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कोरोना महामारी : बढ़ानी होगी टीकाकरण की गति

भारत में कोरोना टीकाकरण की गति काफी धीमी है. भारत बायोटेक और सीरम दोनों ने टीके के उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार से मदद मांगी है. कई राज्यों ने टीके की कमी का मुद्दा भी उठाया है. हालांकि, केंद्र सरकार का कहना है कि टीके पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं, इस पर राजनीति न की जाए.

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कोरोना टीकाकरण
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Published : Apr 11, 2021, 12:52 PM IST

हैदराबाद : कोरोना की दूसरी लहर बहुत ही खतरनाक है. यह तेजी से फैल रहा है. एक दिन में संक्रमित व्यक्तियों की संख्या डेढ़ लाख तक को पार कर चुका है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी मुख्यमंत्रियों से टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट पर जोर देने को कहा है. इसको और अधिक बढ़ावा देने के लिए ही आज से टीका उत्सव मनाया जा रहा है. यह 14 अप्रैल तक चलेगा. इसके तहत वैसे सभी सरकारी और निजी संस्थाओं में टीकाकरण अभियान की शुरुआत की गई है, जहां पर 100 से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं. अभी हम एक दिन में 40 लाख लोगों को टीका देने की क्षमता हासिल कर पाए हैं. इस आंकड़े को बढ़ाने के लिए अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है.

कार्यालयों या कार्यस्थलों पर टीकाकरण अभियान को सफल बनाने के लिए दक्ष लोगों की जरूरत पड़ेगी. उतनी मात्रा में टीका को उपलब्ध करवाना होगा. इस बीच टीके की कमी को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप अलग से लग रहे हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि महाराष्ट्र टीके की कमी को लेकर राजनीति कर रहा है. उनके अनुसार राज्य सरकार अपनी नाकामी को छिपाने के लिए इस तरह के आरोप लगा रही है. हालांकि, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, केरल, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान ने भी टीके की कमी का मुद्दा उठाया है.

टीके के उत्पादन की क्षमता कितनी है, इन आंकड़ों को छिपाया नहीं जा सकता है. इस तरह के संकट में जब पूरे देश को एक होने की जरूरत है, कोई भी संवेदनशील व्यक्ति नहीं चाहेगा कि इस पर राजनीति की जाए.

16 जनवरी से कोरोना टीकाकरण की शुरुआत हुई थी. उस समय 30 करोड़ लोगों के लक्ष्य को लेकर अभियान की शुरुआत की गई थी. पहली प्राथमिकता स्वास्थ्य कर्मियों को टीका लगाना था. उसके बाद बुजुर्ग और बीमार व्यक्तियों को टीका लगाना था. लेकिन अभी उसकी गति काफी धीमी है. नीति आयोग के सदस्य प्रो. वीके पॉल ने करीब 18 दिन पहले कहा था कि अगस्त महीने तक सीरम इंस्टीट्यूट 47 करोड़ डोज और भारत बायोटेक 12 करोड़ डोज का उत्पादन करेगा.

एक महीने पहले सीरम का कहना था कि अमेरिकन रक्षा कानून की वजह से वैक्सीन बनाने में उपयोग होने वाले कच्चे पदार्थों के आयात में दिक्कतें आ रहीं हैं. उत्पादन बढ़ाने के लिए सीरम और भारत बायोटेक दोनों ने सरकार से वित्तीय मदद की अपील की है.

इसी साल जनवरी महीने में पीएम मोदी ने कहा था कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हमारा देश दो अलग-अलग वैक्सीन को बनाने में सफल हो गया है. अब पीएम को वैक्सीन के उत्पादन को बढ़ाने में आ रहीं दिक्कतों का हल निकालना चाहिए.

ये भी पढ़ें : कितनी कारगर होगी दुर्लभ बीमारियों के लिए बनी राष्ट्रीय नीति

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि 19 अप्रैल तक अमेरिका के हर नागरिक (18 साल से ज्यादा) को टीका उपलब्ध करवा दिया जाएगा. भारत में फिक्की ने अपील की है कि यहां भी हर व्यस्क को टीका उपलब्ध करवाया जाना चाहिए. जाहिर है, उत्पादन को तेजी से बढ़ाए जाने की जरूरत है. साथ ही उसका सही ढंग से वितरण भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए. इसकी ट्रेकिंग भी जरूरी है ताकि पता चल सके, कितनों को टीका लगा और कितनों को नहीं लगा. सरकार बेहतर तालमेल से ही यह उपलब्धि हासिल कर सकती है.

हैदराबाद : कोरोना की दूसरी लहर बहुत ही खतरनाक है. यह तेजी से फैल रहा है. एक दिन में संक्रमित व्यक्तियों की संख्या डेढ़ लाख तक को पार कर चुका है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी मुख्यमंत्रियों से टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट पर जोर देने को कहा है. इसको और अधिक बढ़ावा देने के लिए ही आज से टीका उत्सव मनाया जा रहा है. यह 14 अप्रैल तक चलेगा. इसके तहत वैसे सभी सरकारी और निजी संस्थाओं में टीकाकरण अभियान की शुरुआत की गई है, जहां पर 100 से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं. अभी हम एक दिन में 40 लाख लोगों को टीका देने की क्षमता हासिल कर पाए हैं. इस आंकड़े को बढ़ाने के लिए अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है.

कार्यालयों या कार्यस्थलों पर टीकाकरण अभियान को सफल बनाने के लिए दक्ष लोगों की जरूरत पड़ेगी. उतनी मात्रा में टीका को उपलब्ध करवाना होगा. इस बीच टीके की कमी को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप अलग से लग रहे हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि महाराष्ट्र टीके की कमी को लेकर राजनीति कर रहा है. उनके अनुसार राज्य सरकार अपनी नाकामी को छिपाने के लिए इस तरह के आरोप लगा रही है. हालांकि, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, केरल, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान ने भी टीके की कमी का मुद्दा उठाया है.

टीके के उत्पादन की क्षमता कितनी है, इन आंकड़ों को छिपाया नहीं जा सकता है. इस तरह के संकट में जब पूरे देश को एक होने की जरूरत है, कोई भी संवेदनशील व्यक्ति नहीं चाहेगा कि इस पर राजनीति की जाए.

16 जनवरी से कोरोना टीकाकरण की शुरुआत हुई थी. उस समय 30 करोड़ लोगों के लक्ष्य को लेकर अभियान की शुरुआत की गई थी. पहली प्राथमिकता स्वास्थ्य कर्मियों को टीका लगाना था. उसके बाद बुजुर्ग और बीमार व्यक्तियों को टीका लगाना था. लेकिन अभी उसकी गति काफी धीमी है. नीति आयोग के सदस्य प्रो. वीके पॉल ने करीब 18 दिन पहले कहा था कि अगस्त महीने तक सीरम इंस्टीट्यूट 47 करोड़ डोज और भारत बायोटेक 12 करोड़ डोज का उत्पादन करेगा.

एक महीने पहले सीरम का कहना था कि अमेरिकन रक्षा कानून की वजह से वैक्सीन बनाने में उपयोग होने वाले कच्चे पदार्थों के आयात में दिक्कतें आ रहीं हैं. उत्पादन बढ़ाने के लिए सीरम और भारत बायोटेक दोनों ने सरकार से वित्तीय मदद की अपील की है.

इसी साल जनवरी महीने में पीएम मोदी ने कहा था कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हमारा देश दो अलग-अलग वैक्सीन को बनाने में सफल हो गया है. अब पीएम को वैक्सीन के उत्पादन को बढ़ाने में आ रहीं दिक्कतों का हल निकालना चाहिए.

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अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि 19 अप्रैल तक अमेरिका के हर नागरिक (18 साल से ज्यादा) को टीका उपलब्ध करवा दिया जाएगा. भारत में फिक्की ने अपील की है कि यहां भी हर व्यस्क को टीका उपलब्ध करवाया जाना चाहिए. जाहिर है, उत्पादन को तेजी से बढ़ाए जाने की जरूरत है. साथ ही उसका सही ढंग से वितरण भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए. इसकी ट्रेकिंग भी जरूरी है ताकि पता चल सके, कितनों को टीका लगा और कितनों को नहीं लगा. सरकार बेहतर तालमेल से ही यह उपलब्धि हासिल कर सकती है.

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