वाराणसी : 2019 दिसंबर में भारत में कोविड-19 की शुरुआत और मार्च 2020 के बाद से लगे लाॅकडाउन ने जिंदगी की रफ्तार थाम सी दी. हर तरफ गम, मायूसी और निराशा के बीच लोगों के सामने रोजी-रोटी का बड़ा संकट खड़ा हो गया. सबसे बड़ा असर टूरिजम सेक्टर पर पड़ा, जिसकी वजह से एक-दो नहीं बल्कि लाखों लोगों की जीविका चलती है. अब स्थिति सामान्य होने लगी है और पर्यटन उद्योग रफ्तार पकड़ रहा है.
उत्तरप्रदेश की धर्म नगरी वाराणसी में पर्यटकों की बाढ़ सी आ गई है. पर्यटकों की संख्या में यह बदलाव सिर्फ 3 महीने के अंदर आया है. 13 दिसंबर के बाद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वनाथ धाम का लोकार्पण किया था. उसके बाद बनारस में सैलानियों का आना जारी है. रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर के बाद से हर महीने 15 से 20 लाख की संख्या में पर्यटक काशी पहुंच रहे हैं. मार्च में तो अब तक रिकॉर्ड ही टूट चुका है. पर्यटन विभाग का मानना है कि मार्च के महीने में अभी तक 20 लाख से भी अधिक सैलानी बनारस आ चुके हैं.
दरअसल, वाराणसी में धार्मिक पर्यटन हमेशा से मजबूत रहा है. यहां आने वाले पर्यटकों के लिए गंगा का किनारा, बाबा विश्वनाथ का मंदिर (Baba Vishwanath Temple), काल भैरव का आशीर्वाद और बनारसी पान के साथ यहां की साड़ी और गलियां हमेशा से आकर्षण का केंद्र रही है. मगर काशी विश्वनाथ धाम के नए स्वरूप के लोकार्पण के बाद तो पुराने रेकॉर्ड टूट रहे हैं. पर्यटन अधिकारी कीर्तिमान श्रीवास्तव (Tourism Officer Kirtiman Srivastava) का कहना है कि बनारस में आए दिन कोई न कोई इवेंट हो रहा है. इसकी वजह से लगातार लोगों की भीड़ यहां आ रही है. यही नहीं, बनारस में साउथ और पश्चिम बंगाल से बड़ी संख्या में सैलानी आ रहे हैं.
घरेलू पर्यटकों के बनारस आने का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि प्रतिदिन सवा लाख से डेढ़ लाख के बीच लोग काशी विश्वनाथ में दर्शन कर रहे हैं. पहले इतने भक्त सिर्फ सावन और शिवरात्रि के मौके पर आते थे. अभी आलम यह है कि वाराणसी में 28 मार्च से लेकर 16 अप्रैल तक होटल से लेकर टूरिस्ट वीइकल और गाइड्स सभी की एडवांस बुकिंग चल रही है. उम्मीद जताई जा रही है कि विदेशी टूरिस्टों के आगमन के बाद बनारस में पर्यटकों की भीड़ और बढ़ेगी. आर्थिक नजरिये से काफी फायदा वाराणसी को मिलेगा.
जाहिर है जब पर्यटकों की बढ़ेगी तो इससे जुड़े लोगों को भी फायदा होगा. टूरिस्ट एसोसिएशन के पदाधिकारियों का मानना है कि बनारस में 2019 तक सलाना 65 लाख घरेलू पर्यटक आते थे, अब 3 महीनों में ही 47 लाख के आसपास सैलानी आ चुके है. इस हिसाब से अनुमान लगाया जा रहा है कि 2022 में करीब डेढ़ करोड़ सैलानी बनारस आने वाले हैं. पर्यटकों की यह संख्या वाराणसी के पर्यटन कारोबार को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाला साबित होने वाला है.
पदाधिकारियों का कहना है कि जिस तरह से वाराणसी में पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है, उसकी वजह से यहां होटलों की कमी महसूस होने लगी है. टूरिस्टों के लिए पड़ोसी जिलों से गाड़ियों की व्यवस्था करनी पड़ रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि कई मल्टीनेशनल कंपनियां अपने सेमिनार और इयरली मीटिंग जैसे बड़े कार्यक्रम भी बनारस में ही आकर कर रही हैं. इसकी वजह से पर्यटन को एक नया आयाम मिल रहा है.
फिलहाल लगातार वाराणसी में पर्यटकों के आने से यहां बीते 2 सालों के नुकसान की भरपाई होती दिखाई दे रही है और यदि ऐसा ही दो-तीन महीने तक चलता रहा तो कोरोना से हुए नुकसान की रिकवरी हो जाएगी .
साल दर साल सैलानियों का हाल
वर्ष | संख्या (लगभग में) |
2015 | 57,16, 297 |
2016 | 59,12,665 |
2017 | 62,82,215 |
2018 | 64,45,160 |
2019 | 67,97,775 |
2020 | 88,93,239 |
2021 | 30,78,479 |
2022- 29 मार्च तक | 47 लाख |
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