बस्सी.भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में श्रीराम का भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है. अगले साल जनवरी 2024 में यह मंदिर आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा. राम मंदिर के लोकार्पण को लेकर तैयारियां भी जोर-शोर से चल रही हैं. मंदिर में भगवान श्रीराम की पहली आरती सूर्यनगरी जोधपुर के घी से होगी. सोमवार को इसके लिए बैलगाड़ी में 600 किलो शुद्ध देसी घी और 108 कलश रखकर रवाना किया गया जो शुक्रवार को कानौता पहुंचा.
रथ में 108 कलश के साथ 108 शिवलिंग भी रखे गए हैं, साथ ही भगवान गणेश, रामभक्त हनुमान की प्रतिमाएं भी रखी गई है. जोधपुर के बनाड़ स्थित रामधर्म गौशाला के महंत महर्षि संदीपनी महाराज ने बताया शुक्रवार को रात्रि विश्राम 52 फीट हनुमान जी के पास रखा गया है. अयोध्या जा रहे रथ को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे. रथ को देखने पहुंचे श्रद्दालुओं ने भगवान श्री राम के जयकारे लगाए जिससे माहौल भक्तिमय हो गया.
पढ़ें:अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को दोपहर 12.20 बजे होगी, देखें पूरा शेड्यूल
रथ यात्रा का जगह-जगह स्वागत: आश्रम के महंत महर्षि संदीपनी महाराज ने बताया भगवान श्रीराम का मंदिर बनाने को लेकर सदियों से इंतज़ार था.अब मंदिर बनना खुशी की बात है इसलिए रामभक्तों में उत्साह है. उन्होंने बताया कि ये सौभाग्य की बात है कि जोधपुर से रामकाज के लिए विशेष घी जा रहा है. यह विशेष घृत-रथ यात्रा जोधपुर से रवाना होकर जयपुर होते हुय भरतपुर, मथुरा, लखनऊ होते हुए अयोध्या पहुंचेगी. इस दौरान रास्ते में इस रथ यात्रा का जगह-जगह स्वागत किया जा रहा है. इस यात्रा के दौरान ऐतिहासिक मंदिरों तक शोभायात्रा भी निकाली जाएगी.
एक रथ पर साढ़े तीन लाख रुपए का खर्च: महर्षि संदीपनी ने बताया ये सिलसिला अयोध्या तक चलेगा. उन्होंने बताया कि यात्रा शुक्रवार को 52 फीट हनुमान जी के पास रात्रि विश्राम करेगी.बताया जा रहा है कि लखनऊ शहर में ये यात्रा पांच दिनों तक रहेगी. पूरे लखनऊ शहर में इस यात्रा को बैलों के साथ घुमाया जाएगा. हर रथ में 3 लोग सेवा देंगे.बता दें कि एक रथ पर साढ़े तीन लाख रुपए का खर्च आया है.
प्राचीन परंपरा से तैयार किया गया घी: महाराज संदीपनी ने बताया कि यदि घी में मिलावट हो तो वो जल्दी खराब हो जाता है. उन्होंने जो देसी घी तैयार किया है, वह प्राचीन परंपरा के अनुसार किया गया है, जिसकी वजह से ये खराब नहीं होता. उन्होंने बताया कि घी की शुद्धता बनाए रखने के लिए गायों की डाइट में भी बदलाव किया गया. पिछले 9 सालों से गायों को हरा चरा, सूखा चारा और पानी ही दिया गया.
हर तीन साल में घी को उबाला गया: 9 साल में गायों की संख्या 60 से बढ़कर 350 पहुंच गई. इनमे अधिकांश वे गौवंश है, जो सड़क हादसे का शिकार थे या बीमार थे. गायों की संख्या बढ़ी तो घी की मात्रा भी बढ़ने लगी. घी का जड़ी-बूटियों के रस से तो सुरक्षित रखा ही जाता है, लेकिन इसके अलावा भी पूरे घी को हर तीन साल में 1 बार पांच जड़ी बूटियां मिलाकर उबाला गया.