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Manipur violence : टीएमसी ने की मणिपुर में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने की मांग - मणिपुर हिंसा का हल

मणिपुर हिंसा का हल निकालने के लिए एक तरफ जहां केंद्र सर्वदलीय बैठक कर रहा है, वहीं टीएमसी ने राज्य में प्रतिनिधिमंडल भेजने की मांग की है. पढ़ें पूरी खबर.

Manipur violence
मणिपुर हिंसा
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Published : Jun 24, 2023, 6:55 PM IST

नई दिल्ली: अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (एआईटीसी) ने शनिवार को केंद्र से अगले एक सप्ताह में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल मणिपुर भेजने की मांग की. एक बयान में तृणमूल कांग्रेस ने कहा, 'केंद्र सरकार की ओर से अब तक का संदेश अनदेखी का ही रहा है; इसे उपचार, देखभाल, शांति और सद्भाव बहाल करने में बदलने की जरूरत है.'

टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन मणिपुर पर गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भाग ले रहे हैं. पार्टी ने कहा कि राज्य में निराशा, भय और हताशा का माहौल व्याप्त है.

टीएमसी ने कहा कि 'कई लोगों की मौत हो गई है. छात्र प्रभावित हैं, वे स्कूलों या कॉलेजों में नहीं जा सकते या राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षाओं में शामिल नहीं हो सकते. मरीज़ प्रभावित हैं, उन्हें अस्पतालों में नहीं ले जाया जा सकता या अन्य स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं. आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं. लोग डर में जी रहे हैं. 4000 से अधिक घरों पर हमला किया गया और उन्हें नष्ट कर दिया गया, और 60,000 लोग विस्थापित हो गए.'

उन्होंने कहा कि 'सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन करते हुए राज्य भर में 50 दिनों से अधिक समय से इंटरनेट सेवाएं अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर दी गई हैं. राज्य में संवैधानिक तंत्र पूरी तरह ध्वस्त हो गया है.'

इसमें आगे कहा गया कि गृह मंत्री ने हिंसा शुरू होने के लगभग चार सप्ताह बाद मणिपुर का दौरा किया, लेकिन वह केवल शिविरों में गए, और चुनिंदा लोगों से मिले.

पार्टी ने कहा कि 'उन्होंने केवल प्रतिध्वनि सुनी. वह सड़कों पर उन लोगों से नहीं मिले जो प्रभावित हुए हैं, जो आघात से गुजर रहे हैं. गृह मंत्री के तीन दिवसीय दौरे से स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ. वास्तव में, उसके बाद हालात बिगड़ गए.'

पार्टी ने कहा कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गृह मंत्री को पत्र लिखकर एक दिवसीय दौरे के लिए मणिपुर जाने की अनुमति देने का अनुरोध किया है. तीन सप्ताह से अधिक समय हो गया मंत्री की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

उग्रवाद, भूमि स्वामित्व, कानून व्यवस्था जैसे गंभीर मुद्दे हैं. टीएमसी ने कहा, 'उनसे संवेदनशील तरीके से निपटने की जरूरत है. मणिपुर और उत्तर-पूर्व में लोगों का विश्वास दोबारा हासिल करने के लिए सभी हितधारकों को शामिल करके चर्चा के माध्यम से ही शांतिपूर्ण समाधान प्राप्त किया जा सकता है. जातीय मुद्दे के रूप में शुरू हुआ यह संघर्ष अब तीव्र सांप्रदायिक मोड़ ले चुका है.'

पार्टी ने कहा कि उग्र भीड़ ने 250 चर्चों और 17 मंदिरों को जला दिया, क्षतिग्रस्त कर दिया. टीएमसी ने कहा कि 'प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और चर्च के नेताओं के बीच केवल फोटो खिंचवाने का अवसर समाधान नहीं है. केंद्र सरकार को यह तय करना होगा कि क्या वह किसी राजनीतिक दल के हितों के अनुरूप विभाजन पैदा करना चाहती है, या क्या वह स्थायी एकता और शांति बनाना चाहती है. हम यहां राजनीति करने के लिए नहीं, बल्कि रचनात्मक सुझाव देने के लिए आए हैं. केंद्र सरकार को पहले अपनी विफलताओं को स्वीकार करना चाहिए और सही कदम उठाना चाहिए.'

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टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन मणिपुर पर गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भाग ले रहे हैं. पार्टी ने कहा कि राज्य में निराशा, भय और हताशा का माहौल व्याप्त है.

टीएमसी ने कहा कि 'कई लोगों की मौत हो गई है. छात्र प्रभावित हैं, वे स्कूलों या कॉलेजों में नहीं जा सकते या राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षाओं में शामिल नहीं हो सकते. मरीज़ प्रभावित हैं, उन्हें अस्पतालों में नहीं ले जाया जा सकता या अन्य स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं. आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं. लोग डर में जी रहे हैं. 4000 से अधिक घरों पर हमला किया गया और उन्हें नष्ट कर दिया गया, और 60,000 लोग विस्थापित हो गए.'

उन्होंने कहा कि 'सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन करते हुए राज्य भर में 50 दिनों से अधिक समय से इंटरनेट सेवाएं अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर दी गई हैं. राज्य में संवैधानिक तंत्र पूरी तरह ध्वस्त हो गया है.'

इसमें आगे कहा गया कि गृह मंत्री ने हिंसा शुरू होने के लगभग चार सप्ताह बाद मणिपुर का दौरा किया, लेकिन वह केवल शिविरों में गए, और चुनिंदा लोगों से मिले.

पार्टी ने कहा कि 'उन्होंने केवल प्रतिध्वनि सुनी. वह सड़कों पर उन लोगों से नहीं मिले जो प्रभावित हुए हैं, जो आघात से गुजर रहे हैं. गृह मंत्री के तीन दिवसीय दौरे से स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ. वास्तव में, उसके बाद हालात बिगड़ गए.'

पार्टी ने कहा कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गृह मंत्री को पत्र लिखकर एक दिवसीय दौरे के लिए मणिपुर जाने की अनुमति देने का अनुरोध किया है. तीन सप्ताह से अधिक समय हो गया मंत्री की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

उग्रवाद, भूमि स्वामित्व, कानून व्यवस्था जैसे गंभीर मुद्दे हैं. टीएमसी ने कहा, 'उनसे संवेदनशील तरीके से निपटने की जरूरत है. मणिपुर और उत्तर-पूर्व में लोगों का विश्वास दोबारा हासिल करने के लिए सभी हितधारकों को शामिल करके चर्चा के माध्यम से ही शांतिपूर्ण समाधान प्राप्त किया जा सकता है. जातीय मुद्दे के रूप में शुरू हुआ यह संघर्ष अब तीव्र सांप्रदायिक मोड़ ले चुका है.'

पार्टी ने कहा कि उग्र भीड़ ने 250 चर्चों और 17 मंदिरों को जला दिया, क्षतिग्रस्त कर दिया. टीएमसी ने कहा कि 'प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और चर्च के नेताओं के बीच केवल फोटो खिंचवाने का अवसर समाधान नहीं है. केंद्र सरकार को यह तय करना होगा कि क्या वह किसी राजनीतिक दल के हितों के अनुरूप विभाजन पैदा करना चाहती है, या क्या वह स्थायी एकता और शांति बनाना चाहती है. हम यहां राजनीति करने के लिए नहीं, बल्कि रचनात्मक सुझाव देने के लिए आए हैं. केंद्र सरकार को पहले अपनी विफलताओं को स्वीकार करना चाहिए और सही कदम उठाना चाहिए.'

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