कोरबा: किसी भी व्यक्ति की सेक्सुअलिटी बेहद संवेदनशील मुद्दा होती है. खासकर तब जब वह व्यक्ति थर्ड जेंडर से हो. ऐसे लोगों को समाज हेय दृष्टि से देखता है. यही कारण है कि ऐसे लोग खुद को कहीं भी रिप्रेजेंट करने से हिचकिचाते हैं. समाज के लोग ऐसे लोगों को हर मोड़ पर प्रताड़ित करते हैं. ऐसे लोगों में कुछ लोग समाज के ताने बाने के बीच ही सिमट कर रह जाते हैं तो, कुछ लोग लोगों के ताने को इग्नोर कर आगे बढ़ जाते हैं.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं कोरबा जिले की रवीना की. रवीना एक ट्रांसजेंडर है. रवीना का पहला नाम रविन्द्र है. हालांकि अब रविन्द्र, रवीना बन चुकी है. रवीना के माता-पिता उसे बेटे की तरह पालना चाहते थे. लेकिन रवीना लड़कियों के बीच रहना और उनकी तरह एक्टिविटी करना अधिक पसंद करती थी. यही कारण है कि रवीना ने खुद को लड़की के लुक में ढाल लिया है. रवीना का रहन-सहन, पहनावा लड़कियों जैसा है.
खुद को बनाया मजबूत : रवीना बचपन से ही पढ़ाई में होशियार रही है. जिले के ज्योति भूषण विधि महाविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई की. अब वह अंग्रेजी में एमए कर रही है. रवीना का सपना सिविल जज बनने का है. इसके लिए वो दिन-रात मेहनत कर रही है. रवीना ने खुद को काफी मेहनत से स्वीकार किया. खुद को ट्रांसजेंडर मानने में शुरुआत में रवीना का काफी परेशानी हुई. हालांकि अब वो खुद को और अपने मन को स्ट्रांग बना चुकी है. यही कारण है कि समाज के तानों को पीछे छोड़ खुद को समाज में एक नजीर के तौर पर पेश कर रही है.
हम भी इस समाज के बीच से आते हैं. ट्रांसजेंडर होना कोई बीमारी नहीं है. यह प्रकृति की देन है. हमें खुद को स्वीकार करना चाहिए. समाज को भी हमें स्वीकारना चाहिए. यह सभी लोगों की जिम्मेदारी है कि वह हमें कंफर्टेबल फील कराएं. - रवीना, लॉ ग्रेजुएट, ट्रांसजेंडर
जज बनकर करना चाहती है लोगों की मदद: रवीना एक छोटे से गांव से आती है. शुरुआती शिक्षा गांव में ही हुई. इसके बाद जब बाहर निकली तो देखा कि लोग न्याय के लिए भटक रहे हैं. रवीना को पता चला कि कोरबा शहर में एक लॉ कॉलेज है. वहां से रवीना ने लॉ की पढ़ाई पूरी की. अब वह जज बनकर गरीबों की मदद करना चाहती है.
कई बार सुसाइड करने का भी आता था ख्याल: अपनी सेक्सुअलिटी और अब तक के संघर्ष को लेकर रवीना ने ईटीवी भारत से खुलकर बातें की. रवीना ने बताया कि उसे पता था कि वो एक ट्रांसजेंडर है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गई, हार्मोनल चेंजेज आते गए. अब पता चलता है कि वो दूसरे लोगों से अलग है. उसे लड़कियों के साथ सहजता महसूस होती थी. यही कारण है कि वो लड़की बन गई. हालांकि समाज में ट्रांसजेंडरों की दशा देखकर रवीना को काफी गुस्सा आया. उनको ट्रेन में पैसे मांगते देख, लोगों की गालियां सुनते देख काफी तकलीफ हुई. यही कारण है कि कई बार उसके जेहन में खुद को खत्म करने के भी ख्याल आए. लेकिन फिर उसने खुद को संभाला और स्ट्रॉन्ग बनकर डटी रही. इसके बाद उसने पूरा ध्यान पढ़ाई पर दिया.
वैकेंसी के फॉर्म में हमारे लिए भी एक कॉलम होना चाहिए. किसी भी सरकारी भर्ती में महिला और पुरुष के अलावा कोई तीसरा कॉलम नहीं होता, यह दुर्भाग्यजनक है. -रवीना, लॉ ग्रेजुएट, ट्रांसजेंडर
सरकार को भी देना चाहिए आरक्षण : रवीना का कहना है कि सरकार की ओर से ट्रांसजेंडरों को कोई मदद नहीं मिलती. यही कारण है कि आगे बढ़ने में उन्हें काफी दिक्कतें होती है. अगर हमारी कम्युनिटी को मौका दिया जाए तो वह खुलकर सामने आएंगे. कभी रवीना ने सिविल जज की परीक्षा के लिए वैकेंसी फॉर्म भरा था. तब उसमें महिला और पुरुष दो ही कॉलम थे. थर्ड जेंडर के लिए कोई जगह नहीं थी. रवीना कहती हैं कि ऐसी चीजों में बदलाव आना चाहिए ताकि ट्रांसजेडर को समाज की उलाहनाओं का शिकार न होना पड़े.