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Rajasthan Assembly election : कांग्रेस आलाकमान पर सवाल उठाने वाले राजस्थान के बागियों के टिकट ब्लॉक! - राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023

राजस्थान में स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के दौरान टिकट बंटवारे को लेकर गहलोत और पायलट के बीच तीखी बहस हुई. इस बीच सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस आलाकमान पर सवाल उठाने वाले राजस्थान के बागियों के टिकट ब्लॉक कर दिए गए हैं. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट. Tickets of Rajasthan rebels, Congress high command, Rajasthan congress rebels, Rajasthan Assembly election 2023.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 19, 2023, 5:35 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस आलाकमान की खुद को मजबूत करने की योजना ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के तीन वफादारों के नामांकन को रोक दिया है, क्योंकि सबसे पुरानी पार्टी बड़ी सावधानी से उम्मीदवार का चयन कर रही है. 200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा के लिए 25 नवंबर को मतदान होगा. नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, पूर्व पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी और राहुल गांधी को राज्य के तीन वरिष्ठ नेताओं, मंत्री शांति धारीवाल, मुख्य सचेतक महेश जोशी और राज्य पर्यटन निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ की उम्मीदवारी पर आपत्ति थी.

राहुल ने सवाल किया था कि राज्य इकाई ने सामान्य तीन सदस्यीय पैनल के बजाय लगभग 100 सीटों पर एकल नाम क्यों भेजे थे, जो सीईसी को सबसे उपयुक्त उम्मीदवार चुनने की अनुमति देता है.

एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'बुधवार को हुई केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के दौरान, गांधी ने इन तीनों सहित कुछ नामों पर आपत्ति व्यक्त की थी. उनके टिकट अब ब्लॉक में हैं.'

कांग्रेस नेताओं ने याद दिलाया कि राज्य के तीन नेताओं, धारीवाल, जोशी और राठौड़ ने 25 सितंबर, 2022 को पार्टी विधायकों के विद्रोह का नेतृत्व किया था, जब तत्कालीन पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी ने राजस्थान में नेतृत्व बदलाव लाने के लिए वरिष्ठ नेताओं मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन को एआईसीसी पर्यवेक्षकों के रूप में जयपुर में तैनात किया था.

सोनिया की योजना के मुताबिक वह चाहती थीं कि अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बनें और सचिन पायलट को नया मुख्यमंत्री बनाया जाए. बाद में विधायकों की अवज्ञा पर गहलोत ने सोनिया से माफी मांगी थी और अध्यक्ष पद की दौड़ से हट गए थे.

खड़गे और माकन दोनों ने सोनिया को एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें राज्य के तीन नेताओं को विद्रोह का नेतृत्व करने के लिए दोषी ठहराया गया था लेकिन गहलोत को कोई क्लीन चिट नहीं दी गई थी.

विशेष रूप से धारीवाल ने विवादास्पद टिप्पणी की थी कि 'हाईकमान कौन है', जिससे एआईसीसी पर्यवेक्षकों का मूड खराब हो गया था. तब से, पायलट ने गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए मांग की थी कि एआईसीसी अनुशासनात्मक समिति, जिसने राज्य के तीन नेताओं को नोटिस दिया था, उनके खिलाफ कार्रवाई करे. उन्होंने नए पार्टी प्रमुख खड़गे से भी इस मामले पर ध्यान देने का आग्रह किया था, लेकिन कुछ कारणों से यह मुद्दा ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.

पिछले कुछ दिनों में गहलोत और पायलट दोनों खेमों द्वारा सुझाए गए नामों पर सहमति बनाने के लिए राज्य के वरिष्ठ नेताओं और एआईसीसी पदाधिकारियों के बीच दिल्ली में गहन बातचीत हुई है.

जबकि पायलट एआईसीसी सर्वेक्षणों में कुछ सांसदों के बारे में नकारात्मक प्रतिक्रिया का हवाला देते हुए गहलोत के प्रति वफादार विधायकों पर निशाना साध रहे थे, मुख्यमंत्री अपने समर्थकों का बचाव करते हुए कह रहे थे कि 'वे उस समय कांग्रेस के साथ रहे जब भाजपा ने 2020 में उनकी सरकार को प्रस्ताव देकर गिराने की कोशिश की थी. पायलट के नेतृत्व वाले समूह को प्रति विधायक 10 करोड़ रुपये दिए गए, जिन्होंने मानेसर के एक रिसॉर्ट में डेरा डाला था.'

गहलोत खेमे का तर्क है कि जहां भाजपा मणिपुर, महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में चुनी हुई सरकारों को गिरा सकती है, वहीं वह अपने वफादारों की मदद से राजस्थान में कांग्रेस सरकार को बचाने में सक्षम थे.

मंगलवार को स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के दौरान टिकट बंटवारे को लेकर गहलोत और पायलट के बीच कथित तौर पर तीखी बहस हुई. वरिष्ठ एआईसीसी पदाधिकारी ने कहा, 'आलाकमान अब खुद पर जोर देगा. दोनों खेमों के बीच अंदरूनी कलह ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया है. इसकी हमेशा अनुमति नहीं दी जा सकती.'

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नई दिल्ली : कांग्रेस आलाकमान की खुद को मजबूत करने की योजना ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के तीन वफादारों के नामांकन को रोक दिया है, क्योंकि सबसे पुरानी पार्टी बड़ी सावधानी से उम्मीदवार का चयन कर रही है. 200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा के लिए 25 नवंबर को मतदान होगा. नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, पूर्व पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी और राहुल गांधी को राज्य के तीन वरिष्ठ नेताओं, मंत्री शांति धारीवाल, मुख्य सचेतक महेश जोशी और राज्य पर्यटन निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ की उम्मीदवारी पर आपत्ति थी.

राहुल ने सवाल किया था कि राज्य इकाई ने सामान्य तीन सदस्यीय पैनल के बजाय लगभग 100 सीटों पर एकल नाम क्यों भेजे थे, जो सीईसी को सबसे उपयुक्त उम्मीदवार चुनने की अनुमति देता है.

एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'बुधवार को हुई केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के दौरान, गांधी ने इन तीनों सहित कुछ नामों पर आपत्ति व्यक्त की थी. उनके टिकट अब ब्लॉक में हैं.'

कांग्रेस नेताओं ने याद दिलाया कि राज्य के तीन नेताओं, धारीवाल, जोशी और राठौड़ ने 25 सितंबर, 2022 को पार्टी विधायकों के विद्रोह का नेतृत्व किया था, जब तत्कालीन पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी ने राजस्थान में नेतृत्व बदलाव लाने के लिए वरिष्ठ नेताओं मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन को एआईसीसी पर्यवेक्षकों के रूप में जयपुर में तैनात किया था.

सोनिया की योजना के मुताबिक वह चाहती थीं कि अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बनें और सचिन पायलट को नया मुख्यमंत्री बनाया जाए. बाद में विधायकों की अवज्ञा पर गहलोत ने सोनिया से माफी मांगी थी और अध्यक्ष पद की दौड़ से हट गए थे.

खड़गे और माकन दोनों ने सोनिया को एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें राज्य के तीन नेताओं को विद्रोह का नेतृत्व करने के लिए दोषी ठहराया गया था लेकिन गहलोत को कोई क्लीन चिट नहीं दी गई थी.

विशेष रूप से धारीवाल ने विवादास्पद टिप्पणी की थी कि 'हाईकमान कौन है', जिससे एआईसीसी पर्यवेक्षकों का मूड खराब हो गया था. तब से, पायलट ने गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए मांग की थी कि एआईसीसी अनुशासनात्मक समिति, जिसने राज्य के तीन नेताओं को नोटिस दिया था, उनके खिलाफ कार्रवाई करे. उन्होंने नए पार्टी प्रमुख खड़गे से भी इस मामले पर ध्यान देने का आग्रह किया था, लेकिन कुछ कारणों से यह मुद्दा ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.

पिछले कुछ दिनों में गहलोत और पायलट दोनों खेमों द्वारा सुझाए गए नामों पर सहमति बनाने के लिए राज्य के वरिष्ठ नेताओं और एआईसीसी पदाधिकारियों के बीच दिल्ली में गहन बातचीत हुई है.

जबकि पायलट एआईसीसी सर्वेक्षणों में कुछ सांसदों के बारे में नकारात्मक प्रतिक्रिया का हवाला देते हुए गहलोत के प्रति वफादार विधायकों पर निशाना साध रहे थे, मुख्यमंत्री अपने समर्थकों का बचाव करते हुए कह रहे थे कि 'वे उस समय कांग्रेस के साथ रहे जब भाजपा ने 2020 में उनकी सरकार को प्रस्ताव देकर गिराने की कोशिश की थी. पायलट के नेतृत्व वाले समूह को प्रति विधायक 10 करोड़ रुपये दिए गए, जिन्होंने मानेसर के एक रिसॉर्ट में डेरा डाला था.'

गहलोत खेमे का तर्क है कि जहां भाजपा मणिपुर, महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में चुनी हुई सरकारों को गिरा सकती है, वहीं वह अपने वफादारों की मदद से राजस्थान में कांग्रेस सरकार को बचाने में सक्षम थे.

मंगलवार को स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के दौरान टिकट बंटवारे को लेकर गहलोत और पायलट के बीच कथित तौर पर तीखी बहस हुई. वरिष्ठ एआईसीसी पदाधिकारी ने कहा, 'आलाकमान अब खुद पर जोर देगा. दोनों खेमों के बीच अंदरूनी कलह ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया है. इसकी हमेशा अनुमति नहीं दी जा सकती.'

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