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टोक्यो पैरालंपिक में छा गईं पावरलिफ्टर सकीना, बिना मेडल जीते ही रचा इतिहास

टोक्यो पैरालंपिक 2020 में भारत अपना अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. भारत की पॉवरलिफ्टर सकीना खातून ने शुक्रवार को टोक्यो पैरालंपिक में महिलाओं की पॉवरलिफ्टिंग स्पर्धा की शुरुआत में ही 90 किग्रा सफलतापूर्वक उठा लिया और पहला राउड जीत लिया.

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Published : Aug 27, 2021, 12:49 PM IST

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पावरलिफ्टर सकीना खातून

टोक्यो: टोक्यो पैरालंपिक 2020 खेलों के तीसरे दिन भारत की ओर से सकीना खातून ने पावरलिफ्टिंग में देश का प्रतिनिधित्व किया. वह 50 किलो ग्राम के इवेंट में पांचवें स्थान पर रहीं और मेडल जीतने से तो चूक गईं.

बता दें, सकीना पैरालंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली महिला पावरलिफ्टर हैं. आज तक केवल पुरुषों ने ही इस खेल में भारत का प्रतिनिधित्व किया था.

उन्होंने दुबई में पैरा पावरलिफ्टिंग विश्व कप में 80 किग्रा भार उठाकर 45 किग्रा वर्ग में सिल्वर मेडल जीतकर टोक्यो पैरालंपिक खेलों के लिए क्वालिफाई किया. इसके अलावा वो कॉमनवेल्थ खेलों में पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय महिला पैरा एथलीट हैं.

सकीना के अलावा शुक्रवार को 65 किलोग्राम में पावरलिफ्टर जयदीप देसवाल भी देश के लिए मेडल लाने उतरेंगे.

यह भी पढ़ें: टोक्यो पैरालंपिक: आर्चरी के रैंकिंग राउंड में 15वें स्थान पर रहीं ज्योति

पैरालंपिक से जुड़ी जरूरी जानकारी

पावरलिफ्टिंग खेलों में हर खिलाड़ी को तीन अटेंप्ट दिए जाते हैं, जिसमें से उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन गिना जाता है.

सकीना खातून ने पहले अटेंप्ट में 90 किलोग्राम का वजन उठाया था. उसके बाद अगले दो अटेंप्ट में उन्होंने 93 किलो ग्राम का वजन उठाया.

93 किलोग्राम के साथ वह पांचवें स्थान पर रहीं.

इवेंट का गोल्ड मेडल चीन की एचयू डी के नाम रहा, जिन्होंने 120 किलोग्राम वजन उठाया.

वहीं दूसरा स्थान पर इजिप्ट की आर अहमद रहीं उन्होंने 120 किलोग्राम उठाकर पैरालिंपिक रिकॉर्ड कायम किया, लेकिन एक फेल अटेंप्ट के कारण वह सिल्वर मेडल ही अपने नाम कर पाईं.

यह भी पढ़ें: Heart Surgery के बाद न्यूजीलैंड के पूर्व क्रिकेटर Chris Cairns के पैरों में हुआ लकवा

सकीना के बारे में

सकीना का जन्म 20 जून 1989 को बैंगलोर के एक किसान परिवार में हुआ था.

कम उम्र में ही वो पोलियो का शिकार हो गईं थीं.

खातून को बहुत छोटी उम्र से ही खेलों का शौक था. इस शौक ने उन्हें कुछ असाधारण करने के लिए प्रेरित किया.

डॉक्टर्स की सलाह पर उन्होंने सर्जरी कराई और साल 2010 में 12वीं कक्षा पूरी करने के बाद पावरलिफ्टिंग में ट्रेनिंग शुरू किया.

खातून को साल 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए चुना गया.

उन्होंने कुल 88.2 किग्रा भार उठाकर 61 किग्रा वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर और पहली बार सुर्खियों में आईं.

साल 2018 में, इंडोनेशिया के जकार्ता में आयोजित एशियाई पैरा खेलों में खातून दूसरे स्थान पर रही थीं.

टोक्यो: टोक्यो पैरालंपिक 2020 खेलों के तीसरे दिन भारत की ओर से सकीना खातून ने पावरलिफ्टिंग में देश का प्रतिनिधित्व किया. वह 50 किलो ग्राम के इवेंट में पांचवें स्थान पर रहीं और मेडल जीतने से तो चूक गईं.

बता दें, सकीना पैरालंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली महिला पावरलिफ्टर हैं. आज तक केवल पुरुषों ने ही इस खेल में भारत का प्रतिनिधित्व किया था.

उन्होंने दुबई में पैरा पावरलिफ्टिंग विश्व कप में 80 किग्रा भार उठाकर 45 किग्रा वर्ग में सिल्वर मेडल जीतकर टोक्यो पैरालंपिक खेलों के लिए क्वालिफाई किया. इसके अलावा वो कॉमनवेल्थ खेलों में पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय महिला पैरा एथलीट हैं.

सकीना के अलावा शुक्रवार को 65 किलोग्राम में पावरलिफ्टर जयदीप देसवाल भी देश के लिए मेडल लाने उतरेंगे.

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पैरालंपिक से जुड़ी जरूरी जानकारी

पावरलिफ्टिंग खेलों में हर खिलाड़ी को तीन अटेंप्ट दिए जाते हैं, जिसमें से उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन गिना जाता है.

सकीना खातून ने पहले अटेंप्ट में 90 किलोग्राम का वजन उठाया था. उसके बाद अगले दो अटेंप्ट में उन्होंने 93 किलो ग्राम का वजन उठाया.

93 किलोग्राम के साथ वह पांचवें स्थान पर रहीं.

इवेंट का गोल्ड मेडल चीन की एचयू डी के नाम रहा, जिन्होंने 120 किलोग्राम वजन उठाया.

वहीं दूसरा स्थान पर इजिप्ट की आर अहमद रहीं उन्होंने 120 किलोग्राम उठाकर पैरालिंपिक रिकॉर्ड कायम किया, लेकिन एक फेल अटेंप्ट के कारण वह सिल्वर मेडल ही अपने नाम कर पाईं.

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सकीना के बारे में

सकीना का जन्म 20 जून 1989 को बैंगलोर के एक किसान परिवार में हुआ था.

कम उम्र में ही वो पोलियो का शिकार हो गईं थीं.

खातून को बहुत छोटी उम्र से ही खेलों का शौक था. इस शौक ने उन्हें कुछ असाधारण करने के लिए प्रेरित किया.

डॉक्टर्स की सलाह पर उन्होंने सर्जरी कराई और साल 2010 में 12वीं कक्षा पूरी करने के बाद पावरलिफ्टिंग में ट्रेनिंग शुरू किया.

खातून को साल 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए चुना गया.

उन्होंने कुल 88.2 किग्रा भार उठाकर 61 किग्रा वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर और पहली बार सुर्खियों में आईं.

साल 2018 में, इंडोनेशिया के जकार्ता में आयोजित एशियाई पैरा खेलों में खातून दूसरे स्थान पर रही थीं.

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