नई दिल्ली: आरएसएस की महिला इकाई राष्ट्रीय सेविका समिति के एक कार्यक्रम में कहा गया है कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम का जब इतिहास लिखा गया तो वामपंथी विचारधारा के लेखकों ने महिला क्रांतिकारियों के योगदान के उल्लेख में भेद भाव किया. उनकी भूमिका के कारण साम्राज्यवाद कमजोर पड़ा लेकिन मार्क्सवादी इतिहासकारों ने इनका कहीं उल्लेख नहीं किया.
नेहरूवादी राज ने इनको सम्मान नहीं दिया गया. भाजपा सांसद और संघ विचारक राकेश सिन्हा ने आज़ादी के अमृत महोत्सव से जुड़े शहीद नमनांजलि कार्यक्रम में आज कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता चांदबाई, मतांगनि हाजरा,मालती देवी,एकेम्मा चेरियन जैसी सैंकड़ों महिला स्वतंत्रता सेनानियों की उपेक्षा की गयी.
साम्राज्यवादी शासन के विरूद्ध लड़ने वाली ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं की भूमिका इतिहास की पुस्तकों में नगण्य है. उदाहरण के लिए कर्नाटक के सिंजक्की माकी गांव की महिलाओं ने अंग्रेंजों को नाकों चने चबवा दिए थे. कुलीन घरानों को इतिहास में स्थान दिया गया आम जन के योगदान का कहीं वर्णन नहीं है . इसलिए स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास का पुनर्लेखन आवश्यक है.
विश्व के सबसे बडे सामाजिक सांस्कृतिक राष्ट्रीय विचारों के महिला संगठन राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका शांता कुमारी ने कहा कि अमरत्व अपने कार्यों से प्राप्त होता है. जैसे कि हमारे महान ऋषि वाल्मिकि जिनकी आज जयंती है उन्होनें रामायण के माध्यम से मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम के दर्शन पूरे विश्व को करवाए.
स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के अवसर पर देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वालों के साथ साथ उन्होने महर्षि वाल्मिकी को श्रद्धांजलि देते हुए वाल्मिकी के कार्यों को शाश्वत और अमर बताया . उन्होनें कहा कि भारत की स्वतंत्रता और एकता के मूल में हमारा प्राचीन आध्यात्मिक चिंतन और एकात्म भाव दर्शन है . पिछले पूरे एक वर्ष स्वाधीनता का अमृत महोत्सव मनाया गया और उसी श्रृंखला में आज शहीद नमनाजंलि कार्यक्रम रखा गया है .
राष्ट्र सेविका समिति ने पिछले वर्ष 14 अगस्त को आज़ादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम की घोषणा की थी और 15 अगस्त से पूरे देश में कार्यक्रमों की रचना की गयी जिसमें पांच बिंदुओं को मुख्य रूप से केंद्र में रखा गया था . 1857 की क्रांति,भारत विभाजन की विभिषिका , विभिन्न सामाजिक व्यक्तियों की स्वतंत्रता संग्राम में सहभागिता,साहित्यकारों ,कवियों पत्रकारों के माध्यम से जो जन जागरण किया गया और नेता जी सुभाष चंद्र बोस का तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा आंदोलन.
राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय सह कार्यवाहिका सुनीता हल्देकर ने बताया कि राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर पर लगभग 4000 वक्ताओं को विचार व्यक्त करने का प्रशिक्षण दिया गया . स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अन्य सामाजिक संस्थाओं में कवि सम्मेलन आयोजित किए गए देश भक्ति गीतों की हस्तलिखित 125 पत्रिकाएं निकालीं गयीं.
उन स्वतंत्रता सेनानियों,वीरागंनाओं को सम्मानित किया, जो स्वाधीनता संग्राम से लेकर अमृत महोत्सव तक के साक्षी हैं. उन परिवारों को भी सम्मानित किया जिनके पुरखों ने बलिदान दिया. जिन कारागृहों में स्वतंत्रता सेनानियों को यातनएं दी गयीं और फांसी पर चढ़ाया गया वहां भी कार्यक्रम आयोजित किए गए. राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख डॉ शरद रेणु शर्मा ने बताया कि जिन दो पुस्तकों-- स्वराज क्रांति और महिलाएं ,और गीत अर्धय का विमोचन किया गया ये स्वाधनीता संग्राम के वीरों और वीरांगनाओं को श्रद्धांजलि है.
शरद रेणु ने बताया कि स्वराज और क्रांति पुस्तक के पांच भागों में उन वीरागंनाओं का चयन किया गया है जिन्होनें अंग्रेंजों से युद्ध करके स्वराज क्रांति के बीज बोए ,स्वाधीनता के लिए समाज जागरण करके एकता पैदा की स्वाधीनता संग्राम में अपने प्राणों की बलि दे दी और पांचवे भाग में अंग्रेंजो भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने वाली महिलाओं का वर्णन है. दूसरी पुस्तक गीत अर्धय में सेविकाओं द्वारा लिखे गए अनेक प्रांतीय भाषाओं के देश भक्ति गीतों का संकलन है. शरद रेणु ने कहा ये गीत देश के लिए मर मिटने वाले वीरों , वीरांगनाओं और भारत माता को समर्पित हैं .
आज़ादी के अमृत महोत्सव के समापन के अवसर पर आयोजित शहीद नमनांजलि कार्यक्रम में दिल्ली प्रांत की त्रैमासिक ई पत्रिका अपाला के प्रथम वार्षिक अंक का विमोचन भी किया गया. दिल्ली प्रांत की सहकार्यवाहिका विदुषी शर्मा ने बताया कि अपाला समिति की सेविकाओं के बीच संवाद और बौद्धिक विमर्श का माध्यम बनी है .
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विभिन्न समसामयिक विषयों पर समिति भारतीय समाज और भारतीय दृष्टि से अपना विमर्श साझा करती है . प्रांत में समिति की गतिविधियों को एक साथ एक मंच पर लाने में भी अपाला महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. वार्षिक अंक में विभिन्न क्षेत्रों में सर्वोच्च स्थानों पर पदासीन महिलाओं के लेखों का संकलन समाहित है . बता दें कि यह शहीद नमनांजलि कार्यक्रम राष्ट्र सेविका समिति दिल्ली प्रांत ने आयोजित किया था. इसमें लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने कार्यक्रम के दौरान देश भक्ति गीत गा कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी तो वहीं, गीतकार और कवि मनोज मुंतशिर ने अपने काव्य पाठ से श्रद्धांजली दिया. ब्रज क्षेत्र से आए लोक कलाकारों की रास मंडली ने रास नृत्य की प्रस्तुति दी .