नई दिल्ली: गृह सचिव अजय कुमार भल्ला (Home Secretary Ajay Kumar Bhalla) और अतिरिक्त सचिव (पूर्वोत्तर) पीयूष गोयल (Additional Secretary (Northeast) Piyush Goyal) सहित गृह मंत्रालय (Ministry Of Home Affairs) के शीर्ष अधिकारियों ने शुक्रवार को असम और मेघालय के बीच सीमा समझौते (Assam-Meghalaya border agreement) की समीक्षा की. जिसे दिल्ली में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच मंगलवार को अंतिम रूप दिया जाना है.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Assam Chief Minister Himanta Biswa Sarma) और उनके मेघालय के उनके समकक्ष कोनराड संगमा (Meghalaya counterpart Conrad Sangma), केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) की उपस्थिति में शाम 4:30 बजे दशकों से चल रहे विवाद को समाप्त करने के लिए सीमा समझौते को अंतिम रूप देंगे. एमएचए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि गृह सचिव भल्ला और अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल ने नॉर्थ ब्लॉक में एक घंटे की लंबी बैठक की, जहां दोनों अधिकारियों ने मसौदा समझौते पर विस्तार से चर्चा की. बैठक में दोनों राज्यों के मुख्य सचिव ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से भाग लिया.
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मसौदा समझौते के अनुसार दोनों राज्य छह विवादित क्षेत्रों पर आपसी समझौते के लिए सहमत हुए. मंगलवार को होने वाली बैठक में तय हुए समझौते के तहत 36.79 किलोमीटर की विवादित सीमा (पहले चरण में) में असम 18.51 किलोमीटर जबकि मेघालय 18.28 किलोमीटर जमीन अपने पास रखेगा. इससे पहले जनवरी में दोनों मुख्यमंत्रियों ने गृह मंत्री शाह से मुलाकात की थी और सीमा विवाद को खत्म करने के लिए अपना प्रस्ताव पेश किया था.
उल्लेखनीय है कि यह विवाद काफी पहले 1972 में शुरू हुआ था जब मेघालय को असम से अलग कर बनाया गया था. नए राज्यों के निर्माण के लिए प्रारंभिक समझौते में दोनों राज्यों के बीच सीमा सीमांकन के अलग-अलग रीडिंग के परिणामस्वरूप सीमा पर विवाद पैदा हुआ था. कुल 12 विवादित सीमा क्षेत्रों में से, दोनों राज्य हाहिम, गिज़ांग, ताराबारी, बोकलापारा, खानापारा-पिलिंगकाटा और रातचेरा सहित छह विवादित क्षेत्रों पर एक समझौता करने के लिए सहमत हुए.
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दोनों राज्यों के प्रभावशाली छात्र संगठनों के साथ-साथ विपक्षी दलों सहित कई हितधारकों ने सरकार से समझौते को अंतिम रूप देते समय सावधानी बरतने को कहा है. ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) की अध्यक्ष दीपंका नाथ ने ईटीवी भारत से कहा कि हम भी सीमा विवाद का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं. लेकिन सभी संबंधित विशेषकर विवादित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को विश्वास में लिया जाना चाहिए. उन्होंने दावा किया कि प्रस्तावित सीमा समझौते पर अभी भी कुछ आपत्तियां हैं.