चंडीगढ़: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल का मंगलवार को निधन हो गया. वह 95 वर्ष के थे. बादल को एक सप्ताह पहले सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्होंने रात करीब आठ बजे अंतिम सांस ली. बादल उत्तर भारत के सबसे प्रसिद्ध राजनीतिक शख्सियतों में से एक थे.
तोड़ा था अच्युतानंदन का रिकॉर्ड : 2022 शिअद संरक्षक का 13वां विधानसभा चुनाव था. वह 94 वर्ष के थे जब पंजाब में पिछले साल चुनाव हुए थे. पांच बार के पंजाब के मुख्यमंत्री ने ऐसा करके केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन द्वारा बनाए गए एक अनोखे रिकॉर्ड को तोड़ने में कामयाबी हासिल की थी. 2022 की चुनावी लड़ाई ने उन्हें भारतीय इतिहास में सबसे उम्रदराज चुनाव उम्मीदवार बनकर रिकॉर्ड बुक में प्रवेश करने में मदद की.
1969, 1972, 1977, 1980 और 1985 में गिद्दड़बाहा सीट से लगातार पांच बार जीतने से पहले सीनियर बादल ने 1957 में मलोट से अपना पहला चुनाव जीता था. उनके करियर की एकमात्र हार 1967 में हुई जब कांग्रेसी हरचरण सिंह बराड़ ने उन्हें 57 मतों के मामूली अंतर से हराया. पीटीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अपना आधार लांबी सीट पर बदलते हुए, बादल ने 1997 और 2017 के बीच पांच बार दोहराया.
प्रकाश सिंह बादल का जन्म पंजाब के अबुल खुराना में राजस्थान सीमा के करीब हुआ था और उन्होंने लाहौर के फॉरमैन क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़ाई की थी. राजनीति के क्षेत्र में पदार्पण वर्ष 1947 में किया. हालांकि 1957 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले, जब वह 30 साल के थे, उन्होंने गांव के सरपंच के रूप में सेवा करते हुए राजनीतिक सीढ़ी बनाई.
1957 में पहली बार जीता विधानसभा चुनाव : पहला विधानसभा चुनाव वर्ष 1957 में जीता. 1969 में उन्होंने फिर से विधानसभा चुनाव जीता. 1969-1970 तक उन्होंने सामुदायिक विकास, पंचायती राज, पशुपालन, डेयरी आदि से संबंधित मंत्रालयों में कार्यकारी मंत्री के रूप में कार्य किया. प्रकाश सिंह बादल 1970-71, 1977-80, 1997-2002 में पंजाब के मुख्यमंत्री थे. 1972, 1980 और 2002 में विपक्ष के विपक्ष के नेता. मोरारजी देसाई के शासन के दौरान वे संसद सदस्य भी बने.
प्रकाश सिंह बादल को केंद्रीय मंत्री के रूप में कृषि और सिंचाई मंत्रालय का प्रभार दिया गया था. प्रकाश सिंह बादल ने पंजाब, पंजाबियत और पंजाबियों की रक्षा करने और उनके हितों की आवाज उठाने के लिए अपने जीवन के लगभग सत्रह वर्ष जेलों में बिताए.
कोमल स्वभाव के मास्टर थे प्रकाश सिंह बादल : बादल न केवल पंजाब की राजनीति के बाबा बोहर थे, वे आज की राजनीति में अपने सौम्य स्वभाव और दृढ़ता के कारण जाने जाते थे. प्रकाश सिंह बादल ने कभी भी विपक्षी दल के किसी नेता या किसी व्यक्ति के खिलाफ ऐसी टिप्पणी नहीं की है जो उनके स्तर, उनके बोलने के तरीके और अपने विरोधियों के सवालों का दृढ़ता से जवाब देने के स्तर से नीचे गिरे हों.
वरिष्ठ पत्रकार राजू विलियम कहते हैं कि एक अच्छे राजनेता में यह गुण होना बहुत जरूरी है कि वह अपने विरोधियों के बारे में कभी भी ऐसे शब्दों का इस्तेमाल न करे जिससे जनता की अदालत में उतरने पर सवाल खड़े हों.
पार्टी के प्रति वफादारी की मिसाल: प्रकाश सिंह बादल हमेशा से शिरोमणि अकाली दल के प्रति वफादार रहे हैं, जब से उन्होंने राजनीति में कदम रखा है, वे हमेशा एक ही पार्टी से जुड़े रहे. वह कई दशकों तक सिखों का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी के अध्यक्ष रहे. प्रकाश सिंह के अलावा पंजाब का कोई नेता ऐसा नहीं है जो इतने साल एक ही पार्टी में रहा हो.
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