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असम में भाजपा के सामने चुनौती कठिन, जीत के लिए ताकत झोंक रही बीजेपी - The challenge in front of BJP in Assam is tough

चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं लेकिन सबसे ज्यादा राजनीति में पश्चिम बंगाल में छाई रही. पश्चिम बंगाल में जो मुद्दे उठाए जा रहे हैं उनसे मिलते-जुलते मुद्दे सीमावर्ती राज्य असम में भी हैं. भारतीय जनता पार्टी ने 5 साल पहले भी इन मुद्दों को उठाया था और वे मुद्दे आज भी जीवित हैं. इनमें बांग्लादेशी घुसपैठियों के मामले से लेकर एनआरसी और सीएए का मुद्दा प्रमुख है.

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Published : Apr 2, 2021, 8:58 PM IST

नई दिल्ली : हम यदि सिर्फ असम की बात करें तो बीजेपी के तमाम वरिष्ठ नेता चाहे वे अमित शाह हों, राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी ने चुनाव प्रचार में कांग्रेस के परंपरागत वोटों पर ही फोकस किया है. ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस ने एआईयूडीएफ यानी बदरुद्दीन अजमल की पार्टी के साथ गठबंधन किया है जिससे लोग नाराज हैं.

भाजपा कांग्रेस के इन परंपरागत वोटरों को अपने खेमे में लाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. प्रधानमंत्री ने भी गुरुवार को अपने भाषण में लोगों को याद दिलाया कि कैसे वहां धर्म के नाम पर कांग्रेस ने विभाजन की लकीर खींची है. भाजपा की सरकार ने घुसपैठ को लेकर कैसे लगाम लगाई है ताकि असम के लोगों का हक उनसे न छीना जा सके सके.

ईवीएम मिलने पर अमित शाह का जवाब

हालांकि पार्टी के तमाम दांवपेच के बीच ईवीएम मशीन का पार्टी के एमएलए की गाड़ी में मिलने की घटना ने पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे पर बीजेपी को घेरने की कोशिश की है. हालांकि गृहमंत्री अमित शाह ने इस मसले पर कहा है कि चुनाव आयोग को कार्रवाई करनी चाहिए. यह कहकर उन्होंने विरोधों को शांत करने की कोशिश की है.

एनआरसी पर बीजेपी नेताओं की चुप्पी

यदि भाजपा की रणनीति देखी जाए तो असम में बांग्लादेशी घुसपैठियों और सीएए के मुद्दे पर तो पार्टी के तमाम नेता चुनावी भाषण दे रहे हैं और आक्रामक बयानबाजी कर रहे हैं. लेकिन एनआरसी के मुद्दे पर ज्यादातर नेताओं ने चुप्पी साध रखी है.

दूसरा चरण काफी संघर्षपूर्ण होगा

असम के सियासी रण पर ईटीवी भारत ने राजनीतिक विश्लेषक और संघ विचारक देश रतन निगम से बात की तो उन्होंने कहा कि उनके समीकरण के मुताबिक पहला चरण बीजेपी की तरफ गया है. वहीं दूसरे चरण में कांटे की टक्कर है. ईवीएम के मुद्दे पर कहा कि इस पर जांच होनी चाहिए कि इसमें गलती किसकी है चुनाव आयोग की है या किसी ने साजिश के तहत ईवीएम बीजेपी के नेता की गाड़ी में रख दी है. इन तमाम बातों की गहन जांच होनी चाहिए.

हर राज्य पर है बीजेपी की नजर

उनका कहना है कि बीजेपी हर चुनाव को चुनौती के रूप में लेती है. चाहे वह बंगाल का हो चाहे असम का हो चाहे या तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी का हो. हालांकि मीडिया ने बंगाल चुनाव को ज्यादा हाइट दिया है. मगर बीजेपी के लिए दूसरे राज्यों के चुनाव भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं. पीएम मोदी सहित बीजेपी के तमाम बड़े नेता सभी राज्यों में प्रचार कर रहे हैं. कहा कि यह तो मीडिया का खेल है कि किस राज्य को हाईलाइट करना है. यदि इन राज्यों पर भी बात हो तो वोट प्रतिशत जरुर बढ़ेंगे.

असम में एनआरसी का विरोध नहीं

राजनीतिक विश्लेषक देश रतन निगम ने कहा कि जहां तक मामला सीएए का है तो असम के लोग भी भारत के हिस्से में ही हैं. वह भी चाहेंगे कि जहां कहीं भी हिंदू शरणार्थियों का शोषण हो रहा है तो वे अपने देश में आकर बसें. जहां तक घुसपैठ की बात है तो जनता इसे नकारती है क्योंकि वे असम की संस्कृति पर खतरा हैं. इसीलिए एनआरसी देश में जरुरी है. जहां तक असम में इसके विरोध की बात है तो विरोध की मुख्य वजह यह थी कि कई नाम उसमें छूट गए थे. ऐसा नहीं कि वे एनआरसी का विरोध कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें-तमिलनाडु : डीएमके उम्मीदवारों का पीएम मोदी पर ताना, आप प्रचार करेंगे तो हम जीतेंगे

इस सवाल पर कि बीजेपी ने मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट नहीं किया और सर्वानंद सोनोवाल व हेमंत विश्व शर्मा के बीच उहापोह की स्थिति बनी हुई है तो देश रतन ने कहा कि बीजेपी की यह चुनावी रणनीति रही है. वे कभी मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट नहीं करते. सर्वानंद सोनोवाल को केंद्र से ही वहां पर भेजा गया था. दोनों नेताओं के बीच कोई विरोधाभास नहीं है और परिणाम आने पर एक नाम तय हो जाएगा.

नई दिल्ली : हम यदि सिर्फ असम की बात करें तो बीजेपी के तमाम वरिष्ठ नेता चाहे वे अमित शाह हों, राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी ने चुनाव प्रचार में कांग्रेस के परंपरागत वोटों पर ही फोकस किया है. ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस ने एआईयूडीएफ यानी बदरुद्दीन अजमल की पार्टी के साथ गठबंधन किया है जिससे लोग नाराज हैं.

भाजपा कांग्रेस के इन परंपरागत वोटरों को अपने खेमे में लाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. प्रधानमंत्री ने भी गुरुवार को अपने भाषण में लोगों को याद दिलाया कि कैसे वहां धर्म के नाम पर कांग्रेस ने विभाजन की लकीर खींची है. भाजपा की सरकार ने घुसपैठ को लेकर कैसे लगाम लगाई है ताकि असम के लोगों का हक उनसे न छीना जा सके सके.

ईवीएम मिलने पर अमित शाह का जवाब

हालांकि पार्टी के तमाम दांवपेच के बीच ईवीएम मशीन का पार्टी के एमएलए की गाड़ी में मिलने की घटना ने पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे पर बीजेपी को घेरने की कोशिश की है. हालांकि गृहमंत्री अमित शाह ने इस मसले पर कहा है कि चुनाव आयोग को कार्रवाई करनी चाहिए. यह कहकर उन्होंने विरोधों को शांत करने की कोशिश की है.

एनआरसी पर बीजेपी नेताओं की चुप्पी

यदि भाजपा की रणनीति देखी जाए तो असम में बांग्लादेशी घुसपैठियों और सीएए के मुद्दे पर तो पार्टी के तमाम नेता चुनावी भाषण दे रहे हैं और आक्रामक बयानबाजी कर रहे हैं. लेकिन एनआरसी के मुद्दे पर ज्यादातर नेताओं ने चुप्पी साध रखी है.

दूसरा चरण काफी संघर्षपूर्ण होगा

असम के सियासी रण पर ईटीवी भारत ने राजनीतिक विश्लेषक और संघ विचारक देश रतन निगम से बात की तो उन्होंने कहा कि उनके समीकरण के मुताबिक पहला चरण बीजेपी की तरफ गया है. वहीं दूसरे चरण में कांटे की टक्कर है. ईवीएम के मुद्दे पर कहा कि इस पर जांच होनी चाहिए कि इसमें गलती किसकी है चुनाव आयोग की है या किसी ने साजिश के तहत ईवीएम बीजेपी के नेता की गाड़ी में रख दी है. इन तमाम बातों की गहन जांच होनी चाहिए.

हर राज्य पर है बीजेपी की नजर

उनका कहना है कि बीजेपी हर चुनाव को चुनौती के रूप में लेती है. चाहे वह बंगाल का हो चाहे असम का हो चाहे या तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी का हो. हालांकि मीडिया ने बंगाल चुनाव को ज्यादा हाइट दिया है. मगर बीजेपी के लिए दूसरे राज्यों के चुनाव भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं. पीएम मोदी सहित बीजेपी के तमाम बड़े नेता सभी राज्यों में प्रचार कर रहे हैं. कहा कि यह तो मीडिया का खेल है कि किस राज्य को हाईलाइट करना है. यदि इन राज्यों पर भी बात हो तो वोट प्रतिशत जरुर बढ़ेंगे.

असम में एनआरसी का विरोध नहीं

राजनीतिक विश्लेषक देश रतन निगम ने कहा कि जहां तक मामला सीएए का है तो असम के लोग भी भारत के हिस्से में ही हैं. वह भी चाहेंगे कि जहां कहीं भी हिंदू शरणार्थियों का शोषण हो रहा है तो वे अपने देश में आकर बसें. जहां तक घुसपैठ की बात है तो जनता इसे नकारती है क्योंकि वे असम की संस्कृति पर खतरा हैं. इसीलिए एनआरसी देश में जरुरी है. जहां तक असम में इसके विरोध की बात है तो विरोध की मुख्य वजह यह थी कि कई नाम उसमें छूट गए थे. ऐसा नहीं कि वे एनआरसी का विरोध कर रहे हैं.

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इस सवाल पर कि बीजेपी ने मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट नहीं किया और सर्वानंद सोनोवाल व हेमंत विश्व शर्मा के बीच उहापोह की स्थिति बनी हुई है तो देश रतन ने कहा कि बीजेपी की यह चुनावी रणनीति रही है. वे कभी मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट नहीं करते. सर्वानंद सोनोवाल को केंद्र से ही वहां पर भेजा गया था. दोनों नेताओं के बीच कोई विरोधाभास नहीं है और परिणाम आने पर एक नाम तय हो जाएगा.

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