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पॉक्सो अधिनियम में संशोधन का समय आ गया : न्यायमूर्ति बनर्जी

सुप्रीम कोर्ट की जज इंदिरा बनर्जी ने कहा है कि पॉक्सो अधिनियम ( POCSO Act ) के तहत की गई शिकायतों से निपटने के लिए संभवत: इस अधिनियम में संशोधन का समय आ गया है.

Supreme Court judge Justice Indira Banerjee
न्यायमूर्ति बनर्जी
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Published : Apr 9, 2022, 9:17 PM IST

Updated : Apr 9, 2022, 9:43 PM IST

कोलकाता : उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी (Supreme Court judge Justice Indira Banerjee) ने शनिवार को कहा कि 18 साल की उम्र के करीब या कुछ समय पहले ही बालिग होने वाले लोगों के बीच संबंध होने से जुड़े मामलों में तीसरे पक्ष द्वारा पॉक्सो अधिनियम ( POCSO Act ) के तहत की गई शिकायतों से निपटने के लिए संभवत: इस अधिनियम में संशोधन का समय आ गया है.

ऐसे किशोरों के बीच संबंध के कुछ मामलों में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम (पोक्सो अधिनियम) के दुरुपयोग के आरोप लगते रहे हैं. न्यायमूर्ति बनर्जी ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम के तहत ऐसे मामले आए हैं जिनमें कॉलेज के विद्यार्थियों के बीच प्रेम संबंध हो गया और एक की उम्र 17 साल 11 महीने हैं जबकि उसी कक्षा में पढ़ने वाले दूसरे की उम्र 18 साल एक महीने है.

मानव तस्करी और बाल कल्याण के प्रति जागरूकता पैदा करने वाले मंच पर बोलते हुए उन्होंने कहा, 'क्या उम्र महज संख्या है? क्या एक व्यक्ति जो साढ़े सत्रह साल का है और दूसरा 18 साल एक महीने का है उनमें बहुत अंतर होता है? मैं इसका उल्लेख बच्चों के सरंक्षण को लेकर ऐसे कानूनों के संदर्भ में कर रही हूं जिसकी व्याख्या न्यायाधिकारियों ने किया है.'

न्यायमूर्ति बनर्जी ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम के तहत 18 साल से कम उम्र का कोई भी व्यक्ति बच्चा है. उन्होंने कहा, 'किशोर न्याय अधिनियम 2000 में जघन्य अपराध का विचार लाने के लिए वर्ष 2015 में संशोधन किया गया...बल्कि समय आ गया है कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए कानूनों में संशोधन पर विचार किया जाए जहां शिकायत तीसरे पक्ष द्वारा किया जाता है जो रिश्ते में वास्तव में शामिल भी नहीं होता है.'

पढ़ें- कड़े कानूनों के बावजूद दुष्कर्म के मामलों में वृद्धि, आखिर कौन है जिम्मेदार?
(पीटीआई-भाषा)

कोलकाता : उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी (Supreme Court judge Justice Indira Banerjee) ने शनिवार को कहा कि 18 साल की उम्र के करीब या कुछ समय पहले ही बालिग होने वाले लोगों के बीच संबंध होने से जुड़े मामलों में तीसरे पक्ष द्वारा पॉक्सो अधिनियम ( POCSO Act ) के तहत की गई शिकायतों से निपटने के लिए संभवत: इस अधिनियम में संशोधन का समय आ गया है.

ऐसे किशोरों के बीच संबंध के कुछ मामलों में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम (पोक्सो अधिनियम) के दुरुपयोग के आरोप लगते रहे हैं. न्यायमूर्ति बनर्जी ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम के तहत ऐसे मामले आए हैं जिनमें कॉलेज के विद्यार्थियों के बीच प्रेम संबंध हो गया और एक की उम्र 17 साल 11 महीने हैं जबकि उसी कक्षा में पढ़ने वाले दूसरे की उम्र 18 साल एक महीने है.

मानव तस्करी और बाल कल्याण के प्रति जागरूकता पैदा करने वाले मंच पर बोलते हुए उन्होंने कहा, 'क्या उम्र महज संख्या है? क्या एक व्यक्ति जो साढ़े सत्रह साल का है और दूसरा 18 साल एक महीने का है उनमें बहुत अंतर होता है? मैं इसका उल्लेख बच्चों के सरंक्षण को लेकर ऐसे कानूनों के संदर्भ में कर रही हूं जिसकी व्याख्या न्यायाधिकारियों ने किया है.'

न्यायमूर्ति बनर्जी ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम के तहत 18 साल से कम उम्र का कोई भी व्यक्ति बच्चा है. उन्होंने कहा, 'किशोर न्याय अधिनियम 2000 में जघन्य अपराध का विचार लाने के लिए वर्ष 2015 में संशोधन किया गया...बल्कि समय आ गया है कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए कानूनों में संशोधन पर विचार किया जाए जहां शिकायत तीसरे पक्ष द्वारा किया जाता है जो रिश्ते में वास्तव में शामिल भी नहीं होता है.'

पढ़ें- कड़े कानूनों के बावजूद दुष्कर्म के मामलों में वृद्धि, आखिर कौन है जिम्मेदार?
(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Apr 9, 2022, 9:43 PM IST
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