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Traffic violations in up : कानपुर में सबसे ज्यादा टूट रहे ट्रैफिक रूल्स, ओवरस्पीड लगा रही जिंदगी पर ब्रेक

सड़क दुर्घटनाएं रोकने और यातायात उल्लंघन रोकने के लिए परिवहन विभाग भी तमाम अभियान और सख्ती दिखाता है. बावजूद इसके लोग ट्रैफिक नियमों को दरकिनार कर अपनी जान से खिलवाड़ करते हैं. परिवहन विभाग (Traffic violations in up) के हाल में जारी आंकड़े कुछ ऐसी ही तस्वीर बयां कर रहे हैं. यातायात नियमों के उल्लंघन के चलते दुर्घटना में मृत्यु के मामले में कानपुर अव्वल हो गया है.

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Published : Jan 14, 2023, 9:54 PM IST

लखनऊ : परिवहन विभाग ने उत्तर प्रदेश के ऐसे 20 जिलों के दुर्घटनाओं के आंकड़े जारी किए हैं. जिनमें पिछले तीन साल से सड़क हादसे कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं. इन जिलों में कानपुर टॉप पर है. यातायात नियमों का सबसे ज्यादा उल्लंघन कानपुर में ही हो रहा है, इसीलिए पिछले तीन साल से लगातार इसी शहर में एक्सीडेंट से मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा रही है. कानपुर में पिछले तीन साल में औसतन 618 लोग दुर्घटना में मृत्यु का शिकार हुए हैं. आगरा दूसरे स्थान पर है जबकि लखनऊ का सातवां स्थान है. प्रदेश के सभी 75 जिलों में से अकेले इन्हीं 20 जिलों में मौतों का आंकड़ा 43 फीसद है. वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश के 20 जिलों में 9011 लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में जान चली गई.

कानपुर में टूटे सबसे ज्यादा ट्रैफिक रूल.
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एक नजर.

इन जिलों में गईं सबसे ज्यादा जानें : एक तरफ परिवहन विभाग सड़क हादसों में बढ़ती मौतों को कम करने के लिए विभिन्न तरह के अभियान चलाता है, लेकिन दूसरी तरफ परिवहन विभाग के नियमों का लोग मखौल उड़ा रहे हैं. इसका नतीजा यह हो रहा है कि लोग अपनी जान से हाथ धो रहे हैं. सड़क हादसों में होने वाली मौतों का आंकड़ा घटने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है. वर्ष 2022 के आंकड़े तो यही बयां कर रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2022 में सबसे ज्यादा दुर्घटनाओं वाला शहर कानपुर नगर रहा है. यहां पर 618 लोग असमय ही काल के गाल में समा गए. इसी तरह आगरा में 560, प्रयागराज में 550, बुलंदशहर में 525, अलीगढ़ में 513, मथुरा में 512, लखनऊ में 482, उन्नाव में 480, हरदोई में 461, बरेली में 440, सीतापुर में 416, फतेहपुर में 412, गोरखपुर में 410, गौतमबुद्ध नगर में 406, जौनपुर में 379, मेरठ में 374, बाराबंकी में 374, शाहजहांपुर में 370, गाजियाबाद में 369 और कुशीनगर में 361 लोग दुर्घटना का शिकार हुए और मौत के मुंह में समा गए.

नेशनल हाईवे पर सबसे ज्यादा हादसे : आंकड़ों पर गौर करें तो सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं नेशनल हाईवे पर होने की बात सामने आ रही है. कुल आंकड़ों में 39.9 फीसद लोगों की दुर्घटना नेशनल हाईवे पर हुई है. वहीं स्टेट हाईवे पर दुर्घटनाओं का अनुपात 30.4 फीसद रहा. प्रदेश की अन्य सड़कों की बात करें तो 28.5 फीसद हादसे इन मार्गों पर हुए हैं. एक्सप्रेस वे पर हादसों का ग्राफ काफी कम है. यहां पर 1.2 फीसद हादसे हुए हैं. दरअसल सड़क दुर्घटनाओं में हो रहीं मौतों के इन आंकड़ों में सबसे ज्यादा संख्या 38.4 फीसद ओवर स्पीडिंग से मरने वालों की है. रॉन्ग साइड ड्राइव करने पर 11.9 फीसद, मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर वाहन चलाते समय 9.2%, ड्रंकन ड्राइविंग में 6.6 फीसद, रेड लाइट जंपिंग में 1.7% फीसद और अन्य कारणों में 32.3 फीसद लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा.



यह भी पढ़ें : Plastic surgery facility : बलरामपुर स्पताल में जल्द तैनात होंगे प्लास्टिक सर्जन

लखनऊ : परिवहन विभाग ने उत्तर प्रदेश के ऐसे 20 जिलों के दुर्घटनाओं के आंकड़े जारी किए हैं. जिनमें पिछले तीन साल से सड़क हादसे कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं. इन जिलों में कानपुर टॉप पर है. यातायात नियमों का सबसे ज्यादा उल्लंघन कानपुर में ही हो रहा है, इसीलिए पिछले तीन साल से लगातार इसी शहर में एक्सीडेंट से मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा रही है. कानपुर में पिछले तीन साल में औसतन 618 लोग दुर्घटना में मृत्यु का शिकार हुए हैं. आगरा दूसरे स्थान पर है जबकि लखनऊ का सातवां स्थान है. प्रदेश के सभी 75 जिलों में से अकेले इन्हीं 20 जिलों में मौतों का आंकड़ा 43 फीसद है. वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश के 20 जिलों में 9011 लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में जान चली गई.

कानपुर में टूटे सबसे ज्यादा ट्रैफिक रूल.
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इन जिलों में गईं सबसे ज्यादा जानें : एक तरफ परिवहन विभाग सड़क हादसों में बढ़ती मौतों को कम करने के लिए विभिन्न तरह के अभियान चलाता है, लेकिन दूसरी तरफ परिवहन विभाग के नियमों का लोग मखौल उड़ा रहे हैं. इसका नतीजा यह हो रहा है कि लोग अपनी जान से हाथ धो रहे हैं. सड़क हादसों में होने वाली मौतों का आंकड़ा घटने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है. वर्ष 2022 के आंकड़े तो यही बयां कर रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2022 में सबसे ज्यादा दुर्घटनाओं वाला शहर कानपुर नगर रहा है. यहां पर 618 लोग असमय ही काल के गाल में समा गए. इसी तरह आगरा में 560, प्रयागराज में 550, बुलंदशहर में 525, अलीगढ़ में 513, मथुरा में 512, लखनऊ में 482, उन्नाव में 480, हरदोई में 461, बरेली में 440, सीतापुर में 416, फतेहपुर में 412, गोरखपुर में 410, गौतमबुद्ध नगर में 406, जौनपुर में 379, मेरठ में 374, बाराबंकी में 374, शाहजहांपुर में 370, गाजियाबाद में 369 और कुशीनगर में 361 लोग दुर्घटना का शिकार हुए और मौत के मुंह में समा गए.

नेशनल हाईवे पर सबसे ज्यादा हादसे : आंकड़ों पर गौर करें तो सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं नेशनल हाईवे पर होने की बात सामने आ रही है. कुल आंकड़ों में 39.9 फीसद लोगों की दुर्घटना नेशनल हाईवे पर हुई है. वहीं स्टेट हाईवे पर दुर्घटनाओं का अनुपात 30.4 फीसद रहा. प्रदेश की अन्य सड़कों की बात करें तो 28.5 फीसद हादसे इन मार्गों पर हुए हैं. एक्सप्रेस वे पर हादसों का ग्राफ काफी कम है. यहां पर 1.2 फीसद हादसे हुए हैं. दरअसल सड़क दुर्घटनाओं में हो रहीं मौतों के इन आंकड़ों में सबसे ज्यादा संख्या 38.4 फीसद ओवर स्पीडिंग से मरने वालों की है. रॉन्ग साइड ड्राइव करने पर 11.9 फीसद, मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर वाहन चलाते समय 9.2%, ड्रंकन ड्राइविंग में 6.6 फीसद, रेड लाइट जंपिंग में 1.7% फीसद और अन्य कारणों में 32.3 फीसद लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा.



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