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बिहार के इस शहर में 14 अगस्त की रात को फहराया गया तिरंगा, 1947 से चली आ रही ये परंपरा

वाघा बॉर्डर के बाद पूर्णिया देश की दूसरी ऐसी जगह है, जहां आधी रात में तिरंगा फहराया जाता है. 1947 से लगातार भट्ठा बाजार स्थित झंडा चौक पर ध्वजारोहण किया जाता है. इसके बाद तो यह परंपरा ही बन गई.

Independence Day
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Published : Aug 15, 2022, 8:42 AM IST

पूर्णिया: आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) के बीच स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए जहां पूरा देश 15 अगस्त (Independence Day 2022) की सुबह का इंतजार कर रहा है. वहीं बिहार के पूर्णिया में 14 अगस्त 1947 से चली आ रही परंपरा को कायम रखा है. इसी दिन के बाद से आज तक लोग यहां ऐतिहासिक स्थल झंडा चौक पर मध्य रात्रि को ठीक 12:01 बजे झंडोत्तोलन कर आजादी का 75वां वर्षगांठ मना लिये हैं. देश के बाघा बॉर्डर और पूर्णिया के झंडा चौक ऐसी दो ऐसी जगह है, जहां प्रत्येक साल 14 अगस्त की अंधेरी रात में ही झंडोत्तोलन कर दिया जाता है.

ये भी पढ़ें- आजादी के 75 साल, Har Ghar Tiranga उत्सव में डूबा पूरा देश

पूर्णिया में पहले ही किया गया झंडोतोलन: परंपरा के तौर पर मौके पर लोगों ने एक दूसरे को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं भी दी. वहीं 14 अगस्त की रात में दूधिया रोशनी में भारत माता के गूंजते जयकारे और आजादी के जश्न में डूबे लोगों की खुशी देखते ही बन रही थी. मौका आजादी की जश्न का था. इस तरह वर्षों से चली आ रही परंपरा को कायम रखने के साथ 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि में दूधिया रोशनी में लोग झंडोतोलन करते हैं. ऐतिहासिक झंडा चौक पर एकत्रित होकर सन् 1947 से चली आ रही परंपरा को बरकरार रखते हुए स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह के पोते विपुल प्रसाद सिंह ने ठीक 12:01 पर झंडा फहराया.

मौके पर विधायक भी रहे मौजूद: इस दौरान विपुल सिंह के परिवार के सदस्य भी इस पल के साक्षी बने. वहीं इस दौरान जुड़े अन्य लोगों के बीच सदर विधायक विजय खेमका, समाजसेवी दिलीप कुमार दीपक, फ्लैग मैन अनिल कुमार चौधरी समेत कई लोग मौजूद रहे. स्थानीय विधायक विजय खेमका (Purnea MLA Vijay Khemka) ने कहा कि देश में बाघा बॉर्डर के बाद पूर्णिया में सबसे पहले आजादी का जश्न मनाया जाता है. यह परंपरा 14 अगस्त 1947 से चल रही है. इसे बरकरार रखते हुए 14-15 अगस्त की मध्य रात्रि में ठीक 12:01 पर झंडोत्तोलन किया जाता है.

झंडोत्तोलन की परंपरा के मुताबिक रामेश्वर प्रसाद सिंह के निधन के बाद उनके पुत्र सुरेश कुमार सिंह ने झंडात्तोलन की कमान संभाली और उनके साथ रामजतन साह, कमल देव नारायण सिन्हा, गणेश चंद्र दास, स्नेही परिवार, शमशुल हक के परिवार के सदस्यों ने मदद करनी शुरू की.

विपुल बताते हैं, ''1947 में 12 बजकर एक मिनट पर रेडियो पर भारत के आजादी की घोषणा हुई थी. तब पूर्णिया के स्वतंत्रता सेनानी व उनके दादा रामेश्वर सिंह, रामरतन साह और शमशुल हक के साथ मिलकर आधी रात को ही झंडा चौक पर तिरंगा फहराया था. इसके बाद से ही पूर्णिया के भट्ठा बाजार में झंडा चौक पर झंडा फहराने की परंपरा चली आ रही है.'' इतना ही नहीं विपुल सिंह कहते है कि ''मेरे दादा जी कहते थे कि 14 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि जब पहली बार झंडा चौक पर तिरंगा फहराया गया था, उस समय गणेश चंद्र दास के सौजन्य से यहां चार मन जिलेबी का वितरण हुआ था. उस दौरान झंडा चौक पर इतनी भीड़ थी कि जलेबी भी कम पड़ गई थी.''

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बिहार पुलिस को मिला 26 राष्ट्रपति पदक

पूर्णिया: आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) के बीच स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए जहां पूरा देश 15 अगस्त (Independence Day 2022) की सुबह का इंतजार कर रहा है. वहीं बिहार के पूर्णिया में 14 अगस्त 1947 से चली आ रही परंपरा को कायम रखा है. इसी दिन के बाद से आज तक लोग यहां ऐतिहासिक स्थल झंडा चौक पर मध्य रात्रि को ठीक 12:01 बजे झंडोत्तोलन कर आजादी का 75वां वर्षगांठ मना लिये हैं. देश के बाघा बॉर्डर और पूर्णिया के झंडा चौक ऐसी दो ऐसी जगह है, जहां प्रत्येक साल 14 अगस्त की अंधेरी रात में ही झंडोत्तोलन कर दिया जाता है.

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पूर्णिया में पहले ही किया गया झंडोतोलन: परंपरा के तौर पर मौके पर लोगों ने एक दूसरे को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं भी दी. वहीं 14 अगस्त की रात में दूधिया रोशनी में भारत माता के गूंजते जयकारे और आजादी के जश्न में डूबे लोगों की खुशी देखते ही बन रही थी. मौका आजादी की जश्न का था. इस तरह वर्षों से चली आ रही परंपरा को कायम रखने के साथ 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि में दूधिया रोशनी में लोग झंडोतोलन करते हैं. ऐतिहासिक झंडा चौक पर एकत्रित होकर सन् 1947 से चली आ रही परंपरा को बरकरार रखते हुए स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह के पोते विपुल प्रसाद सिंह ने ठीक 12:01 पर झंडा फहराया.

मौके पर विधायक भी रहे मौजूद: इस दौरान विपुल सिंह के परिवार के सदस्य भी इस पल के साक्षी बने. वहीं इस दौरान जुड़े अन्य लोगों के बीच सदर विधायक विजय खेमका, समाजसेवी दिलीप कुमार दीपक, फ्लैग मैन अनिल कुमार चौधरी समेत कई लोग मौजूद रहे. स्थानीय विधायक विजय खेमका (Purnea MLA Vijay Khemka) ने कहा कि देश में बाघा बॉर्डर के बाद पूर्णिया में सबसे पहले आजादी का जश्न मनाया जाता है. यह परंपरा 14 अगस्त 1947 से चल रही है. इसे बरकरार रखते हुए 14-15 अगस्त की मध्य रात्रि में ठीक 12:01 पर झंडोत्तोलन किया जाता है.

झंडोत्तोलन की परंपरा के मुताबिक रामेश्वर प्रसाद सिंह के निधन के बाद उनके पुत्र सुरेश कुमार सिंह ने झंडात्तोलन की कमान संभाली और उनके साथ रामजतन साह, कमल देव नारायण सिन्हा, गणेश चंद्र दास, स्नेही परिवार, शमशुल हक के परिवार के सदस्यों ने मदद करनी शुरू की.

विपुल बताते हैं, ''1947 में 12 बजकर एक मिनट पर रेडियो पर भारत के आजादी की घोषणा हुई थी. तब पूर्णिया के स्वतंत्रता सेनानी व उनके दादा रामेश्वर सिंह, रामरतन साह और शमशुल हक के साथ मिलकर आधी रात को ही झंडा चौक पर तिरंगा फहराया था. इसके बाद से ही पूर्णिया के भट्ठा बाजार में झंडा चौक पर झंडा फहराने की परंपरा चली आ रही है.'' इतना ही नहीं विपुल सिंह कहते है कि ''मेरे दादा जी कहते थे कि 14 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि जब पहली बार झंडा चौक पर तिरंगा फहराया गया था, उस समय गणेश चंद्र दास के सौजन्य से यहां चार मन जिलेबी का वितरण हुआ था. उस दौरान झंडा चौक पर इतनी भीड़ थी कि जलेबी भी कम पड़ गई थी.''

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