मैसूर : कर्नाटक के मैसूर में एक दरगाह (Dargah in Mysore) है, जहां मुस्लमान उर्दू के बजाय कन्नड़ भाषा में प्राथर्ना (prayer in Kannada language) करते हैं. मैसूर जिले के नंजनगुड तालुक के बेलाले गांव (Belale village) में स्थित हजरत सैदानी बिबिमा दरगाह (Hazrat Saidani Bibima Dargah ) को राज्य में पहली 'कन्नड़ दरगाह' के रूप में जाना जाता है.
सप्ताह में एक बार यानी प्रत्येक गुरुवार को इस दरगाह पर प्रार्थना कन्नड़ भाषा में होती है. दक्षिण कन्नड़-आधारित अंबाती उस्ताद (Ambati Ustad), धार्मिक प्रमुख कन्नड़ में दुआ और संदेश देते हैं.
विभिन्न समुदाय के कन्नड़ भाषी लोग हर गुरुवार को अपनी समस्याओं के समाधान के लिए इस दरगाह में आते हैं. इस प्रकार इस दिन कन्नड़ में प्रार्थनाएं होती हैं, क्योंकि कन्नड़ लोग उर्दू नहीं समझ सकते.
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इस संबंध में ग्राम पंचायत के सदस्य (member of gram panchayt) महादेव का कहना है कि यहां भाषा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता. यह भाईचारे का प्रतीक है. हम चाहते हैं कि इस तरह के कार्यक्रम अन्य हिस्सों में भी आयोजित किए जाएं. हम इस प्रार्थना को देखकर खुश हैं.