को मार देना किसी भी तरह से इसका कोई समाधान नहीं है. उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था. उसे अपने परिवार वालों को समझाना चाहिए था, अगर नहीं मानें तो घर छोड़ कर एक नई दुनिया बसाकर कुछ पैसे जोड़कर अपना जेंडर चेंज करवाना था, जैसा मैंने किया. लेकिन इस तरह से अपने परिवार की हत्या कर देना ये एक नॉर्मल व्यक्ति का काम नहीं हो सकता. ख्वाहिश ने कहा कि वो लड़का या तो मेंटली प्रीपेयर नहीं था या फिर उसका मेंटल स्टेटस ठीक नहीं था.
'सत्यजीत से ख्वाहिश बनने से हूं खुश'
ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में ख्वाहिश ने कहा कि वह सत्यजीत से ख्वाहिश परिहार बनने पर बेहद खुश हैं. आज भी कभी-कभी बाहर जाने के लिए तैयार होती हूं और आइने में देखकर इस बात को लेकर खुश होती हूं कि उनके सारे सपने पूरे हो गये. अपनी शिक्षा के बारे में ख्वाहिश बताती हैं कि वह दसवीं में एक बार फेल होने के बाद उन्होंने दोबारा परीक्षा देकर ही घर छोड़ दिया और जयपुर शिफ्ट हो गईं. जिसके बाद तीन साल तक अपनी पढ़ाई को ड्रॉप किया. ख्वाहिश जेंडर चेंज करवाने के बाद एविएशन का कोर्स किया और फिर कॉरेस्पॉन्डेंस यूनिवर्सिटी से बीबीए की डिग्री हासिल की.
'नहीं याद करना चाहतीं स्ट्रगल टाइम'
ख्वाहिश से जब उनके स्ट्रगल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह एक बहुत ही बुरा दौरा था, जिसे वह याद भी नहीं करना चाहतीं. ख्वाहिश ने कहा कि कुछ बातें ऐसी हैं, जो नहीं बता सकती, लेकिन उन्होंने बताया कि उन्होंने ऐसे दिन भी गुजारे हैं, जब उन्हें 10 रुपये के कुरकुरे और ब्रेड खाकर दिन-दिन भर गुजारने पड़े. रहने के लिए घर नहीं होने के चलते दोस्तों के घर रहकर एडजस्ट करना पड़ा.
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उन्होंने कहा कि इन सब में सबसे गंदी चीज ये थी कि उनके प्रति लोगों की सोच और उनके देखने का नजरिया. ख्वाहिश ने बताया कि उन्होंने लोगों के गंदे कमेंट्स और उनका मजाक उड़ाना सब कुछ उन्होंने इग्नोर किया. अभी भी लोगों की मेंटालिटी ठीक नहीं है. जब तक सामने वाले को नहीं मालूम होता है कि मैं क्या हूं, तब तक ठीक है, लेकिन सच का पता चलते ही उनकी सोच और उनका तरीका बदल जाता है. ख्वाहिश ने बताया कि आज भी उन्हें हर मोड़ पर स्ट्रगल करना पड़ता है.
बिग बॉस में जान की ख्वाहिश
ख्वाहिश से उनकी ख्वाहिशों को लेकर जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने बड़े ही बेबाकी से बताया कि ख्वाहिश का पहला अक्षर ही अधूरा है तो उनकी पूरी ख्वाहिशें तो कभी जिंदगी में पूरी नहीं हो सकतीं, लेकिन उनकी ख्वाहिश है कि वह अपना खुद का घर लें और बिग बॉस में जाएं.
'LGBT को लेकर ख्वाहिश परिहार का संदेश'
ख्वाहिश ने LGBT (lesbian, gay, bisexual, and transgender) समुदाय को लेकर कहा कि आज की तारीख में दुनिया में बहुत कुछ बदल गया है. दुनिया बहुत आगे बढ़ चुकी है और जेंडर चेंज करवाना अब बहुत कॉमन है. ये कोई बड़ी बात नहीं है कि आप अपनी आइडेंटिटी छिपा के अपने आप को जेल की तरह पैक कर दो. अगर माता पिता नहीं मानते तो उनके साथ बैठकर बात करो, इन सब चीजों के बारे में बताओ, डॉक्टर से मिलवाओ जो उनकी कॉउंसलिंग करें, लेकिन रोहतक की घटना का उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसा स्टेप मत उठाओ. खुद पर भरोसा करो, अपनी लाइफ में आगे बढ़ो और खुद का मुकाम हासिल करो.