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'UNHRC में श्रीलंका के खिलाफ वोटिंग से भारत का दूर रहना ईलम तमिलों के साथ धोखा'

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) ने मंगलवार को श्रीलंका के मानवाधिकार रिकॉर्ड के खिलाफ एक कड़ा प्रस्ताव पारित किया, जो श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के लिए एक झटका है.

एम के स्टालिन
एम के स्टालिन
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Published : Mar 24, 2021, 7:22 AM IST

चेन्नई : तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी दल द्रमुक और एमडीएमके समेत उनके सहयोगियों ने श्रीलंका के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रस्ताव पर मतदान से भारत के दूर रहने को लेकर केंद्र की मंगलवार को आलोचना की और इसे ईलम तमिल लोगों के साथ किया गया 'अक्षम्य धोखा' करार दिया.

ईलम का अर्थ है मातृभूमि और तमिलनाडु में राजनीतिक दल एवं अन्य लोग पड़ोसी देश श्रीलंका में रहने वाले तमिलों को ईलम तमिल कहते हैं.

पढ़ें- 'बंगबंधु' ने बांग्लादेश को पाकिस्तान से मुक्त करने में निभाई थी अहम भूमिका

द्रमुक प्रमुख एम के स्टालिन ने आरोप लगाया कि मतदान के दूर रहने के फैसले ने दर्शाया कि भाजपा नीत केंद्र सरकार ने श्रीलंका का समर्थन किया और ईलम तमिल लोगों के खिलाफ कदम उठाया.

उन्होंने कहा, आज भारतीय प्रतिनिधि मतदान में भाग लिए बगैर चले गए. यह भारत सरकार द्वारा ईलम तमिलों के साथ किया गया अक्षम्य और बड़ा धोखा है.

पढ़ें- राष्ट्रीय अवसंरचना और विकास वित्त-पोषण बैंक विधेयक को मंजूरी

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) ने मंगलवार को श्रीलंका के मानवाधिकार रिकॉर्ड के खिलाफ एक कड़ा प्रस्ताव पारित किया, जो श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के लिए एक झटका है, जिन्होंने इस प्रस्ताव पर मतदान से पहले अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने के लिए काफी प्रयास किए थे.

यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र निकाय को लिट्टे के खिलाफ गृह युद्ध में देश द्वारा किये गए अपराधों के संबंध में साक्ष्य एकत्रित करने को अधिकृत करता है.

चेन्नई : तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी दल द्रमुक और एमडीएमके समेत उनके सहयोगियों ने श्रीलंका के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रस्ताव पर मतदान से भारत के दूर रहने को लेकर केंद्र की मंगलवार को आलोचना की और इसे ईलम तमिल लोगों के साथ किया गया 'अक्षम्य धोखा' करार दिया.

ईलम का अर्थ है मातृभूमि और तमिलनाडु में राजनीतिक दल एवं अन्य लोग पड़ोसी देश श्रीलंका में रहने वाले तमिलों को ईलम तमिल कहते हैं.

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द्रमुक प्रमुख एम के स्टालिन ने आरोप लगाया कि मतदान के दूर रहने के फैसले ने दर्शाया कि भाजपा नीत केंद्र सरकार ने श्रीलंका का समर्थन किया और ईलम तमिल लोगों के खिलाफ कदम उठाया.

उन्होंने कहा, आज भारतीय प्रतिनिधि मतदान में भाग लिए बगैर चले गए. यह भारत सरकार द्वारा ईलम तमिलों के साथ किया गया अक्षम्य और बड़ा धोखा है.

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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) ने मंगलवार को श्रीलंका के मानवाधिकार रिकॉर्ड के खिलाफ एक कड़ा प्रस्ताव पारित किया, जो श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के लिए एक झटका है, जिन्होंने इस प्रस्ताव पर मतदान से पहले अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने के लिए काफी प्रयास किए थे.

यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र निकाय को लिट्टे के खिलाफ गृह युद्ध में देश द्वारा किये गए अपराधों के संबंध में साक्ष्य एकत्रित करने को अधिकृत करता है.

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