थेनी : तमिलनाडु में थेनी जिले में गुरुवार को एक चौंकाने वाली घटना सामने आई. यहां के अंदीपट्टी के पास रेनकरमपट्टी नामक गांव में 300 परिवारों ने थाना घेराव किया था. इन ग्रामीणों की मांग थी कि पुलिस द्वारा गिरफ्तार गांव के होम्योपैथी डॉक्टर को रिहा कराया जाए. जानकारी के मुताबिक, केरल के बाबू (62) नामक एक होम्योपैथी डॉक्टर 40 साल पहले इस गांव में आकर बसे थे. होम्योपैथी चिकित्सक बाबू बेहद कम खर्च में ग्रामीणों का इलाज कर रहे थे. बताया जाता है कि कोरोना महामारी के दौरान भी उन्होंने गांव वालों को तरह-तरह की सहायता प्रदान की.
इधर, डॉ बाबू पर आरोप है कि होम्योपैथी चिकित्सक होने के बावजूद अंग्रेजी दवा और उपचार करते हैं. यह शिकायत गांव के ही एक शख्स रघुराम ने पुलिस में की थी. रघुराम की शिकायत है कि डॉ बाबू लोगों को अंग्रेजी दवा और इंजेक्शन देते हैं. शिकायत के आधार पर पुलिस ने होम्योपैथी चिकित्सक डॉ बाबू को गिरफ्तार कर लिया और उसे अंदिपट्टी थाने ले गई. होम्योपैथी डॉक्टर बाबू की गिरफ्तारी की खबर पूरे गांव में फैल गई.
40 सालों से ग्रामीणों की सेवा करने वाले डॉक्टर जो कोरोना महामारी के दौरान भी बगैर अपनी चिंता किये लोगों का इलाज करता रहा, उसकी गिरफ्तारी की खबर से गांव में तनाव फैल गया. गांव के महिला-पुरुषों समेत 500 से अधिक ग्रामीण अंदिपट्टी थाने पहुंच गए. ग्रामीणों ने होम्योपैथिक चिकित्सक की रिहाई की मांग को लेकर थाना का घेराव किया. थाना घेराव की खबर पाकर अंदिपट्टी डीएसपी रामालिंगम घटनास्थल पर पहुंचकर गांव वालों से बातचीत की.
ग्रामीणों का कहना है कि होम्योपैथी चिकित्सक डॉ बाबू के बताए इलाज से किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ है. यहां तक कि जरूरतमंद व्यक्ति के पास पैसे नहीं भी होते तो भी डॉक्टर उसका सही इलाज करते हैं. वह किसी भी तरीके से फर्जी चिकित्सक नहीं है. इसलिए उन्हें रिहा कर दें. एक घंटे से अधिक समय तक जब लोग धरने पर ही बैठे रहे, तब पुलिस ने ग्रामीणों की बात सुनी और होम्योपैथी चिकित्सक डॉ बाबू को रिहा कर दिया. इसके साथ ही पुलिस ने डॉ बाबू को होम्योपैथी दवा के अलावा अन्य किसी दवा प्रिस्क्राइब नहीं करने की चेतावनी दी.
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