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जांच की खबरें सोशल मीडिया पर डालने संबंधी याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हुआ न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने उस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जता दी, जिसमें किसी अपराध की जांच से संबंधित खबरों को पुलिस अधिकारियों के निजी और व्यावसायिक सोशल मीडिया खातों पर डाले जाने के संबंध में केंद्र को नियम या दिशानिर्देश बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है.

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Published : Oct 22, 2021, 8:00 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और अन्य को नोटिस जारी कर जांच की खबरें सोशल मीडिया पर डालने संबंधी याचिका पर उनके जवाब मांगे हैं. याचिका में एक मामले को सीबीआई दिल्ली को स्थानांतरित करने की भी मांग की गई है जो अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में एक महिला की मौत के सिलसिले में भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत दर्ज किया गया था.

याचिका न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई. इसमें कहा गया कि महिला ने 30 जुलाई को आत्महत्या करने से पहले एक वीडियो रिकॉर्ड किया था जिसमें उसने आपबीती सुनाई और एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी समेत कुछ लोगों के नाम लेते हुए उन्हें कथित रूप से अपनी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया.

दिल्ली के एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस तरह का बयान मृत्यु पूर्व बयान की तरह है और पुलिस ने आज तक उन लोगों के खिलाफ कोई जांच नहीं की जिनके नाम महिला ने वीडियो में विशेष रूप से लिए थे. याचिका में आरोप है कि महिला ने वीडियो में अंडमान निकोबार द्वीपसमूह पुलिस के एक आला अधिकारी का नाम प्रमुखता से लिया.

यह भी पढ़ें-यौन उत्पीड़न मामले में निलंबित डीजीपी से कोई सहयोग नहीं मिल रहा : तमिलनाडु सरकार

इसमें कहा गया कि स्पष्ट है कि इस मामले में अंडमान निकोबार पुलिस द्वारा निष्पक्ष तरीके से सही जांच होने की गुंजाइश नहीं है और इसलिए सीबीआई दिल्ली को जांच सौंपी जानी चाहिए. याचिका में आरोप लगाया गया कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इस साल मई में महिला और उसके खिलाफ अपने ट्विटर एकाउंट से अनेक अशोभनीय ट्वीट किए.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और अन्य को नोटिस जारी कर जांच की खबरें सोशल मीडिया पर डालने संबंधी याचिका पर उनके जवाब मांगे हैं. याचिका में एक मामले को सीबीआई दिल्ली को स्थानांतरित करने की भी मांग की गई है जो अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में एक महिला की मौत के सिलसिले में भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत दर्ज किया गया था.

याचिका न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई. इसमें कहा गया कि महिला ने 30 जुलाई को आत्महत्या करने से पहले एक वीडियो रिकॉर्ड किया था जिसमें उसने आपबीती सुनाई और एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी समेत कुछ लोगों के नाम लेते हुए उन्हें कथित रूप से अपनी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया.

दिल्ली के एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस तरह का बयान मृत्यु पूर्व बयान की तरह है और पुलिस ने आज तक उन लोगों के खिलाफ कोई जांच नहीं की जिनके नाम महिला ने वीडियो में विशेष रूप से लिए थे. याचिका में आरोप है कि महिला ने वीडियो में अंडमान निकोबार द्वीपसमूह पुलिस के एक आला अधिकारी का नाम प्रमुखता से लिया.

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इसमें कहा गया कि स्पष्ट है कि इस मामले में अंडमान निकोबार पुलिस द्वारा निष्पक्ष तरीके से सही जांच होने की गुंजाइश नहीं है और इसलिए सीबीआई दिल्ली को जांच सौंपी जानी चाहिए. याचिका में आरोप लगाया गया कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इस साल मई में महिला और उसके खिलाफ अपने ट्विटर एकाउंट से अनेक अशोभनीय ट्वीट किए.

(पीटीआई-भाषा)

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