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CAPF में महिलाओं की संख्या काफी कम, संसदीय कमेटी ने सदन में जताई चिंता

समिति ने कहा कि वो यह जानकर निराश है कि महिलाएं सीएपीएफ की कुल ताकत का केवल 3.68% हिस्सा हैं. भाजपा के राज्यसभा सदस्य बृजलाल की अध्यक्षता वाली गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि सीएपीएफ और असम राइफल्स में महिलाओं की भर्ती को प्रोत्साहित करने के लिए गृह मंत्रालय के प्रयासों के बावजूद महिलाओं की संख्या बहुत कम है.

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CAPF में महिलाओं की संख्या काफी कम
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Published : Dec 14, 2022, 7:43 AM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) में महिलाओं की संख्या काफी कम होने पर एक संसदीय समिति निराशा व्यक्त की है. जानकारी के मुताबिक सेंट्रल ऑर्म पुलिस फोर्स की कुल संख्या का केवल 3.68 प्रतिशत ही महिलाएं हैं. कमेटि ने पाया कि 2016 में सरकार ने सीआरपीएफ (CRPF) और सीआईएसएफ (CISF) में कांस्टेबल स्तर के पदों को महिलाओं के लिए 33 फीसदी और सीमा सुरक्षा बलों, बीएसएफ, एसएसबी और आईटीबीपी में 14-15% आरक्षित करने का निर्णय लिया गया था.

समिति ने कहा कि वो यह जानकर निराश है कि महिलाएं सीएपीएफ की कुल ताकत का केवल 3.68% हिस्सा हैं. भाजपा के राज्यसभा सदस्य बृजलाल की अध्यक्षता वाली गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि सीएपीएफ और असम राइफल्स में महिलाओं की भर्ती को प्रोत्साहित करने के लिए गृह मंत्रालय के प्रयासों के बावजूद महिलाओं की संख्या बहुत कम है. समिति ने सिफारिश की है कि गृह मंत्रालय को सीएपीएफ में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए.

पढ़ें: व्हाइट हाउस ने तवांग में भारत चीन संघर्ष पर कहा- हमें खुशी है कि दोनों पक्ष शांति बनाये हुए हैं

विशेषकर सीआईएसएफ और सीआरपीएफ में महिलाओं के लिए चरणबद्ध भर्ती अभियान तेजी से चलाया जा सकता है. समिति ने मंगलवार को राज्यसभा में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा, सीमा चौकियों में अनुकूल माहौल बनाने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए ताकि महिलाएं सुरक्षा बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित हों. समिति ने यह भी सिफारिश की है कि गृह मंत्रालय महिलाओं को सेना में शामिल होने से रोकने वाले कारणों की पहचान करने का प्रयास करना चाहिए और उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए व्यावहारिक समाधान के साथ खोजना चाहिए.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह का एक समाधान महिलाओं को (विशेषकर सीआईएसएफ और सीआरपीएफ में) उनके गृहनगर के आसपास पोस्टिंग करना हो सकता है, जो उन्हें इन बलों में शामिल होने के लिए एक प्रोत्साहन के रूप में काम करेगा और बदले में उनकी भागीदारी बढ़ाएगा. समिति ने कहा कि फिलहाल फील्ड में तैनात कर्मियों को 75 दिन की छुट्टी दी जाती है. इसे बढ़ाकर 100 दिन करने का प्रस्ताव है.

पढ़ें: 'अगली जनगणना डिजिटल होगी, तीन राज्यों ने जातिगत जनगणना की मांग की'

रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति का विचार है कि मंत्रालय को जवानों के लाभ के लिए इस प्रस्ताव को जल्द से जल्द लागू करना चाहिए. समिति ने यह भी देखा है कि सीएपीएफ बहुत अधिक दबाव में काम करते हैं उनके कर्तव्य की प्रकृति को देखते हुए कठोर जलवायु परिस्थितियों में उनकी पोस्टिंग की आवश्यकता होती है.

नई दिल्ली : केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) में महिलाओं की संख्या काफी कम होने पर एक संसदीय समिति निराशा व्यक्त की है. जानकारी के मुताबिक सेंट्रल ऑर्म पुलिस फोर्स की कुल संख्या का केवल 3.68 प्रतिशत ही महिलाएं हैं. कमेटि ने पाया कि 2016 में सरकार ने सीआरपीएफ (CRPF) और सीआईएसएफ (CISF) में कांस्टेबल स्तर के पदों को महिलाओं के लिए 33 फीसदी और सीमा सुरक्षा बलों, बीएसएफ, एसएसबी और आईटीबीपी में 14-15% आरक्षित करने का निर्णय लिया गया था.

समिति ने कहा कि वो यह जानकर निराश है कि महिलाएं सीएपीएफ की कुल ताकत का केवल 3.68% हिस्सा हैं. भाजपा के राज्यसभा सदस्य बृजलाल की अध्यक्षता वाली गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि सीएपीएफ और असम राइफल्स में महिलाओं की भर्ती को प्रोत्साहित करने के लिए गृह मंत्रालय के प्रयासों के बावजूद महिलाओं की संख्या बहुत कम है. समिति ने सिफारिश की है कि गृह मंत्रालय को सीएपीएफ में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए.

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विशेषकर सीआईएसएफ और सीआरपीएफ में महिलाओं के लिए चरणबद्ध भर्ती अभियान तेजी से चलाया जा सकता है. समिति ने मंगलवार को राज्यसभा में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा, सीमा चौकियों में अनुकूल माहौल बनाने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए ताकि महिलाएं सुरक्षा बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित हों. समिति ने यह भी सिफारिश की है कि गृह मंत्रालय महिलाओं को सेना में शामिल होने से रोकने वाले कारणों की पहचान करने का प्रयास करना चाहिए और उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए व्यावहारिक समाधान के साथ खोजना चाहिए.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह का एक समाधान महिलाओं को (विशेषकर सीआईएसएफ और सीआरपीएफ में) उनके गृहनगर के आसपास पोस्टिंग करना हो सकता है, जो उन्हें इन बलों में शामिल होने के लिए एक प्रोत्साहन के रूप में काम करेगा और बदले में उनकी भागीदारी बढ़ाएगा. समिति ने कहा कि फिलहाल फील्ड में तैनात कर्मियों को 75 दिन की छुट्टी दी जाती है. इसे बढ़ाकर 100 दिन करने का प्रस्ताव है.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति का विचार है कि मंत्रालय को जवानों के लाभ के लिए इस प्रस्ताव को जल्द से जल्द लागू करना चाहिए. समिति ने यह भी देखा है कि सीएपीएफ बहुत अधिक दबाव में काम करते हैं उनके कर्तव्य की प्रकृति को देखते हुए कठोर जलवायु परिस्थितियों में उनकी पोस्टिंग की आवश्यकता होती है.

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