नई दिल्ली : देश में दवाओं की बढ़ती कीमत के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने केंद्र सरकार को क्लीन चिट दी है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने किसी भी जरूरी दवा के दाम नहीं बढ़ाए हैं. आवश्यक दवाओं की कीमत थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index) से जुड़ी होती है. यदि WPI बढ़ता है, तो आवश्यक दवाओं की कीमत बढ़ जाती है और यदि यह नीचे जाती है, तो कीमत कम हो जाती है.सरकार आवश्यक दवाओं की कीमतों को नियंत्रित नहीं करती है.
बता दें कि नेशनल फर्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी ने आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची के तहत मूल्य नियंत्रण के दायरे में आने वाली दवाओं की कीमत बढ़ाने की अनुमति दी थी. रिपोर्टस के मुताबिक, एनपीपीए की अनुमति के बाद 800 से ज्यादा दवाओं के रेट में 10 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है. इस पर लोगों ने चिंता जाहिर करते हुए सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है. बता दें कि दवाओं की कीमत को लेकर संसद में भी सवाल उठे थे.
उन्होंने कहा कि ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर 2013 के मुताबिक नेशनल फर्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) राज्य सरकारों के ड्रग कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन के माध्यम से दवाओं को प्रोडक्शन और उपलब्धता की निगरानी करती है. ड्रग कंट्रोलर जनरल (भारत ) और एनपीपीए ने 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्राइस मॉनिटरिंग एंड रिसोर्स यूनीट (PMRU) बना रखी है. यूनीट के अधिकारी स्टेट ड्रग कंट्रोलर के जरिये दवाई की कमी सूचना देते हैं. फिर ड्रग कंट्रोलर जनरल संबंधित इलाकों में दवा का स्टॉक भेजा जाता है. उन्होंने बताया कि अभी देश में आवश्यक दवाओं की कमी को लेकर एनपीपीए को कोई रिपोर्ट नहीं मिली है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया कि आत्मनिर्भर भारत के तहत देश में दवाइयों के उत्पादन के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव स्कीम शुरू की गई है. अभी इसके लिए 6,940 करोड़ के निवेश का लक्ष्य रखा गया है. इस योजना के तहत कुल 49 आवेदकों को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 8 प्रोजेक्ट को पहले ही चालू किया जा चुका है.
(एएऩआई)
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