नई दिल्ली : तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 'द केरल स्टोरी' के फिल्म निर्माताओं ने जानबूझकर भ्रामक बयान दिए हैं कि सरकार ने फिल्म की स्क्रिनिंग पर प्रतिबंध लगाया है. हालांकि, दर्शकों की खराब प्रतिक्रिया के कारण फिल्म की स्क्रीनिंग थिएटरों ने खुद ही बंद कर दिये हैं. तमिलनाडु सरकार ने एक हलफनामे में कहा गया है कि दर्शकों की खराब प्रतिक्रिया के कारण थियेटर मालिकों ने खुद ही फिल्म की स्क्रीनिंग बंद कर दी है.
सरकार ने कहा कि हम सिनेमाघरों को सुरक्षा प्रदान करने के अलावा, द केरला स्टोरी को देखने वाले दर्शकों की संख्या बढ़ाने के लिए कुछ नहीं कर सकती है. शीर्ष अदालत ने पहले तमिलनाडु सरकार से फिल्म निर्माताओं की उस याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा था जिसमें आरोप लगाया गया था कि राज्य सरकार ने फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया है. हलफनामा दाखिल करते हुए, राज्य सरकार ने कहा कि थिएटर मालिकों ने अभिनेताओं के खराब प्रदर्शन और फिल्म के प्रति खराब रूझान के कारण सात मई को स्वेच्छा से फिल्म की स्क्रीनिंग बंद कर दी थी.
सरकार ने बताया कि मल्टीप्लेक्स मालिकों ने 5 मई से फिल्म की स्क्रीनिंग बंद करने का निर्णय लिया. जिसके पीछे का कारण फिल्म की आलोचना, प्रसिद्ध अभिनेताओं की कमी और खराब प्रदर्शन था. सरकार का इस निर्णय पर कोई नियंत्रण नहीं है. तमिलनाडु सरकार ने फिल्म निर्माताओं के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि फिल्म को 19 मल्टीप्लेक्स में रिलीज किया गया था. उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माताओं ने इस बारे में कोई दस्तावेज पेश नहीं किया है कि सरकार ने फिल्म की स्क्रीनिंग रोकी या बंद की है.
उन्होंने कहा कि वास्तव में राज्य ने प्रत्येक मल्टीप्लेक्स में अधिक पुलिस बल तैनात किया ताकि दर्शकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. हलफनामे में कहा गया है कि 25 डीएसपी सहित 965 से अधिक पुलिस कर्मियों को 21 मूवी थिएटरों की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था. जहां द केरला स्टोरी दिखाई जा रही थी.
(एएनआई)