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तोमर की प्रदर्शनकारी किसानों से अपील, प्रदर्शन खत्म कर वार्ता के लिए आएं

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Published : Jul 22, 2021, 7:58 PM IST

जंतर-मंतर पर किसानों के प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, किसानों को विरोध का रास्ता छोड़कर वार्ता के लिए आना चाहिए. यदि वे विधेयकों में किन्हीं मुद्दों को लेकर आते हैं तो हम उन पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं. यदि वे अपने प्रस्ताव के साथ आते हैं तो हम चर्चा के लिए तैयार हैं.

तोमर
तोमर

नई दिल्ली : तीन नये कृषि कानूनों का विरोध (three new agricultural laws) कर रहे कुछ किसान आज (गुरुवार) अपना विरोध जताने जंतर-मंतर पहुंचे थे, इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) ने किसानों से आंदोलन का रास्ता छोड़कर वार्ता के लिए आने की अपील की. तोमर ने दावा किया कि देशभर में किसानों ने तीनों कृषि कानूनों का समर्थन किया है.

दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल (Delhi Lieutenant Governor Anil Baijal) से विशेष अनुमति मिलने के बाद 200 किसानों का एक समूह संसद के मानसून सत्र के बीच केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में मध्य दिल्ली में संसद भवन परिसर के समीप जंतर मंतर पहुंचा. उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच नौ अगस्त तक प्रदर्शन करने की इजाजत मिली है.

जंतर-मंतर पर किसानों के प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर तोमर ने कहा, मैं आपके (मीडिया के) माध्यम से बताना चाहता हूं कि किसानों को विरोध का रास्ता छोड़कर वार्ता के लिए आना चाहिए. यदि वे विधेयकों में किन्हीं मुद्दों को लेकर आते हैं तो हम उन पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, यदि वे अपने प्रस्ताव के साथ आते हैं तो हम चर्चा के लिए तैयार हैं.

पढ़ें- आंदोलनकारी किसान नहीं, मवाली हैं : मीनाक्षी लेखी

मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील है और पिछले सात सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में कई अहम कदम उठाये गये हैं, जिनके फायदे देशभर में किसानों तक पहुंच रहे हैं. उन्होंने दृढ़ता के साथ कहा, तीनों कृषि विधेयक इस दिशा में एक कदम हैं. देशभर में किसानों ने इन विधेयकों का समर्थन किया है.

तोमर ने बुधवार को लोकसभा में लिखित जवाब में यह दोहराया था कि सरकार पिछले साल संसद से पारित हुए तीनों कृषि कानूनों को लेकर मुद्दों के समाधान के लिए प्रदर्शनकारी कृषक संगठनों के साथ चर्चा के लिए तैयार है.

मंत्री ने कहा, सरकार मुद्दों के समाधान के लिए कृषक संगठनों के साथ गंभीर, संवेदनशील एवं सक्रिय चर्चा में शामिल रही है. चर्चा के विभिन्न दौर के दौरान सरकार ने किसान संगठनों से कृषि कानूनों के प्रावधानों पर चर्चा करने का लगातार अनुरोध किया ताकि यदि किसी प्रावधान पर कोई आपत्ति हो तो उसके समाधान के लिए बात आगे बढ़ायी जाए, लेकिन किसान संगठन तीनों कानूनों के निरसन पर अड़े हुए हैं.

पढ़ें- भारत में गरीब और अमीर के लिए दो समानांतर कानूनी प्रणालियां नहीं हो सकतीं : न्यायालय

खासकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान तीनों कृषि कानूनों के विरोध में सात महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं.

गतिरोध दूर करने के लिए सरकार व संगठनों के बीच 11दौर की बातचीत हो चुकी है, आखिरी दौर की वार्ता 22 जनवरी हो हुई थी, लेकिन 26 जनवरी को प्रदर्शनकारी किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान व्यापक हिंसा के बाद वार्ता बहाल नहीं हुई.

उच्चतम न्यायालय ने अगले आदेश तक इन कानूनों के क्रियान्वयन पर स्थगन लगा रखा है और उन्होंने समाधान ढूंढने के लिए समिति बनायी है. समिति भी अपनी रिपोर्ट दे चुकी है.

(भाषा)

नई दिल्ली : तीन नये कृषि कानूनों का विरोध (three new agricultural laws) कर रहे कुछ किसान आज (गुरुवार) अपना विरोध जताने जंतर-मंतर पहुंचे थे, इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) ने किसानों से आंदोलन का रास्ता छोड़कर वार्ता के लिए आने की अपील की. तोमर ने दावा किया कि देशभर में किसानों ने तीनों कृषि कानूनों का समर्थन किया है.

दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल (Delhi Lieutenant Governor Anil Baijal) से विशेष अनुमति मिलने के बाद 200 किसानों का एक समूह संसद के मानसून सत्र के बीच केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में मध्य दिल्ली में संसद भवन परिसर के समीप जंतर मंतर पहुंचा. उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच नौ अगस्त तक प्रदर्शन करने की इजाजत मिली है.

जंतर-मंतर पर किसानों के प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर तोमर ने कहा, मैं आपके (मीडिया के) माध्यम से बताना चाहता हूं कि किसानों को विरोध का रास्ता छोड़कर वार्ता के लिए आना चाहिए. यदि वे विधेयकों में किन्हीं मुद्दों को लेकर आते हैं तो हम उन पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, यदि वे अपने प्रस्ताव के साथ आते हैं तो हम चर्चा के लिए तैयार हैं.

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मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील है और पिछले सात सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में कई अहम कदम उठाये गये हैं, जिनके फायदे देशभर में किसानों तक पहुंच रहे हैं. उन्होंने दृढ़ता के साथ कहा, तीनों कृषि विधेयक इस दिशा में एक कदम हैं. देशभर में किसानों ने इन विधेयकों का समर्थन किया है.

तोमर ने बुधवार को लोकसभा में लिखित जवाब में यह दोहराया था कि सरकार पिछले साल संसद से पारित हुए तीनों कृषि कानूनों को लेकर मुद्दों के समाधान के लिए प्रदर्शनकारी कृषक संगठनों के साथ चर्चा के लिए तैयार है.

मंत्री ने कहा, सरकार मुद्दों के समाधान के लिए कृषक संगठनों के साथ गंभीर, संवेदनशील एवं सक्रिय चर्चा में शामिल रही है. चर्चा के विभिन्न दौर के दौरान सरकार ने किसान संगठनों से कृषि कानूनों के प्रावधानों पर चर्चा करने का लगातार अनुरोध किया ताकि यदि किसी प्रावधान पर कोई आपत्ति हो तो उसके समाधान के लिए बात आगे बढ़ायी जाए, लेकिन किसान संगठन तीनों कानूनों के निरसन पर अड़े हुए हैं.

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खासकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान तीनों कृषि कानूनों के विरोध में सात महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं.

गतिरोध दूर करने के लिए सरकार व संगठनों के बीच 11दौर की बातचीत हो चुकी है, आखिरी दौर की वार्ता 22 जनवरी हो हुई थी, लेकिन 26 जनवरी को प्रदर्शनकारी किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान व्यापक हिंसा के बाद वार्ता बहाल नहीं हुई.

उच्चतम न्यायालय ने अगले आदेश तक इन कानूनों के क्रियान्वयन पर स्थगन लगा रखा है और उन्होंने समाधान ढूंढने के लिए समिति बनायी है. समिति भी अपनी रिपोर्ट दे चुकी है.

(भाषा)

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