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केशव मौर्य की हार के बड़े कारण ये रहे....भाजपा ने मांगी रिपोर्ट

भले ही यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल की हो लेकिन पार्टी के बड़े चेहरों में शुमार केशव मौर्य अपनी सीट बचाने में कामयाब नहीं हो सके. उन्हें हार का सामना करना पड़ा. उनकी हार की कई बड़ी वजहें रहीं हैं, भाजपा हाईकमान ने इसकी रिपोर्ट तलब की है.

there were many reasons for the defeat of deputy cm keshav maurya in the 2022 up assembly elections
केशव मौर्य की हार के बड़े कारण ये रहे
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Published : Mar 13, 2022, 11:15 AM IST

लखनऊ: 2017 के विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दिलाने वाले भाजपा के स्टार प्रचारक डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य खुद सिराथू विधानसभा सीट से चुनाव हार गए हैं. हार के कारणों को लेकर भाजपा हाईकमान के बीच चर्चा शुरू हो गई है और इसको लेकर पूरी रिपोर्ट भी मांगी गई है. सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि समाजवादी पार्टी की 2017 में जब पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी और सपा की लहर थी तब केशव प्रसाद मौर्य सिराथू सीट से भी ऐतिहासिक जीत दर्ज करने में सफल रहे थे, इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान फूलपुर सीट से भी सांसद निर्वाचित हुए थे लेकिन 2022 का विधानसभा चुनाव भितरघात और तमाम तरह की साजिश के चलते केशव प्रसाद मौर्य हार गए. इसे लेकर बीजेपी नेतृत्व गंभीरता से मंथन कर रहा है और पूरी रिपोर्ट तलब की गई है. रिपोर्ट के बाद कार्यवाही की बात भी पार्टी के उच्च स्तरीय सूत्र कह रहे हैं.

ईटीवी भारत को बीजेपी के बड़े नेताओं और आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारकों से मिली जानकारी के अनुसार केशव प्रसाद मौर्य की हार के कई बड़े कारण सामने आए हैं. सबसे चौंकाने वाली बात जो निकल कर सामने आई है उसके अनुसार बीजेपी के स्थानीय सांसद विनोद सोनकर का केशव प्रसाद मौर्य के चुनाव में दिलचस्पी न लेना और केशव मौर्य के साथ चुनाव प्रचार न करना बड़ी वजह है. साथ ही अपना दल की अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल भी अपनी बिरादरी कुर्मी समाज का वोट दिलाने में कामयाब नहीं हो पाई. वहीं. बीजेपी संगठन और सरकार में लगातार बढ़ रहे केशव प्रसाद मौर्य के कद से घबराए स्थानीय सांसद विनोद सोनकर ने अपने समाज यानी दलित समाज के वोटरों को बीजेपी की झोली में लाने का प्रयास नहीं किया, जिससे केशव प्रसाद मौर्य की करीब 7000 वोट से हार हो गई.

स्थानीय सांसद विनोद सोनकर सिर्फ सिराथू ही नहीं अपने संसदीय क्षेत्र की 5 विधानसभा सीटों पर दलित समाज का वोट नहीं दिला पाए जो भाजपा की हार का एक बड़ा कारण रहा. चौंकाने वाली बात यह है कि जिस सिराथू सीट से सपा गठबंधन की पल्लवी पटेल चुनाव जीती हैं, उसी गठबंधन के अंतर्गत अपना दल (कमेरावादी) का कोई अन्य प्रत्याशी उत्तर प्रदेश की किसी सीट पर चुनाव नहीं जीत सका. वहीं चौंकाने वाली बात यह है कि प्रतापगढ़ सीट से सपा गठबंधन ने अपना दल कमेरावादी की अध्यक्ष व पल्लवी पटेल की मां कृष्णा पटेल भी चुनाव मैदान में उतरीं थीं लेकिन वह चुनाव हार गईं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर यह जीत हुई तो कैसे हुई.

बीजेपी के कई बड़े नेताओं और आरएसएस के नेताओं का कहना है कि इसके पीछे सोची समझी साजिश है और केशव प्रसाद मौर्य के चुनाव में भितरघात करते हुए खेल कर दिया गया. वहीं, दूसरी तरफ प्रदेशभर की सभी विधानसभा सीटों पर ताबड़तोड़ चुनावी दौरे करते हुए भाजपा को जिताने की जी-तोड़ मेहनत केशव प्रसाद मौर्य करते रहे, लेकिन अपनी ही विधानसभा सीट पर वह समय नहीं दे पाए. चौंकाने वाली बात तो यह भी है कि जिस दिन 27 फरवरी को सिराथू में मतदान था उस दिन भी वह सिराथू में नहीं थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 27 फरवरी को चुनावी जनसभाओं में सक्रिय रहे और स्टार प्रचारक के रूप में बीजेपी उम्मीदवारों को जिताने की कोशिश करते रहे. ऐसे में खुद की सीट सिराथू पर समय न दे पाना भी एक हार की बड़ी वजह मानी जा रही है.

वहीं, बीजेपी अपना दल गठबंधन भी पटेल बिरादरी के वोट दिलाने में असफल रहा. पटेलों के वोट बैंक पर अपना एकाधिकार जताने वाले अपना दल (सोनेलाल) भी केशव प्रसाद मौर्य को अपने समाज का वोट दिलाने में फेल साबित हुआ. यही नहीं सिराथू और प्रयागराज के आसपास की तमाम सीटों पर पटेल उम्मीदवारों को भी पटेल बिरादरी का वोट नहीं मिला और इससे अपना दल गठबंधन पर भी सवाल उठ रहे हैं. अनुप्रिया पटेल ना सिर्फ सिराथू में केशव प्रसाद मौर्य को अपने समाज का वोट दिला पाईं बल्कि तमाम अन्य सीटों पर भी वह कुर्मी बिरादरी के वोट बीजेपी की झोली में डालने में असफल रहीं. यह भी बीजेपी की कई सीटों पर हार की बड़ी वजह है.

कौशांबी से बीजेपी के सांसद विनोद सोनकर दलित समाज से आते हैं. कौशांबी संसदीय क्षेत्र में 5 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें बीजेपी सबमें चुनाव हार गई है. 3 विधानसभा सीटों में मंझनपुर चायल सिराथू के अलावा प्रतापगढ़ जिले की कुंडा और बाबागंज सीट भी आती है. क्षेत्र से सांसद विनोद सोनकर बीजेपी के राष्ट्रीय मंत्री भी हैं. विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने और दलित समाज में विनोद सोनकर का कद बढ़ाने के लिए बीजेपी ने उन्हें चुनाव संचालन समिति में भी शामिल किया था लेकिन अपने समाज के वोटरों को लुभाने में विनोद सोनकर पूरी तरह से असफल साबित हुए. पूरे प्रदेश की बात छोड़िए, वह अपने संसदीय क्षेत्र में भी पार्टी हाईकमान के भरोसे पर खरे नहीं उतरे और दलित समाज का वोट भाजपा की झोली में नहीं डलवा पाये, इससे बीजेपी को बड़ी हार का भी सामना करना पड़ा.

एक तरफ जहां कौशांबी की सिराथू सीट से खुद केशव प्रसाद मौर्य चुनाव हार गए वहीं मंझनपुर से सिटिंग विधायक लालबहादुर को भी समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार इंद्रजीत सरोज ने चुनाव हरा दिया. चायल विधानसभा सीट से उम्मीदवार अपना दल के प्रत्याशी नागेंद्र सिंह पटेल भी चुनाव हार गए. इसी तरह कौशांबी संसदीय क्षेत्र में शामिल कुंडा और बाबागंज में भी बीजेपी की करारी हार हुई है. हालांकि यह क्षेत्र रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के प्रभाव वाला माना जाता है लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी के सांसद विनोद सोनकर की एक फोटो समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी गुलशन यादव के साथ वायरल हुई जो तमाम तरह के सवाल खड़ी करती है.

बीजेपी नेताओं का कहना है कि एक तरफ अपने समाज के करीब 80 हजार वोटों को बीजेपी की झोली में लाने में असफल रहे विनोद सोनकर की फोटो वायरल होने से गलत संदेश गया और इससे समाजवादी पार्टी के पक्ष में दलित समाज का वोट बैंक चला गया. इसको लेकर बीजेपी हाईकमान ने पूरी रिपोर्ट मांगी है. सूत्रों का कहना है कि सांसद ने अपने समाज और अपने लोगों का वोट ट्रांसफर कराने का भी काम किया है. इस तरह के भितरघात के लग रहे आरोपों को गंभीरता से बीजेपी हाईकमान ने संज्ञान लिया है और पूरी रिपोर्ट मांगी गई है.

ये भी पढ़ें- आदित्यनाथ आज दिल्ली में बीजेपी नेतृत्व के साथ सरकार गठन पर चर्चा करेंगे

बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता जो पूरी चुनाव रणनीति बनाने का काम करते हैं उन्होंने नाम ना लिखने की शर्त पर कहा कि पार्टी स्तर पर जो आंतरिक सर्वे कराए गए थे और जो लगातार फीडबैक क्षेत्र से लिया जा रहा था उसके अनुसार सिराथू सीट बीजेपी 100% जीत रही थी क्योंकि 2012, 2017 में भी बीजेपी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव भी जीता गया है. ऐसी परिस्थितियों को देखते हुए हम सब आश्वस्त थे कि सिराथू हम हाल में जीत ही जायेंगे. ऐसे में केशव प्रसाद मौर्य भी क्षेत्र में समय नहीं दे पाए और वह प्रदेश की सभी विधानसभा सीटों पर ताबड़तोड़ चुनाव प्रचार करते रहे. बीजेपी के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अगर जरा सा भी भितरघात या अन्य किसी तरह की साजिश का पता चल जाता तो स्थिति संभाली जा सकती थी,क्योंकि सिर्फ सात हजार मतों से चुनाव हारा गया है, लेकिन जो कुछ भी हुआ है वह बहुत ही गंभीर बात है और इसको लेकर पार्टी हाईकमान ने पूरी रिपोर्ट तलब की है.

भाजपा सांसद विनोद सोनकर ने ईटीवी भारत से फ़ोन पर भितरघात और सपा प्रत्याशी के साथ फ़ोटो के सवाल पर कहा कि हम दलित हैं कोई भी आरोप लगा सकते हैं. फोटो एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान की थी, हमने सपा के पक्ष में वोट ट्रांसफर नहीं कराए हैं, हम दलित हैं छोटे हैं तो कोई भी आरोप लगा देता है. लोकसभा जीतने और विधानसभा चुनाव हारने की बात पर कहा कि पंचायत चुनाव के दौरान मौर्या समाज और पटेल बिरादरी के बीच जो खाईं पैदा हुई उससे नुकसान हुआ.

लखनऊ: 2017 के विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दिलाने वाले भाजपा के स्टार प्रचारक डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य खुद सिराथू विधानसभा सीट से चुनाव हार गए हैं. हार के कारणों को लेकर भाजपा हाईकमान के बीच चर्चा शुरू हो गई है और इसको लेकर पूरी रिपोर्ट भी मांगी गई है. सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि समाजवादी पार्टी की 2017 में जब पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी और सपा की लहर थी तब केशव प्रसाद मौर्य सिराथू सीट से भी ऐतिहासिक जीत दर्ज करने में सफल रहे थे, इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान फूलपुर सीट से भी सांसद निर्वाचित हुए थे लेकिन 2022 का विधानसभा चुनाव भितरघात और तमाम तरह की साजिश के चलते केशव प्रसाद मौर्य हार गए. इसे लेकर बीजेपी नेतृत्व गंभीरता से मंथन कर रहा है और पूरी रिपोर्ट तलब की गई है. रिपोर्ट के बाद कार्यवाही की बात भी पार्टी के उच्च स्तरीय सूत्र कह रहे हैं.

ईटीवी भारत को बीजेपी के बड़े नेताओं और आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारकों से मिली जानकारी के अनुसार केशव प्रसाद मौर्य की हार के कई बड़े कारण सामने आए हैं. सबसे चौंकाने वाली बात जो निकल कर सामने आई है उसके अनुसार बीजेपी के स्थानीय सांसद विनोद सोनकर का केशव प्रसाद मौर्य के चुनाव में दिलचस्पी न लेना और केशव मौर्य के साथ चुनाव प्रचार न करना बड़ी वजह है. साथ ही अपना दल की अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल भी अपनी बिरादरी कुर्मी समाज का वोट दिलाने में कामयाब नहीं हो पाई. वहीं. बीजेपी संगठन और सरकार में लगातार बढ़ रहे केशव प्रसाद मौर्य के कद से घबराए स्थानीय सांसद विनोद सोनकर ने अपने समाज यानी दलित समाज के वोटरों को बीजेपी की झोली में लाने का प्रयास नहीं किया, जिससे केशव प्रसाद मौर्य की करीब 7000 वोट से हार हो गई.

स्थानीय सांसद विनोद सोनकर सिर्फ सिराथू ही नहीं अपने संसदीय क्षेत्र की 5 विधानसभा सीटों पर दलित समाज का वोट नहीं दिला पाए जो भाजपा की हार का एक बड़ा कारण रहा. चौंकाने वाली बात यह है कि जिस सिराथू सीट से सपा गठबंधन की पल्लवी पटेल चुनाव जीती हैं, उसी गठबंधन के अंतर्गत अपना दल (कमेरावादी) का कोई अन्य प्रत्याशी उत्तर प्रदेश की किसी सीट पर चुनाव नहीं जीत सका. वहीं चौंकाने वाली बात यह है कि प्रतापगढ़ सीट से सपा गठबंधन ने अपना दल कमेरावादी की अध्यक्ष व पल्लवी पटेल की मां कृष्णा पटेल भी चुनाव मैदान में उतरीं थीं लेकिन वह चुनाव हार गईं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर यह जीत हुई तो कैसे हुई.

बीजेपी के कई बड़े नेताओं और आरएसएस के नेताओं का कहना है कि इसके पीछे सोची समझी साजिश है और केशव प्रसाद मौर्य के चुनाव में भितरघात करते हुए खेल कर दिया गया. वहीं, दूसरी तरफ प्रदेशभर की सभी विधानसभा सीटों पर ताबड़तोड़ चुनावी दौरे करते हुए भाजपा को जिताने की जी-तोड़ मेहनत केशव प्रसाद मौर्य करते रहे, लेकिन अपनी ही विधानसभा सीट पर वह समय नहीं दे पाए. चौंकाने वाली बात तो यह भी है कि जिस दिन 27 फरवरी को सिराथू में मतदान था उस दिन भी वह सिराथू में नहीं थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 27 फरवरी को चुनावी जनसभाओं में सक्रिय रहे और स्टार प्रचारक के रूप में बीजेपी उम्मीदवारों को जिताने की कोशिश करते रहे. ऐसे में खुद की सीट सिराथू पर समय न दे पाना भी एक हार की बड़ी वजह मानी जा रही है.

वहीं, बीजेपी अपना दल गठबंधन भी पटेल बिरादरी के वोट दिलाने में असफल रहा. पटेलों के वोट बैंक पर अपना एकाधिकार जताने वाले अपना दल (सोनेलाल) भी केशव प्रसाद मौर्य को अपने समाज का वोट दिलाने में फेल साबित हुआ. यही नहीं सिराथू और प्रयागराज के आसपास की तमाम सीटों पर पटेल उम्मीदवारों को भी पटेल बिरादरी का वोट नहीं मिला और इससे अपना दल गठबंधन पर भी सवाल उठ रहे हैं. अनुप्रिया पटेल ना सिर्फ सिराथू में केशव प्रसाद मौर्य को अपने समाज का वोट दिला पाईं बल्कि तमाम अन्य सीटों पर भी वह कुर्मी बिरादरी के वोट बीजेपी की झोली में डालने में असफल रहीं. यह भी बीजेपी की कई सीटों पर हार की बड़ी वजह है.

कौशांबी से बीजेपी के सांसद विनोद सोनकर दलित समाज से आते हैं. कौशांबी संसदीय क्षेत्र में 5 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें बीजेपी सबमें चुनाव हार गई है. 3 विधानसभा सीटों में मंझनपुर चायल सिराथू के अलावा प्रतापगढ़ जिले की कुंडा और बाबागंज सीट भी आती है. क्षेत्र से सांसद विनोद सोनकर बीजेपी के राष्ट्रीय मंत्री भी हैं. विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने और दलित समाज में विनोद सोनकर का कद बढ़ाने के लिए बीजेपी ने उन्हें चुनाव संचालन समिति में भी शामिल किया था लेकिन अपने समाज के वोटरों को लुभाने में विनोद सोनकर पूरी तरह से असफल साबित हुए. पूरे प्रदेश की बात छोड़िए, वह अपने संसदीय क्षेत्र में भी पार्टी हाईकमान के भरोसे पर खरे नहीं उतरे और दलित समाज का वोट भाजपा की झोली में नहीं डलवा पाये, इससे बीजेपी को बड़ी हार का भी सामना करना पड़ा.

एक तरफ जहां कौशांबी की सिराथू सीट से खुद केशव प्रसाद मौर्य चुनाव हार गए वहीं मंझनपुर से सिटिंग विधायक लालबहादुर को भी समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार इंद्रजीत सरोज ने चुनाव हरा दिया. चायल विधानसभा सीट से उम्मीदवार अपना दल के प्रत्याशी नागेंद्र सिंह पटेल भी चुनाव हार गए. इसी तरह कौशांबी संसदीय क्षेत्र में शामिल कुंडा और बाबागंज में भी बीजेपी की करारी हार हुई है. हालांकि यह क्षेत्र रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के प्रभाव वाला माना जाता है लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी के सांसद विनोद सोनकर की एक फोटो समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी गुलशन यादव के साथ वायरल हुई जो तमाम तरह के सवाल खड़ी करती है.

बीजेपी नेताओं का कहना है कि एक तरफ अपने समाज के करीब 80 हजार वोटों को बीजेपी की झोली में लाने में असफल रहे विनोद सोनकर की फोटो वायरल होने से गलत संदेश गया और इससे समाजवादी पार्टी के पक्ष में दलित समाज का वोट बैंक चला गया. इसको लेकर बीजेपी हाईकमान ने पूरी रिपोर्ट मांगी है. सूत्रों का कहना है कि सांसद ने अपने समाज और अपने लोगों का वोट ट्रांसफर कराने का भी काम किया है. इस तरह के भितरघात के लग रहे आरोपों को गंभीरता से बीजेपी हाईकमान ने संज्ञान लिया है और पूरी रिपोर्ट मांगी गई है.

ये भी पढ़ें- आदित्यनाथ आज दिल्ली में बीजेपी नेतृत्व के साथ सरकार गठन पर चर्चा करेंगे

बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता जो पूरी चुनाव रणनीति बनाने का काम करते हैं उन्होंने नाम ना लिखने की शर्त पर कहा कि पार्टी स्तर पर जो आंतरिक सर्वे कराए गए थे और जो लगातार फीडबैक क्षेत्र से लिया जा रहा था उसके अनुसार सिराथू सीट बीजेपी 100% जीत रही थी क्योंकि 2012, 2017 में भी बीजेपी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव भी जीता गया है. ऐसी परिस्थितियों को देखते हुए हम सब आश्वस्त थे कि सिराथू हम हाल में जीत ही जायेंगे. ऐसे में केशव प्रसाद मौर्य भी क्षेत्र में समय नहीं दे पाए और वह प्रदेश की सभी विधानसभा सीटों पर ताबड़तोड़ चुनाव प्रचार करते रहे. बीजेपी के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अगर जरा सा भी भितरघात या अन्य किसी तरह की साजिश का पता चल जाता तो स्थिति संभाली जा सकती थी,क्योंकि सिर्फ सात हजार मतों से चुनाव हारा गया है, लेकिन जो कुछ भी हुआ है वह बहुत ही गंभीर बात है और इसको लेकर पार्टी हाईकमान ने पूरी रिपोर्ट तलब की है.

भाजपा सांसद विनोद सोनकर ने ईटीवी भारत से फ़ोन पर भितरघात और सपा प्रत्याशी के साथ फ़ोटो के सवाल पर कहा कि हम दलित हैं कोई भी आरोप लगा सकते हैं. फोटो एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान की थी, हमने सपा के पक्ष में वोट ट्रांसफर नहीं कराए हैं, हम दलित हैं छोटे हैं तो कोई भी आरोप लगा देता है. लोकसभा जीतने और विधानसभा चुनाव हारने की बात पर कहा कि पंचायत चुनाव के दौरान मौर्या समाज और पटेल बिरादरी के बीच जो खाईं पैदा हुई उससे नुकसान हुआ.

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