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जानिए कहां हाईकोर्ट के न्यायाधीशों को वकील ने कहा 'गुंडा' कोर्ट ने तय किए ये आरोप

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने उसके न्यायाधीशों के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने और उन्हें 'गुंडा' कहने के आरोपी वकील के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं.

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Published : Aug 24, 2021, 4:38 AM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने और उन्हें 'गुंडा' कहने के आरोपी वकील के खिलाफ आरोप तय करने के साथ ही अदालत ने पूछा कि क्यों न उन्हें (आरोपी वकील) अदालत की अवमानना करने के लिए दंडित किया जाए.

न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने उत्तर प्रदेश बार काउंसिल को निर्देश दिया कि वकील अशोक पांडेय के पिछले आचरण की जांच करें. ताकि यह तय किया जा सके कि वह वकालत जैसे आदर्श पेशे में रहने के काबिल है या नहीं. साथ ही उक्त वकील के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवई का भी आदेश दिया है.

पीठ ने टिप्पणी की है कि हम मानते हैं कि वकील अशोक पांडेय ने आज की (18 अगस्त 2021) अदालती कार्रवाई के दौरान प्रथम दृष्टया अदालत की अवमानना की. यह अदालत को बदनाम करने और उसके अधिकार को कमतर करने के तुल्य है और अदालत कार्यवाही में हस्तक्षेप है.

इसमें न्यायिक प्रशासन में हस्तक्षेप करने की प्रवृत्ति भी है. पीठ ने अपने आदेश में रेखांकित किया कि उन्होंने (वकील) न्यायाधीशों के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया और कहा कि न्यायाधीश गुंडे की तरह व्यवहार कर रहे हैं.

यह रही पूरी घटना

न्यायालय ने घटना का विस्तृत ब्यौरा देते हुए अपने आदेश में कहा है कि 18 अगस्त को अधिवक्ता अशोक पांडेय द्वारा दाखिल एक जनहित याचिका की सुनवाई जब शुरू हुई तो न्यायालय ने उनके निर्धारित यूनिफॉर्म में नहीं होने पर आपत्ति की. न्यायालय ने उनसे अपनी कमीज के बटन बंद करने को कहा.

यह भी पढ़ें-प्राथमिकी रद्द करने के मामलों में बिना विवेक के आदेश पारित कर रहे हैं यह हाईकोर्ट : SC

इस पर अशोक पांडेय उग्र हो गए व आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करने लगे. न्यायालय ने उन्हें अदालत के कमरे से निकालने की चेतावनी दी लेकिन अशोक पांडेय ने कहा कि यदि न्यायालय के पास ताकत है तो उन्हें अदालत कक्ष से बाहर करे. न्यायालय ने उन पर आरोप तय करते हुए, अगली सुनवाई 31 अगस्त की तय की है.

(पीटीआई-भाषा)

लखनऊ : हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने और उन्हें 'गुंडा' कहने के आरोपी वकील के खिलाफ आरोप तय करने के साथ ही अदालत ने पूछा कि क्यों न उन्हें (आरोपी वकील) अदालत की अवमानना करने के लिए दंडित किया जाए.

न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने उत्तर प्रदेश बार काउंसिल को निर्देश दिया कि वकील अशोक पांडेय के पिछले आचरण की जांच करें. ताकि यह तय किया जा सके कि वह वकालत जैसे आदर्श पेशे में रहने के काबिल है या नहीं. साथ ही उक्त वकील के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवई का भी आदेश दिया है.

पीठ ने टिप्पणी की है कि हम मानते हैं कि वकील अशोक पांडेय ने आज की (18 अगस्त 2021) अदालती कार्रवाई के दौरान प्रथम दृष्टया अदालत की अवमानना की. यह अदालत को बदनाम करने और उसके अधिकार को कमतर करने के तुल्य है और अदालत कार्यवाही में हस्तक्षेप है.

इसमें न्यायिक प्रशासन में हस्तक्षेप करने की प्रवृत्ति भी है. पीठ ने अपने आदेश में रेखांकित किया कि उन्होंने (वकील) न्यायाधीशों के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया और कहा कि न्यायाधीश गुंडे की तरह व्यवहार कर रहे हैं.

यह रही पूरी घटना

न्यायालय ने घटना का विस्तृत ब्यौरा देते हुए अपने आदेश में कहा है कि 18 अगस्त को अधिवक्ता अशोक पांडेय द्वारा दाखिल एक जनहित याचिका की सुनवाई जब शुरू हुई तो न्यायालय ने उनके निर्धारित यूनिफॉर्म में नहीं होने पर आपत्ति की. न्यायालय ने उनसे अपनी कमीज के बटन बंद करने को कहा.

यह भी पढ़ें-प्राथमिकी रद्द करने के मामलों में बिना विवेक के आदेश पारित कर रहे हैं यह हाईकोर्ट : SC

इस पर अशोक पांडेय उग्र हो गए व आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करने लगे. न्यायालय ने उन्हें अदालत के कमरे से निकालने की चेतावनी दी लेकिन अशोक पांडेय ने कहा कि यदि न्यायालय के पास ताकत है तो उन्हें अदालत कक्ष से बाहर करे. न्यायालय ने उन पर आरोप तय करते हुए, अगली सुनवाई 31 अगस्त की तय की है.

(पीटीआई-भाषा)

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