नई दिल्ली: राजधानी में चल रहे अखिल भारतीय संत समाज (All India Sant Samaj) की बैठक में एक बार फिर काशी के ज्ञानवापी (Gyanvapi) और मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि का मुद्दा उठाया गया है. इसके साथ ही संतों ने मांग की है कि जब तक देश में तय नहीं हो जाता कि वास्तव में अल्पसंख्यक की क्या परिभाषा हो, तब तक अल्पसंख्यक मंत्रालय या आयोग को खत्म देना चाहिये. संत समिति ने देश में बॉलीवुड और सेंसर बोर्ड की कार्यविधि पर भी आपत्ति जताई है और जरूरत पड़ने पर सनातन सेंसर बोर्ड स्थापित करने पर भी चर्चा हुई है.
दिल्ली के एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर (NDMC Convention Center) में चल रहे एक दिवसीय बैठक में देश भर से संत पहुंचे. दिन भर चलने वाली बैठक में कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई. इनमें राष्ट्रीय एकता, भारतीय वैदिक शिक्षा, मजदूरों का पलायन, हिन्दू मंदिरों की समाज में वापसी, धर्मांतरण के बढ़ते मामले, लव जिहाद इत्यादि शामिल थे. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए अखिल भारतीय संत समाज के महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती (Swami Jitendranand Saraswati) ने बताया कि आज सभी संत तय किये गए विषयों पर अपने विचार रखेंगे, जिसके बाद समिति के वरिष्ठ पदाधिकारी संतों के द्वारा वर्ष 2022 का धर्मादेश जारी किया जाएगा.
इसके साथ ही 2018 के धर्मादेश में प्रमुख विषय राम मंदिर और अन्य पर न्यायालय के निर्णय और भारत सरकार द्वारा किये गए कार्य पर संत समिति ने मोदी सरकार का धन्यवाद भी किया है. बैठक में कई संतों ने बॉलीवुड फिल्म में हिन्दू देवी देवताओं के स्वरूप को बदल कर दिखाने पर भी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई. जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि अब जनता स्वयं सजग हो गई है और आज कल बॉयकॉट की मांग के साथ ऐसे निर्माताओं को सबक सिखा रही है.
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वहीं अल्पसंख्यक मंत्रालय (minority ministry) और आयोग को खत्म करने की मांग पर उन्होंने कहा कि देश के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद भी अब तक सरकारें यह तय नहीं कर पाई हैं कि अल्पसंख्यक की परिभाषा क्या होनी चाहिये, लिहाजा उनकी यह मांग जायज है, कि जब तक तय न हो जाये तब तक किसी को विशेष लाभ क्यों दिया जाए.
काशी और मथुरा में धार्मिक स्थल से संबंधित बड़े मुद्दे बहरहाल न्यायालय में चल रहे हैं ऐसे में संत समिति की मांग पर जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि न्यायालय का निर्णय जल्द हो जाएगा. न्याय समय से मिले तभी न्याय कहलाता है. इसके साथ ही संत समिति ने विदेशों में हो रहे हिन्दू धार्मिक स्थलों और हिंदुओं पर हमले का भी संज्ञान लिया.