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पश्चिमी घाट में हालात बदतर हो रहे हैं : माधव गाडगिल

प्रतिष्ठित पारिस्थतिकी विशेषज्ञ माधव गाडगिल (Madhav Gadgil) ने कहा कि पश्चिमी घाटों में हालात बदतर हो रहे हैं. उन्होंने केरल समेत इस पर्वत श्रृंखला के इलाकों में आपदाओं को खत्म करने के लिए कदम उठाने पर जोर दिया.

माधव गाडगिल
माधव गाडगिल
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Published : Oct 19, 2021, 3:40 PM IST

तिरुवनंतपुरम : प्रतिष्ठित पारिस्थतिकी विशेषज्ञ माधव गाडगिल ने कहा कि पश्चिमी घाटों में हालात बदतर हो रहे हैं और उन्होंने 'जमीनी स्तर पर' लोगों से केरल समेत इस पर्वत श्रृंखला के इलाकों में आपदाओं को खत्म करने के लिए कदम उठाने के लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों पर 'पर्याप्त रूप से दबाव' बनाने का अनुरोध किया.

गाडगिल और पश्चिमी घाट पारिस्थतिकी विशेषज्ञ समिति (डब्ल्यूजीईईपी) द्वारा तैयार रिपोर्ट केरल के मध्य जिलों कोट्टयम और इडुक्की में पश्चिमी घाट के पर्वतीय क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों में अचानक बाढ़ आने और भूस्खलनों में 24 से अधिक लोगों की मौत के बाद फिर से खबरों में है. डब्ल्यूजीईईपी की अध्यक्षता गाडगिल ने की है.

उन्होंने कहा, 'यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि चीजों को इस तरह की विकट स्थिति में सामने आना पड़ा है.' गाडगिल समिति रिपोर्ट के नाम से मशहूर इस रिपोर्ट को 2011 को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को सौंपा गया था. इसमें पारिस्थितिकी रूप से कमजोर घाटों को संरक्षित करने के कदम उठाने का सुझाव दिया गया. वन्यजीव के खजाने वाले इस घाट में पूरे देश के पौधों, मछली, सांप, उभयचर, पक्षी और स्तनधारी जीवों की 30 प्रतिशत से अधिक प्रजातियां पायी जाती है.

गाडगिल ने एक साक्षात्कार में कहा, 'आगे का रास्ता असल में उचित लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिए इस रिपोर्ट को लागू करना है. पश्चिमी घाटों में रह रहे समुदायों को अपने संवैधानिक लोकतांत्रिक अधिकारों का दावा करना चाहिए.'

उन्होंने पश्चिमी घाटों में आ रही आपदाओं के लिए पत्थर उत्खनन जैसे पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों को जिम्मेदार ठहराते हुए इस सुझाव को खारिज कर दिया कि पर्वतीय क्षेत्रों की रक्षा के लिए इस रिपोर्ट के क्रियान्वयन का समय खत्म हो गया है.

यह पूछने पर कि केवल केरल के पश्चिमी घाटों में ही ऐसी आपदाएं क्यों आ रही है, इस पर उन्होंने कहा, 'कुछ गलतफहमी है और गोवा तथा महाराष्ट्र जैसे राज्यों में साल दर साल ऐसी ही आपदाएं आ रही हैं.'

पढ़ें- केरल: इडूक्की सहित अन्य डैम के गेट खोले गए, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

हिमालयी पर्वत श्रृंखला से भी अधिक पुराने पश्चिमी घाट देश के पश्चिम तट पर केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र और गुजरात में फैले हैं. यह पर्वत श्रृंखला 1,40,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली है.

पढ़ें- केरल बाढ़-भूस्खलन : मृतकों की संख्या 23 तक पहुंची, प्रधानमंत्री ने सीएम से ली जानकारी

केरल में 'प्लाचीमाडा मामले' का जिक्र करते हुए गाडगिल ने कहा कि केरल उच्च न्यायालय ने स्पष्ट आदेश दिया कि ग्राम पंचायतों के पास मासूम लोगों की आजीविका और स्वास्थ्य की रक्षा करने का अधिकार है. 'प्लाचीमाडा मामले' में स्थानीय निवासियों ने पानी के अधिकारों के लिए कोका-कोला कंपनी के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी थी.

उन्होंने कहा, 'अत: ये अधिकार मान्य हैं, ये संवैधानिक हैं इसलिए देश, पश्चिमी घाटों के लिए इन्हें लागू किया जाना चाहिए और लोगों को उच्च स्तर पर अपने अधिकारों के लिए जोर देना चाहिए.'

पढ़ें- केरल बाढ़: रमेश ने गाडगिल समिति की रिपोर्ट लागू न करने की आलोचना की

(पीटीआई-भाषा)

तिरुवनंतपुरम : प्रतिष्ठित पारिस्थतिकी विशेषज्ञ माधव गाडगिल ने कहा कि पश्चिमी घाटों में हालात बदतर हो रहे हैं और उन्होंने 'जमीनी स्तर पर' लोगों से केरल समेत इस पर्वत श्रृंखला के इलाकों में आपदाओं को खत्म करने के लिए कदम उठाने के लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों पर 'पर्याप्त रूप से दबाव' बनाने का अनुरोध किया.

गाडगिल और पश्चिमी घाट पारिस्थतिकी विशेषज्ञ समिति (डब्ल्यूजीईईपी) द्वारा तैयार रिपोर्ट केरल के मध्य जिलों कोट्टयम और इडुक्की में पश्चिमी घाट के पर्वतीय क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों में अचानक बाढ़ आने और भूस्खलनों में 24 से अधिक लोगों की मौत के बाद फिर से खबरों में है. डब्ल्यूजीईईपी की अध्यक्षता गाडगिल ने की है.

उन्होंने कहा, 'यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि चीजों को इस तरह की विकट स्थिति में सामने आना पड़ा है.' गाडगिल समिति रिपोर्ट के नाम से मशहूर इस रिपोर्ट को 2011 को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को सौंपा गया था. इसमें पारिस्थितिकी रूप से कमजोर घाटों को संरक्षित करने के कदम उठाने का सुझाव दिया गया. वन्यजीव के खजाने वाले इस घाट में पूरे देश के पौधों, मछली, सांप, उभयचर, पक्षी और स्तनधारी जीवों की 30 प्रतिशत से अधिक प्रजातियां पायी जाती है.

गाडगिल ने एक साक्षात्कार में कहा, 'आगे का रास्ता असल में उचित लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिए इस रिपोर्ट को लागू करना है. पश्चिमी घाटों में रह रहे समुदायों को अपने संवैधानिक लोकतांत्रिक अधिकारों का दावा करना चाहिए.'

उन्होंने पश्चिमी घाटों में आ रही आपदाओं के लिए पत्थर उत्खनन जैसे पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों को जिम्मेदार ठहराते हुए इस सुझाव को खारिज कर दिया कि पर्वतीय क्षेत्रों की रक्षा के लिए इस रिपोर्ट के क्रियान्वयन का समय खत्म हो गया है.

यह पूछने पर कि केवल केरल के पश्चिमी घाटों में ही ऐसी आपदाएं क्यों आ रही है, इस पर उन्होंने कहा, 'कुछ गलतफहमी है और गोवा तथा महाराष्ट्र जैसे राज्यों में साल दर साल ऐसी ही आपदाएं आ रही हैं.'

पढ़ें- केरल: इडूक्की सहित अन्य डैम के गेट खोले गए, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

हिमालयी पर्वत श्रृंखला से भी अधिक पुराने पश्चिमी घाट देश के पश्चिम तट पर केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र और गुजरात में फैले हैं. यह पर्वत श्रृंखला 1,40,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली है.

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केरल में 'प्लाचीमाडा मामले' का जिक्र करते हुए गाडगिल ने कहा कि केरल उच्च न्यायालय ने स्पष्ट आदेश दिया कि ग्राम पंचायतों के पास मासूम लोगों की आजीविका और स्वास्थ्य की रक्षा करने का अधिकार है. 'प्लाचीमाडा मामले' में स्थानीय निवासियों ने पानी के अधिकारों के लिए कोका-कोला कंपनी के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी थी.

उन्होंने कहा, 'अत: ये अधिकार मान्य हैं, ये संवैधानिक हैं इसलिए देश, पश्चिमी घाटों के लिए इन्हें लागू किया जाना चाहिए और लोगों को उच्च स्तर पर अपने अधिकारों के लिए जोर देना चाहिए.'

पढ़ें- केरल बाढ़: रमेश ने गाडगिल समिति की रिपोर्ट लागू न करने की आलोचना की

(पीटीआई-भाषा)

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