नई दिल्ली/नोएडा : नोएडा सेक्टर 93ए के सुपरटेक ट्विन टावर (TWIN TOWER) को गिराने से पहले का ट्रायल रविवार को मात्र 3 सेकंड में पूरा हो गया. अब अगले 10 से 15 दिनों में इस ट्रायल के क्या परिणाम निकले, यह तय हो जाएगा और 22 मई को इमारत जमींदोज हो सकेगी या नहीं इसपर भी मुहर लग जाएगी. अधिकारियों ने यह साफ कर दिया है कि, ट्रायल ब्लास्ट (Test Blast) के परिणाम तुरन्त नहीं आते हैं, इसकी रिपोर्ट बाद में भेजी जाएगी. रविवार को 2 बजकर 30 सेकंड पर ट्रायल ब्लास्ट हुआ और इस ब्लास्ट में करीब 3 से 4 किलो वोस्फोटक का इस्तेमाल किया गया.
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इमारत के 6 अलग-अलग पैनलों पर इसका ट्रायल हुआ, जिसमें अलग-अलग मात्रा में विस्फोटक लगाया गया और विभिन्न तरह के सुरक्षा मापदंडों का उपयोग भी हुआ. 32 मंजिला ट्विन टॉवर को ढहाने का काम मुंबई की एडिफिस एजेंसी को दिया गया है जिसने दक्षिण अफ्रीका की कंपनी जेट डेमोलिशन एजेंसी को इस काम के लिए अपना सहयोगी बनाया है. ये टावर सुपरटेक बिल्डर ने अवैध तरीके से बनाए थे, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने ध्वस्त करने का आदेश दिया था.
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जेट डिमोलिशन के प्रबंध निदेशक जोसेफ ब्रिंकमैन ने बताया कि हम आज के ट्रायल से संतुष्ट हैं, यह इमारत मजबूती से बनी हुई है. इमारत को ध्वस्त करना हमारे लिए बेहद चुनौतीपूर्ण है, लेकिन साथ काम करने के लिए हमारे पास सही क्रू है. इसलिए हम इस चुनौती को मात दे देंगे. ट्रायल ब्लास्ट के बाद अधिकारियों को अच्छे परिणाम मिले हैं और अगले 10 से 15 दिनों में इस ब्लास्ट के परिणामों पर स्टडी की जाएगी, जिसके बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होगी.
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इमारत को ध्वस्त करने में होने वाले वायु प्रदूषण पर भी अधिकारी काम कर रहे हैं. साथ ही विस्फोटक से होने वाले वाइब्रेशन से स्थानीय इमारतों को कैसे सुरक्षित रखा जाए और कैसे वाइब्रेशन कम से कम हो इसपर भी अब स्टडी की जाएगी. इसपर साप्ताहिक रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है. रविवार के ट्रायल ब्लास्ट के बाद अगले 10 से 15 दिनों में यह भी पता चल सकेगा कि कितना वाइब्रेशन हुआ है, कितना विस्फोटक की जरूरत पड़ेगी. आईआईटी मद्रास, चेन्नई से लोगों ने आकर विस्फोटक से होने वाले वाइब्रेशन को नापा है. 6 बिंदुओं पर इसकी मॉनिटरिंग हुई है इसमें गेल के पाइपलाइन पर इसका असर और स्थानीय इमारतों पर असर शामिल हैं.