ग्वालियर। एयर फोर्स ने नीलगाय से सुरक्षा के लिए वन विभाग को पत्र लिखा है. इसके बाद एयरबेस पर नीलगाय की समस्या को लेकर एयरपोर्ट के अफसरों, प्रशासन और वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक हुई. बैठक में अब नील गाय से निपटने के लिए मारने तक की अनुमति का प्रस्ताव तैयार किया गया है. इस प्रस्ताव पर प्रशासन और वन विभाग ने नीलगाय को मारने की अनुमति को विकल्प बताया है, जिसके लिए अब प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा.
कोई रास्ता नहीं मिला तो मारा जाएगा नील गायों को : ग्वालियर के डीएफओ बृजेश श्रीवास्तव का कहना है कि रिहायशी इलाकों में तो उनको पकड़कर कैद किया जा सकता है, लेकिन रनवे का इलाका खुला है. ऐसे में उन्हें पकड़ा नहीं पकड़ा जा सकता. ऐसे में तो रनवे के आसपास मजबूत बाउंड्री वॉल बनाई जाए. इससे यदि नीलगांव का आतंक नहीं रुकेगा तो सरकार से विशेष परमिशन लेकर उन्हें मारा जायेगा. क्योंकि मध्यप्रदेश में नीलगांव को मारने की अनुमति नहीं है. ये मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है. इसलिए इस मामले को लेकर केंद्र सरकार भी विशेष ध्यान रख रही है.
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केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा : डीएफओ का कहना है कि इसको लेकर केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. वहां से जो निर्देश दिए जाएंगे. उस आधार पर कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि नीलगाय एक बड़ा और शक्तिशाली जानवर होता है. कद में नीलगाय घोड़े जितना होता है पर उसकी शरीर की बनावट घोड़े के समान संतुलित नहीं होती. ये दौड़ते समय अत्यंत खतरनाक होती है. नीलगाय भारत में पाई जाने वाली मृग जातियों में सबसे बड़ी है. इसका वजन 120 किलो से 240 किलो तक होता है. हाईवे पर सड़क हादसे का भी बड़ा कारण ये हैं. गौरतलब है कि बेंगलुरु के बाद भारत का सबसे बड़ा एयरबेस स्टेशन ग्वालियर में स्थित महाराजपुरा एयरबेस है. यहां सैन्य अभ्यास लगातार जारी रहता है. इतना ही नहीं सर्जिकल अटैक के समय भी ग्वालियर से भी लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी थी.