नई दिल्ली : डिजिटल प्लेटफार्म के लिए सरकार की नई गाइडलाइंस के बाद कई सवाल उठ रहे हैं. इसपर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव अमित खरे ने कहा कि ओटीटी पर फिल्मों की तरह कोई सेंसरशिप नहीं है.
ओटीटी और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म की नई आचार-संहिता पर खरे ने कहा कि सरकार की भूमिका कम से कम रखी गई है. शिकायत निवारण में कहा गया है कि वो खुद ही अपनी शिकायतों का निपटारा कर लें, नहीं तो एसोसिएशन बना लें और उसमें सेवानिवृत्त जज या किसी विख्यात व्यक्ति को रखें.
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अमित खरे ने कहा कि संबंधित प्लेटफार्म खुद अपने कंटेट का वर्गीकरण करेंगे. इसका उद्देश्य यह है कि लोगों को कंटेंट देखने से पहले उसकी सही जानकारी मिल सके.
उन्होंने कहा कि इसी आधार पर सीबीएफसी द्वारा फिल्मों का वर्गीकरण किया जाता है. यहां वर्गीकरण प्लेटफार्मों द्वारा किया जाएगा, लेकिन वे सूचित करेंगे कि यह किस आयु मानदंड के अनुसार है.
उन्होंने कहा कि हमने उम्र के बारे में जो बेंचमार्क रखा है, वह अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क है और यह ज्यादातर देशों में लागू है.
उन्होंने कहा कि स्तरीय खेल मैदान का मतलब हर किसी के लिए समान क्षेत्र नहीं है. हां विनियमन में किसी प्रकार की समानता हो सकती है.