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घर खरीदने से पहले जरूरी सवालों पर करें विचार, फिर नहीं होगी लाइफ में टेंशन - Home loan

घर खरीदना हर किसी का सपना होता है. अगर आप घर खरीदने की ख्वाहिश को पूरा करना चाहते हैं तो कई बातों का ध्यान रखें. घर खरीदने से पहले ठोस इनकम, आय के अन्य स्रोत, घर की अन्य जिम्मेदारियां और खर्च करने की कपैसिटी के बारे में अच्छी तरह से विचार करें. साथ ही यह भी देखें कि घर के अलावा अन्य जरूरी काम के लिए कितना खर्च करना है. अभी आप कितना ईएमआई दे रहे हैं. घर खरीदने के लिए होम लोन लेना किस बैंक से सस्ता पड़ेगा. लोन लेते समय क्या करना चाहिए, क्या नहीं.

Things you should consider before buying a house
Things you should consider before buying a house
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Published : Jun 1, 2022, 3:56 PM IST

हैदराबाद: होम लोन एक लॉन्ग टर्म देनदारी है. इस अवधि के दौरान ब्याज दरें कई बार बढ़ती और गिरती हैं, इसलिए बेहतर है कि लोन लेते समय सावधानी बरतें. तभी कर्ज का बोझ कम होगा और आप अपनी जरूरत की अन्य चीजों के लिए खर्च कर सकेंगे. होम लोन लेने के आखिरी फैसले से पहले कई बातों पर विचार करना जरूरी है. जैसे लोन का अमाउंट क्या है. हमें कितने समय के लिए लोन लेना चाहिए. किस्तों के भुगतान में क्या समस्याएं आ सकती हैं.

सबसे बड़ा सवाल, घर क्यों खरीद रहे हैं. क्या खरीदे गए घर में रहना है या इसे इनवेस्टमेंट के तौर पर खरीदना चाह रहे हैं. अगर आपके पास एक घर है, तो क्या परिवार की जरूरतों के लिए दूसरा घर खरीदने की जरूरत है. अगर आप परिवार के लिए घर खरीद रहे हैं तो उसके आसपास मौजूद सुविधाएं और डिवलेपमेंट के अवसर के बारे में जानकारी जरूर लें. अगर निवेश के नजरिये से घर खरीद रहे हैं तो यह देखें कि एक समय के बाद इससे कितना रिटर्न आ सकता है, ग्रोथ कैसी होगी. अगर घर को किराये पर दिया जाए तो उससे कितना इनकम होगा? इन सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद टैक्स बेनिफिट का आकलन जरूर करें.

ज्यादातर लोग जाने-माने इलाके में सभी सुख-सुविधाओं वाला घर खरीदना चाहते हैं. लेकिन, ऐसे इलाकों में महंगे घर को खरीदने में काफी पैसा खर्च करना पड़ सकता है. इसलिए सबसे पहले हिसाब लगा लें कि आप एक घर पर कितना खर्च कर सकते हैं. घर से जुड़े बाकी खर्चों के बारे में बाद में सोचें? यह मत भूलें कि ख्वाहिश और सही हालात में तथ्यों का फर्क होता है. हम यह सोचकर कर्ज नहीं ले सकते कि भविष्य में आमदनी बढ़ेगी. यह जरूरी है कि घर खरीदना किसी भी हालत में बोझ नहीं बने. इसलिए आपने अपनी आमदनी और जरूरतों के हिसाब से लोन लेने की राशि तय कर रखी है तो उसे घर खरीदने के नाम पर नहीं बदलें. बेवजह बड़ी रकम उधार न लें, ताकि भविष्य में परेशानी न हो.

जब हम एक घर खरीदते हैं तो हमें अपनी बचत से एक निश्चित राशि का भुगतान करना पड़ता है और इसे मार्जिन मनी कहा जाता है. बैंक आमतौर पर घर के मूल्य का 75-90 फीसदी तक लोन देते हैं, बाकी रकम हमें अपनी बचत से देनी होती है. इसके अलावा, रजिस्ट्री और इंटिरियर डेकोरेशन का खर्च भी खुद वहन करना होता है. बैंक मार्जिन मनी का निर्धारण लोन लेने वाले की आयु, क्रेडिट स्कोर, लोन की रकम और होम वैल्यू के प्रतिशत के आधार पर तय करते हैं. इसलिए घर खरीदने की प्लानिंग के दौरान ही यह कैलकुलेट कर लें कि आप कितना खर्च उठा सकते हैं. अपने अन्य फाइनेंशियल गोल को प्रभावित करने के लिए अपने हाथ से सारा पैसा खर्च न करें.

क्रेडिट स्कोर : अधिकांश बैंक वर्तमान में लोन मांगने वाले के क्रेडिट स्कोर के आधार पर मॉरगेट इंटरेस्ट रेट तय करते हैं. कम क्रेडिट स्कोर वाले लोगों से अधिक ब्याज दर वसूलते हैं. इसलिए, यदि आप उच्च ब्याज दर नहीं चाहते हैं, तो अपने क्रेडिट स्कोर को सावधानी से मैनेज करें. 750-800 से अधिक का एक अच्छा स्कोर माना जाता है. अपने क्रेडिट स्कोर को न सिर्फ लोन लेते समय सही स्तर पर बनाए रखें बल्कि उसे तब तक बनाए रखना चाहिए जब तक कि आप ऋण का भुगतान नहीं कर देते.

मासिक किश्त : जैसा कि हम पहले बता चुके हैं कि होम लोन लॉन्ग टर्म जिम्मेदारी है. इसलिए होम लोन लेने से पहले यह जरूर विचार करें कि अभी आप पर कितना कर्ज बकाया है. पुराने लोन में कितनी किश्तें दी जा रही हैं ? क्या भविष्य में कोई अन्य लोन लेने की जरूरत होगी? ध्यान रखें कि अगर आप पहले ही कई लोन ले चुके हैं तो इससे आपकी पेमेंट की क्षमता कम हो जाएगी. भविष्य में आपको अपने बच्चों की शिक्षा के लिए कर्ज लेना पड़ सकता है. जब आप नया लोन लेते हैं तो आप पर ईएमआई का बोझ अधिक बढ़ जाता है. आपके खर्चों और अन्य दायित्वों के आधार पर, आपको कितना ऋण स्वीकृत किया जाएगा, इसके बजाय आप कितनी ईएमआई वहन कर सकते हैं, इसके आधार पर लोन अमाउंट तय करना सबसे अच्छा है. लोन लेते समय कम ब्याज दरों और प्रोसेसिंग फीस वाले बैंकों को चुनें.

आपकी इनकम कितनी है : होम लोन के लिए अप्लाई करने से पहले, आपको खुद से यह पूछना होगा कि आप आर्थिक रूप से कितने तैयार हैं. यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि जब तक लोन आपके सिर पर है, तब तक आपकी इनकम नियमित तौर पर होती है. इसलिए आय के अन्य स्रोत बनाने पर भी काम करें. बैंक भी आपकी इनकम के आधार पर ही लोन की राशि मंजूर करेंगे. अगर आपको लगता है कि आपकी आय मोटे लोन अमाउंट के लिए काफी नहीं है तो पत्नी को को-एप्लिकेंट के तौर पर शामिल करें. ज्वाइंट लोन के लिए अप्लाई करने पर लोन की पात्रता बढ़ जाती है और महिलाओं को ब्याज दरों में छूट भी मिलती है.

इंश्योरेंस जरूरी है : लाइफ इंश्योरेंस परिवार को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है. घर खरीदते समय कुल कीमत के हिसाब से जीवन बीमा पॉलिसी लेना न भूलें. जीवन बीमा की राशि उतनी होने चाहिए कि जब कभी भी अप्रत्याशित स्थिति आए तो इंश्योरेंस से मिलने वाली रकम से होम लोन को चुकाया जा सके. इसके लिए टर्म पॉलिसी या होम लोन प्रोटेक्शन पॉलिसी को चुना जा सकता है.

अपनी अन्य जरूरतों का भी रखें ख्याल: घर खरीदना महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके लिए अन्य जरूरतों की उपेक्षा करना उचित नहीं है. लोन लेते समय रिटायरमेंट प्लानिंग, बच्चों की उच्च शिक्षा और उनकी शादी जैसी आवश्यकताओं को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए. होम लोन से आपकी आर्थिक आजादी खत्म नहीं होनी चाहिए. अगर ऐसी स्थिति पैदा होती नजर आ रही है तो बेहतर है कि होम लोन को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाए या बजट कम कर दिया जाए. इससे आपके दूसरे लक्ष्य मुश्किल में नहीं आएंगे. Bankbazaar.com के सीईओ आदिल शेट्टी का कहना है कि होम लोन तभी लेना बेहतर है जब आपको लगता है कि आप अपनी आय को इस तरह से एडजस्ट कर सकते हैं.

पढ़ें : जब तत्काल हो पैसे की जरूरत तो लें होम लोन पर टॉप-अप

हैदराबाद: होम लोन एक लॉन्ग टर्म देनदारी है. इस अवधि के दौरान ब्याज दरें कई बार बढ़ती और गिरती हैं, इसलिए बेहतर है कि लोन लेते समय सावधानी बरतें. तभी कर्ज का बोझ कम होगा और आप अपनी जरूरत की अन्य चीजों के लिए खर्च कर सकेंगे. होम लोन लेने के आखिरी फैसले से पहले कई बातों पर विचार करना जरूरी है. जैसे लोन का अमाउंट क्या है. हमें कितने समय के लिए लोन लेना चाहिए. किस्तों के भुगतान में क्या समस्याएं आ सकती हैं.

सबसे बड़ा सवाल, घर क्यों खरीद रहे हैं. क्या खरीदे गए घर में रहना है या इसे इनवेस्टमेंट के तौर पर खरीदना चाह रहे हैं. अगर आपके पास एक घर है, तो क्या परिवार की जरूरतों के लिए दूसरा घर खरीदने की जरूरत है. अगर आप परिवार के लिए घर खरीद रहे हैं तो उसके आसपास मौजूद सुविधाएं और डिवलेपमेंट के अवसर के बारे में जानकारी जरूर लें. अगर निवेश के नजरिये से घर खरीद रहे हैं तो यह देखें कि एक समय के बाद इससे कितना रिटर्न आ सकता है, ग्रोथ कैसी होगी. अगर घर को किराये पर दिया जाए तो उससे कितना इनकम होगा? इन सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद टैक्स बेनिफिट का आकलन जरूर करें.

ज्यादातर लोग जाने-माने इलाके में सभी सुख-सुविधाओं वाला घर खरीदना चाहते हैं. लेकिन, ऐसे इलाकों में महंगे घर को खरीदने में काफी पैसा खर्च करना पड़ सकता है. इसलिए सबसे पहले हिसाब लगा लें कि आप एक घर पर कितना खर्च कर सकते हैं. घर से जुड़े बाकी खर्चों के बारे में बाद में सोचें? यह मत भूलें कि ख्वाहिश और सही हालात में तथ्यों का फर्क होता है. हम यह सोचकर कर्ज नहीं ले सकते कि भविष्य में आमदनी बढ़ेगी. यह जरूरी है कि घर खरीदना किसी भी हालत में बोझ नहीं बने. इसलिए आपने अपनी आमदनी और जरूरतों के हिसाब से लोन लेने की राशि तय कर रखी है तो उसे घर खरीदने के नाम पर नहीं बदलें. बेवजह बड़ी रकम उधार न लें, ताकि भविष्य में परेशानी न हो.

जब हम एक घर खरीदते हैं तो हमें अपनी बचत से एक निश्चित राशि का भुगतान करना पड़ता है और इसे मार्जिन मनी कहा जाता है. बैंक आमतौर पर घर के मूल्य का 75-90 फीसदी तक लोन देते हैं, बाकी रकम हमें अपनी बचत से देनी होती है. इसके अलावा, रजिस्ट्री और इंटिरियर डेकोरेशन का खर्च भी खुद वहन करना होता है. बैंक मार्जिन मनी का निर्धारण लोन लेने वाले की आयु, क्रेडिट स्कोर, लोन की रकम और होम वैल्यू के प्रतिशत के आधार पर तय करते हैं. इसलिए घर खरीदने की प्लानिंग के दौरान ही यह कैलकुलेट कर लें कि आप कितना खर्च उठा सकते हैं. अपने अन्य फाइनेंशियल गोल को प्रभावित करने के लिए अपने हाथ से सारा पैसा खर्च न करें.

क्रेडिट स्कोर : अधिकांश बैंक वर्तमान में लोन मांगने वाले के क्रेडिट स्कोर के आधार पर मॉरगेट इंटरेस्ट रेट तय करते हैं. कम क्रेडिट स्कोर वाले लोगों से अधिक ब्याज दर वसूलते हैं. इसलिए, यदि आप उच्च ब्याज दर नहीं चाहते हैं, तो अपने क्रेडिट स्कोर को सावधानी से मैनेज करें. 750-800 से अधिक का एक अच्छा स्कोर माना जाता है. अपने क्रेडिट स्कोर को न सिर्फ लोन लेते समय सही स्तर पर बनाए रखें बल्कि उसे तब तक बनाए रखना चाहिए जब तक कि आप ऋण का भुगतान नहीं कर देते.

मासिक किश्त : जैसा कि हम पहले बता चुके हैं कि होम लोन लॉन्ग टर्म जिम्मेदारी है. इसलिए होम लोन लेने से पहले यह जरूर विचार करें कि अभी आप पर कितना कर्ज बकाया है. पुराने लोन में कितनी किश्तें दी जा रही हैं ? क्या भविष्य में कोई अन्य लोन लेने की जरूरत होगी? ध्यान रखें कि अगर आप पहले ही कई लोन ले चुके हैं तो इससे आपकी पेमेंट की क्षमता कम हो जाएगी. भविष्य में आपको अपने बच्चों की शिक्षा के लिए कर्ज लेना पड़ सकता है. जब आप नया लोन लेते हैं तो आप पर ईएमआई का बोझ अधिक बढ़ जाता है. आपके खर्चों और अन्य दायित्वों के आधार पर, आपको कितना ऋण स्वीकृत किया जाएगा, इसके बजाय आप कितनी ईएमआई वहन कर सकते हैं, इसके आधार पर लोन अमाउंट तय करना सबसे अच्छा है. लोन लेते समय कम ब्याज दरों और प्रोसेसिंग फीस वाले बैंकों को चुनें.

आपकी इनकम कितनी है : होम लोन के लिए अप्लाई करने से पहले, आपको खुद से यह पूछना होगा कि आप आर्थिक रूप से कितने तैयार हैं. यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि जब तक लोन आपके सिर पर है, तब तक आपकी इनकम नियमित तौर पर होती है. इसलिए आय के अन्य स्रोत बनाने पर भी काम करें. बैंक भी आपकी इनकम के आधार पर ही लोन की राशि मंजूर करेंगे. अगर आपको लगता है कि आपकी आय मोटे लोन अमाउंट के लिए काफी नहीं है तो पत्नी को को-एप्लिकेंट के तौर पर शामिल करें. ज्वाइंट लोन के लिए अप्लाई करने पर लोन की पात्रता बढ़ जाती है और महिलाओं को ब्याज दरों में छूट भी मिलती है.

इंश्योरेंस जरूरी है : लाइफ इंश्योरेंस परिवार को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है. घर खरीदते समय कुल कीमत के हिसाब से जीवन बीमा पॉलिसी लेना न भूलें. जीवन बीमा की राशि उतनी होने चाहिए कि जब कभी भी अप्रत्याशित स्थिति आए तो इंश्योरेंस से मिलने वाली रकम से होम लोन को चुकाया जा सके. इसके लिए टर्म पॉलिसी या होम लोन प्रोटेक्शन पॉलिसी को चुना जा सकता है.

अपनी अन्य जरूरतों का भी रखें ख्याल: घर खरीदना महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके लिए अन्य जरूरतों की उपेक्षा करना उचित नहीं है. लोन लेते समय रिटायरमेंट प्लानिंग, बच्चों की उच्च शिक्षा और उनकी शादी जैसी आवश्यकताओं को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए. होम लोन से आपकी आर्थिक आजादी खत्म नहीं होनी चाहिए. अगर ऐसी स्थिति पैदा होती नजर आ रही है तो बेहतर है कि होम लोन को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाए या बजट कम कर दिया जाए. इससे आपके दूसरे लक्ष्य मुश्किल में नहीं आएंगे. Bankbazaar.com के सीईओ आदिल शेट्टी का कहना है कि होम लोन तभी लेना बेहतर है जब आपको लगता है कि आप अपनी आय को इस तरह से एडजस्ट कर सकते हैं.

पढ़ें : जब तत्काल हो पैसे की जरूरत तो लें होम लोन पर टॉप-अप

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