नई दिल्ली: दिल्ली स्थित अखिल भारतीय चिकित्सा विज्ञान (एम्स) और भारत भर के अन्य नए एम्स संस्थानों में कुल 21,503 संकाय और गैर-संकाय पद खाली हैं. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने मंगलवार को राज्यसभा में इसकी जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि विभिन्न एम्स में संकाय और गैर-संकाय पदों पर भर्ती संस्थान में जोड़ी गई अतिरिक्त सेवाओं और सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए की जाती है. पवार ने कहा, 'अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली के अलावा, 22 नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की स्थापना को प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के तहत कैबिनेट द्वारा मंजूरी दे दी गई है. पीएमएसएसवाई के तहत स्थापित 22 एम्स में से 19 कार्यात्मक हैं.'
सरकारी आंकड़ों में कहा गया है कि विभिन्न राज्यों के एम्स में 1807 संकाय पदों और 19696 गैर-संकाय पदों की कमी है. कुल 347 रिक्तियों के साथ दिल्ली एम्स ऐसे संस्थानों की सूची में सबसे आगे है. दिल्ली एम्स में संकाय की कुल स्वीकृत संख्या 1207 के मुकाबले वर्तमान में संकाय की संख्या 860 है. इसी तरह, गैर संकाय पद पर दिल्ली एम्स 2431 रिक्त पदों के साथ सूची में शीर्ष पर है. 12878 गैर-संकाय पदों की कुल संख्या के मुकाबले, वर्तमान में इसमें 10447 संकाय हैं.
उन्होंने कहा कि प्रत्येक एम्स मौजूदा रिक्तियों और अस्पतालों में जोड़ी गई अतिरिक्त सेवाओं और सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए आवश्यकता के आधार पर विभिन्न संकाय और गैर-संकाय पदों पर भर्ती करता है. स्वायत्त संस्थानों के रूप में प्रत्येक एम्स संस्थान के लिए स्वीकृत संकाय/गैर संकाय पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी करता है.
एक अन्य जवाब में, पवार ने कहा कि 'मौजूदा जिला/रेफरल अस्पताल से जुड़े नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना' के लिए केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) के तहत 2014 से 157 मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है. इन मेडिकल कॉलेजों में 157 नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना की घोषणा बजट भाषण 2023-24 में की गई है. यह शुरुआती वर्षों में सरकारी क्षेत्र में लगभग 15000 नर्सिंग सीटें जोड़ेगा.'
ई-संजीवनी पहल के तहत 14.17 करोड़ से अधिक टेली-परामर्श दिए : वहीं, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को कहा कि उनके मंत्रालय की ई-स्वास्थ्य पहल ई-संजीवनी के तहत अप्रैल 2021 से इस साल 26 जुलाई तक 14.17 करोड़ से अधिक टेली-परामर्श दिए गए हैं. उन्होंने एक सवाल के जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने टेलीमेडिसिन एप्लिकेशन ई-संजीवनी विकसित की है जिसमें डॉक्टर से डॉक्टर और डॉक्टर से रोगी को परामर्श दिया जाता है। इस एप्लिकेशन के तहत विशेषज्ञों सहित डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्रों में रोगियों को स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों (एचडब्ल्यूसी) में सेवाएं प्रदान करते हैं.
इस ऐप की शुरुआत अप्रैल 2021 में की गई थी. मांडविया ने कहा कि इसके अलावा दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी ई-संजीवनी के 'ओपीडी' के माध्यम से सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं औ 26 जुलाई, 2023 तक कुल 14,17,81,384 टेली- परामर्श दिए जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में, कुल 57,32,954 टेली-परामर्श दिए जा चुके हैं, जिनमें से 9,54,835 टेली- परामर्श वरिष्ठ नागरिकों को और 31,67,798 टेली- परामर्श महिलाओं को प्रदान किए गए हैं.
उन्होंने कहा कि देश भर में टेलीमेडिसिन सेवाओं सहित डिजिटल स्वास्थ्य पहल के प्रभावी कार्यान्वयन की सहायता के उद्देश्य से, स्वास्थ्य मंत्रालय स्वास्थ्य आईटी बुनियादी ढांचे और इंटरनेट कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत सभी राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है. सरकार ने टेलीमेडिसिन सेवाओं के बारे में जानकारी प्रसारित करने और ग्रामीण क्षेत्रों में जनता के बीच जागरुकता पैदा करने के लिए कई कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा कि टेलीमेडिसिन के माध्यम से संबंधित विशेषज्ञों के साथ परामर्श की सुविधा के लिए देश भर में विशेषज्ञ केंद्र स्थापित किए गए हैं.
(एक्स्ट्रा इनपुट एजेंसी)