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छोटे कुल की रस्म के साथ अजमेर दरगाह का 810वां सालाना उर्स हुआ सम्पन्न, बड़े कुल की रस्म 11 को - राजस्थान में उर्स

810वें उर्स की शुरूआत कोरोना गाइडलाइन की बंदिशों के साथ हुई थी. लेकिन इस दौरान नाइट कर्फ्यू हटने और गाइडलाइन में छूट मिलने से उर्स परवान चढ़ गया. उर्स के आखिरी तीन दिनों में अकीदतमंदों की संख्या बढ़ती गई.

The six-day Urs ends with the Qul ritual
छोटे कुल की रस्म के साथ अजमेर दरगाह का 810वां सालाना उर्स हुआ सम्पन्न
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Published : Feb 8, 2022, 10:59 PM IST

अजमेर. ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स (Ajmer Sharif 810th Urs) कुल की रस्म के साथ मंगलवार को सम्पन्न हुआ. कुल की रस्म के बाद जायरीन उर्स (Urs of Ajmer) की यादों को अपने जहन में समेटे हुए घरों को लौटने लगे हैं. 810वें उर्स की शुरूआत कोरोना गाइडलाइन की बंदिशों के साथ हुई थी. लेकिन इस दौरान नाइट कर्फ्यू हटने और गाइडलाइन में छूट मिलने से उर्स परवान चढ़ गया. उर्स के आखिरी तीन दिनों में अकीदतमंदों की संख्या बढ़ती गई.

छोटे कुल की रस्म के साथ अजमेर दरगाह का 810वां सालाना उर्स हुआ सम्पन्न

ख्वाजा गरीब नवाज के दर पर लोग अपनी मन्नतें और मुरादें लेकर आए, ताकि बेपटरी हुई जीवन की गाड़ी फिर से पटरी पर आ जाए. कलकत्ता से आई महिला जायरीन ने कहा कि ख्वाजा के दर पर रूहानी फेज मिलता है. उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से लोग काफी परेशान हैं. यही वजह है कि अपनी और अपनों की खैरियत और खुशहाली मांगने लाखों लोग दरगाह आए हैं.

पढ़ेंःअजमेर दरगाह की जियारत के बाद बोले फारूक अब्दुल्ला, भाजपा के साथ न कभी थे न रहेंगे

दरगाह के खादिम सैय्यद नफीस मियां चिश्ती ने बताया कि छोटे कुल की रस्म पर अकीदतमंदों ने दरगाह को केवड़े और गुलाब जल से धोया. दरगाह दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन की सदारत में उर्स की अंतिम महफ़िल हुई. दरगाह में सलातो सलाम पढ़ा गया. इसके बाद मुल्क में अमनचैन, खुशहाली, भाईचारे की दुआ मांगी गई. छोटे कुल की रस्म के दौरान खादिम समुदाय के लोगों ने एक-दूसरे के लिए दुआएं कर दस्तारबंदी की. चिश्ती ने बताया कि उर्स सम्पन हो चुका है. 11 फरवरी को बड़े कुल की रस्म दरगाह में निभाई जाएगी.

दरगाह कमेटी के सदर अमीन पठान ने बताया कि ख्वाजा गरीब नवाज के चाहने वाले हर मजहब के लोग हैं. साम्प्रदायिक सद्भाव की मिसाल देश और दुनिया में यह दरगाह है. उर्स के मौके पर आने वाले लोगों की दुआएं कबूल हों. पठान ने कहा कि दरगाह में भाईचारे और कोरोना से निजात के लिए दुआ की गई. उन्होंने पुलिस, प्रशासन, मेडिकल टीम सहित तमाम विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों को शुक्रिया अदा किया है, जो उर्स व्यवस्थाओं में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

अजमेर. ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स (Ajmer Sharif 810th Urs) कुल की रस्म के साथ मंगलवार को सम्पन्न हुआ. कुल की रस्म के बाद जायरीन उर्स (Urs of Ajmer) की यादों को अपने जहन में समेटे हुए घरों को लौटने लगे हैं. 810वें उर्स की शुरूआत कोरोना गाइडलाइन की बंदिशों के साथ हुई थी. लेकिन इस दौरान नाइट कर्फ्यू हटने और गाइडलाइन में छूट मिलने से उर्स परवान चढ़ गया. उर्स के आखिरी तीन दिनों में अकीदतमंदों की संख्या बढ़ती गई.

छोटे कुल की रस्म के साथ अजमेर दरगाह का 810वां सालाना उर्स हुआ सम्पन्न

ख्वाजा गरीब नवाज के दर पर लोग अपनी मन्नतें और मुरादें लेकर आए, ताकि बेपटरी हुई जीवन की गाड़ी फिर से पटरी पर आ जाए. कलकत्ता से आई महिला जायरीन ने कहा कि ख्वाजा के दर पर रूहानी फेज मिलता है. उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से लोग काफी परेशान हैं. यही वजह है कि अपनी और अपनों की खैरियत और खुशहाली मांगने लाखों लोग दरगाह आए हैं.

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दरगाह के खादिम सैय्यद नफीस मियां चिश्ती ने बताया कि छोटे कुल की रस्म पर अकीदतमंदों ने दरगाह को केवड़े और गुलाब जल से धोया. दरगाह दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन की सदारत में उर्स की अंतिम महफ़िल हुई. दरगाह में सलातो सलाम पढ़ा गया. इसके बाद मुल्क में अमनचैन, खुशहाली, भाईचारे की दुआ मांगी गई. छोटे कुल की रस्म के दौरान खादिम समुदाय के लोगों ने एक-दूसरे के लिए दुआएं कर दस्तारबंदी की. चिश्ती ने बताया कि उर्स सम्पन हो चुका है. 11 फरवरी को बड़े कुल की रस्म दरगाह में निभाई जाएगी.

दरगाह कमेटी के सदर अमीन पठान ने बताया कि ख्वाजा गरीब नवाज के चाहने वाले हर मजहब के लोग हैं. साम्प्रदायिक सद्भाव की मिसाल देश और दुनिया में यह दरगाह है. उर्स के मौके पर आने वाले लोगों की दुआएं कबूल हों. पठान ने कहा कि दरगाह में भाईचारे और कोरोना से निजात के लिए दुआ की गई. उन्होंने पुलिस, प्रशासन, मेडिकल टीम सहित तमाम विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों को शुक्रिया अदा किया है, जो उर्स व्यवस्थाओं में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

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