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MP Tiger State: यहां के बिच्छू हैं खास...परिंदे हैं चंबल की पहचान, दुर्लभ जीव जंतुओं पर शोध की तैयारी

ठीक है कि जंगल का राजा शेर है, लेकिन इसके ये मायने तो नहीं कि जंगल में बाकी जीव जंतुओं की कोई बिसात ही ना हो. इस निगाह से देखें तो टाइगर स्टेट कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में ये पहला प्रयोग कहा जा सकता है.

Tiger state Nauradehi Sanctuary-National conference
दुर्लभ जीव जंतुओं पर शोध की तैयारी
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Published : Jan 18, 2023, 9:38 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में नौरादेही जैसे अभ्यारण्य में टाइगर को बसाने इंसानी बस्तियां उजाड़ दी जाएं. उस टाइगर स्टेट में पहली बार ऐसे जीव जंतुओं पर स्टडी की जाएगी. जिनके बारे में प्रदेश में ही बेहद कम जानकारी उपलब्ध है. इनमें एमपी की बिच्छू की ब्रीड के अलावा रेप्लाईल्स यानि सरीसृप की प्रजातियां भी हैं. मध्यप्रदेश के अलग अलग हिस्सों में मिलने वाले पक्षी भी हैं.

Tiger state Nauradehi Sanctuary-National conference
यहां के बिच्छू हैं खास

चंबल की डॉल्फिन: एमपी को टाइगर स्टेट के तौर पर जानते हैं. ये भी जानते हैं कि सत्तर साल बाद अब पालपुर कूनों में चीते की भी वापिसी हुई है. लेकिन एमपी के बिच्छू की कितनी प्रजातियों को जानते हैं आप. डंक मारने के अलावा इन प्रजातियों की क्या विशेषता है. नौरादेही अभ्यारण्य जिसे टाइगर के लिए खाली करवाया जा रहा है. उसकी पहचान भेड़िया है. जो यहां आसानीसे दिख जाता है.

Tiger state Nauradehi Sanctuary-National conference
दुर्लभ जीव जंतुओं पर शोध की तैयारी

बगदरा सेंचूरी में काला हिरण: इसी तरह बगदरा सेंचूरी में काला हिरण बहुतायत में है. चंबल नदी में उछलती मिलती है. रिवर डॉल्फिन, वाइल्ड लाइफ पर लंबे समय से काम कर रही संस्था एसएनएचसी के अध्यक्ष विकास सिंह बघेल बताते हैं. एमपी की देश दुनिया में टाइगर स्टेट के तौर पर पहचान तो है लेकिन जो जंगल की ही अन्य जीव जंतु और उनकी प्रजातियां है. वो दुर्लभ प्रजातियां आम लोगों तक नहीं पहुंची है. भोपाल में होने जा रहे (National Conference On Lesser Known Species Of MP) कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के ऐसे ही दुर्लभ जीव जंतुओं और प्रजातियों पर बात होगी.

Tiger state Nauradehi Sanctuary-National conference
दुर्लभ जीव जंतुओं पर शोध की तैयारी

बाघ, तेंदुए के साथ दुर्लभ जीव: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रदेश में पहली बार ऐसे जीव-जंतुओं पर कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. जिनके बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है. यूं तो हमेशा बाघ, तेंदुए, चीतल, मोर आदि के बारे में चर्चा होती रहती है. परन्तु वनों एवं जलीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले कुछ जीव-जंतु ऐसे हैं जो अत्यंत दुर्लभ हैं. इन पर शोध कार्य बहुत ही कम हुए हैं. ऐसे ही प्रजातियों पर चर्चा करने व जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से भोपाल में लैसर नौन स्पीशीज ऑफ मध्य प्रदेश पर रिसर्च के उद्देश्य से कार्यशाला होने जा रही है.

Tiger state Nauradehi Sanctuary-National conference
दुर्लभ जीव जंतुओं पर शोध की तैयारी

दो दिवसीय रहेगी कार्यशाला: एस एन एच सी इंडिया संस्था मध्य प्रदेश राज्य जैवविविधता बोर्ड ,भोपाल बर्ड्स संस्था एवं मध्य प्रदेश टाइगर फाउंडेशन सोसाइटी के सहयोग से ये आयोजन कर रही है. इस दो दिवसीय कार्यशाला में कैरकल, इंडियन वुल्फ, इंडियन स्कीमर, फारेस्ट आऊलेट, रिवर डॉलफिन, लैसर फ्लोरिकन, इंडियन औटर,मध्य प्रदेश में पाई जाने वाली बिच्छू एवं सरीसृप प्रजातियों पर चर्चा होगी एवं भविष्य में इनके संरक्षण हेतु रणनीति तैयार की जाएगी. इस कार्यशाला में मध्य प्रदेश वन विभाग के अलावा बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (मुम्बई), डब्लू डब्लू ऍफ़-इंडिया, टाइगर वाच (राजस्थान), सलीम अली सेंटर फॉर ओर्निथोलॉजी (कोयम्बटूर) एवं जूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया आदि सस्थाओं से विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे.

Tiger state Nauradehi Sanctuary-National conference
दुर्लभ जीव जंतुओं पर शोध की तैयारी

पशु-पक्षियों की विलुप्त प्रजाति: एस एन एच सी के अध्यक्ष विकास सिंह बघेल ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि भोपाल में होने जा रही इस नेशनल कॉन्फ्रेस में जैव विवधिता बोर्ड के साथ मिलकर जीव जंतुओं की उन स्पीशिज पर काम होगा जो जानकारी में नहीं आईं. वे कहते हैं अब बिच्छू स्कॉरपियन की बात करें एक नाम ले लिया और पूरा मान लिया जाता है. लेकिन इन प्रजातियों में कितनी डायवर्सिटी है. इसी तरह रेप्टाइल्स मे भी डायवर्सिटी है और रिसर्च काफी कम हुआ है. फ्रेश वॉटर आटर्स कैट्स जो हैं उनके बारे में जानकारियां और शोध कम है. तो इसमें मध्यप्देश के वो तमाम जीव जंतु जोड़े जाएंगे जिन्हें हाईलाईट किए जाने की जरुरत है.

Tiger state Nauradehi Sanctuary-National conference
परिंदे चंबल की पहचान

पंरिदों से हो सकती है चंबल की पहचान: बर्ड कंजरवेशन सोसायटी के फाउंडर मोहम्मद खालिक कहते हैं. मध्यप्रदेश में ही कई पक्षी विलुप्त हुए कई पर शोध नहीं हुए ग्रेट इंडियन लेसर इनमें से है. इंडियन स्कीमर ये केवल चंबल में मिलते हैं. बहुत कम लोग इन्हें पहचानते हैं सामान्य पक्षी को ही देखते हैं.आम जनता को इन पक्षियों के बारे में नहीं पता दूर दराज इलाकों में मिलते हैं इन पक्षियों पर काम करना बेहद जरुरी है.

भोपाल। मध्य प्रदेश में नौरादेही जैसे अभ्यारण्य में टाइगर को बसाने इंसानी बस्तियां उजाड़ दी जाएं. उस टाइगर स्टेट में पहली बार ऐसे जीव जंतुओं पर स्टडी की जाएगी. जिनके बारे में प्रदेश में ही बेहद कम जानकारी उपलब्ध है. इनमें एमपी की बिच्छू की ब्रीड के अलावा रेप्लाईल्स यानि सरीसृप की प्रजातियां भी हैं. मध्यप्रदेश के अलग अलग हिस्सों में मिलने वाले पक्षी भी हैं.

Tiger state Nauradehi Sanctuary-National conference
यहां के बिच्छू हैं खास

चंबल की डॉल्फिन: एमपी को टाइगर स्टेट के तौर पर जानते हैं. ये भी जानते हैं कि सत्तर साल बाद अब पालपुर कूनों में चीते की भी वापिसी हुई है. लेकिन एमपी के बिच्छू की कितनी प्रजातियों को जानते हैं आप. डंक मारने के अलावा इन प्रजातियों की क्या विशेषता है. नौरादेही अभ्यारण्य जिसे टाइगर के लिए खाली करवाया जा रहा है. उसकी पहचान भेड़िया है. जो यहां आसानीसे दिख जाता है.

Tiger state Nauradehi Sanctuary-National conference
दुर्लभ जीव जंतुओं पर शोध की तैयारी

बगदरा सेंचूरी में काला हिरण: इसी तरह बगदरा सेंचूरी में काला हिरण बहुतायत में है. चंबल नदी में उछलती मिलती है. रिवर डॉल्फिन, वाइल्ड लाइफ पर लंबे समय से काम कर रही संस्था एसएनएचसी के अध्यक्ष विकास सिंह बघेल बताते हैं. एमपी की देश दुनिया में टाइगर स्टेट के तौर पर पहचान तो है लेकिन जो जंगल की ही अन्य जीव जंतु और उनकी प्रजातियां है. वो दुर्लभ प्रजातियां आम लोगों तक नहीं पहुंची है. भोपाल में होने जा रहे (National Conference On Lesser Known Species Of MP) कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के ऐसे ही दुर्लभ जीव जंतुओं और प्रजातियों पर बात होगी.

Tiger state Nauradehi Sanctuary-National conference
दुर्लभ जीव जंतुओं पर शोध की तैयारी

बाघ, तेंदुए के साथ दुर्लभ जीव: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रदेश में पहली बार ऐसे जीव-जंतुओं पर कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. जिनके बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है. यूं तो हमेशा बाघ, तेंदुए, चीतल, मोर आदि के बारे में चर्चा होती रहती है. परन्तु वनों एवं जलीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले कुछ जीव-जंतु ऐसे हैं जो अत्यंत दुर्लभ हैं. इन पर शोध कार्य बहुत ही कम हुए हैं. ऐसे ही प्रजातियों पर चर्चा करने व जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से भोपाल में लैसर नौन स्पीशीज ऑफ मध्य प्रदेश पर रिसर्च के उद्देश्य से कार्यशाला होने जा रही है.

Tiger state Nauradehi Sanctuary-National conference
दुर्लभ जीव जंतुओं पर शोध की तैयारी

दो दिवसीय रहेगी कार्यशाला: एस एन एच सी इंडिया संस्था मध्य प्रदेश राज्य जैवविविधता बोर्ड ,भोपाल बर्ड्स संस्था एवं मध्य प्रदेश टाइगर फाउंडेशन सोसाइटी के सहयोग से ये आयोजन कर रही है. इस दो दिवसीय कार्यशाला में कैरकल, इंडियन वुल्फ, इंडियन स्कीमर, फारेस्ट आऊलेट, रिवर डॉलफिन, लैसर फ्लोरिकन, इंडियन औटर,मध्य प्रदेश में पाई जाने वाली बिच्छू एवं सरीसृप प्रजातियों पर चर्चा होगी एवं भविष्य में इनके संरक्षण हेतु रणनीति तैयार की जाएगी. इस कार्यशाला में मध्य प्रदेश वन विभाग के अलावा बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (मुम्बई), डब्लू डब्लू ऍफ़-इंडिया, टाइगर वाच (राजस्थान), सलीम अली सेंटर फॉर ओर्निथोलॉजी (कोयम्बटूर) एवं जूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया आदि सस्थाओं से विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे.

Tiger state Nauradehi Sanctuary-National conference
दुर्लभ जीव जंतुओं पर शोध की तैयारी

पशु-पक्षियों की विलुप्त प्रजाति: एस एन एच सी के अध्यक्ष विकास सिंह बघेल ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि भोपाल में होने जा रही इस नेशनल कॉन्फ्रेस में जैव विवधिता बोर्ड के साथ मिलकर जीव जंतुओं की उन स्पीशिज पर काम होगा जो जानकारी में नहीं आईं. वे कहते हैं अब बिच्छू स्कॉरपियन की बात करें एक नाम ले लिया और पूरा मान लिया जाता है. लेकिन इन प्रजातियों में कितनी डायवर्सिटी है. इसी तरह रेप्टाइल्स मे भी डायवर्सिटी है और रिसर्च काफी कम हुआ है. फ्रेश वॉटर आटर्स कैट्स जो हैं उनके बारे में जानकारियां और शोध कम है. तो इसमें मध्यप्देश के वो तमाम जीव जंतु जोड़े जाएंगे जिन्हें हाईलाईट किए जाने की जरुरत है.

Tiger state Nauradehi Sanctuary-National conference
परिंदे चंबल की पहचान

पंरिदों से हो सकती है चंबल की पहचान: बर्ड कंजरवेशन सोसायटी के फाउंडर मोहम्मद खालिक कहते हैं. मध्यप्रदेश में ही कई पक्षी विलुप्त हुए कई पर शोध नहीं हुए ग्रेट इंडियन लेसर इनमें से है. इंडियन स्कीमर ये केवल चंबल में मिलते हैं. बहुत कम लोग इन्हें पहचानते हैं सामान्य पक्षी को ही देखते हैं.आम जनता को इन पक्षियों के बारे में नहीं पता दूर दराज इलाकों में मिलते हैं इन पक्षियों पर काम करना बेहद जरुरी है.

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