हैदराबाद: कैब और ऑटो सेवाओं का एक वो समय था, जब सिर्फ ओला और उबर का नाम ही सबसे पहले जहन में आता था. लेकिन कई सालों बाद भारत के ही तीन युवकों ने मिलकर एक तीसरी कैब व ऑटो सेवा कंपनी शुरू की. उन्होंने दो बड़ी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करके जीत हासिल की, जो बाजार की दिग्गज कंपनियां हैं. और इस तरह से विस्तार हुआ रैपिडो कंपनी का.
अब इस कंपनी की कीमत 6,800 करोड़ रुपये है. इस कंपनी को शुरू करने वाले युवकों के नाम पवन गुंटुपल्ली, अरविंद शंका और ऋषिकेष हैं, जिन्होंने रैपिडो को उस स्तर तक पहुंचाया. ऑटो, कार के साथ-साथ जहां अन्य बड़े वाहन ट्रैफिक में फंस जाते हैं, वहीं बाइक सवार बड़ी चतुराई से उस भीड़ से बच निकलते हैं.
यह काम सिर्फ केवल बाइक के लिए संभव है और यही वजह है रैपिडो की सफलता है. इसे एक मोबिलिटी सेवा के रूप में मान्यता प्राप्त है, जिससे मिनटों में शहर के अंदर कहीं भी पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा, कैब और ऑटो की तुलना में बहुत कम कीमत पर बाइक टैक्सी को हायर किया जाता है. इसी रणनीति के साथ रैपिडो ने सफलता हासिल की.
तीन युवकों में से एक पवन गुंटुपल्ली की बात करें तो उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज में इंटर्नशिप की. उन्होंने कुछ समय तक सैमसंग रिसर्च सेंटर में भी काम किया. वहीं अरविंद शंका आईआईटी भुवनेश्वर के छात्र थे. उन्होंने टाटा मोटर्स और फ्लिपकार्ट में काम किया. ऋषिकेश की बात करें तो उन्होंने पेस यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु से पढ़ाई की.
एक कॉमन मित्र के माध्यम से ये तीनों मिले और तीनों प्रौद्योगिकी, व्यवसाय और उत्पाद प्रबंधन में प्रतिभाशाली हैं. हालांकि उनकी पृष्ठभूमि अलग-अलग है, लेकिन उनके विचार एक जैसे हैं, इसलिए वे एक साथ व्यापार करना चाहते थे. कैब सेवाएं एक स्तर तक ही सीमित हैं. ऑटो का किराया लगभग उतना ही है. आम आदमी के लिए कुछ करने के विचार से तीनों ने मिलकर साल 2015 में बाइक टैक्सी शुरू करने की योजना पर काम किया.
उबर और ओला में बाइक टैक्सी पहले से ही उपलब्ध हैं. पवन की टीम ने प्रतिस्पर्धियों से बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए रैपिडो कंपनी की शुरुआत की. उनके पास विचार था, लेकिन इसे लागू करने के लिए उनके पास निवेश नहीं था. इसके लिए उन्होंने कई बैंकों के चक्कर लगाए और करीब सौ निवेशकों से मुलाकात की. सभी ने कहा कि आइडिया अच्छा है, लेकिन उन्होंने निवेश नहीं किया.
हालांकि उनके प्रयास लगभग एक वर्ष तक असफल रहे, फिर भी उन्होंने अपने विचार पर विश्वास रखा और विभिन्न तरीकों की तलाश करते रहे. आख़िरकार साल 2016 में हीरो मोटोकॉर्प के चेयरमैन पवन मुंजाल को रैपिडो का आइडिया पसंद आया. अपनी कंपनी की ओर से नहीं बल्कि व्यक्तिगत रूप से निवेश करने के अलावा, उन्होंने पवन और उनके दोस्तों को सलाह और सुझाव देकर एक कदम आगे बढ़ाया.
उस प्रोत्साहन के साथ, रैपिडो बाइक टैक्सी, जो सबसे पहले बैंगलोर में शुरू की गई थी... धीरे-धीरे पूरे देश में फैलने लगी और अब सौ से अधिक शहरों में चल रही है. प्रति दिन दस लाख से अधिक यात्राओं के साथ यह एक सफल कंपनी साबित हो रही है. अब इसमें धीरे-धीरे ऑटो सेवा भी उपलब्ध कराई जा रही है.