हैदराबाद : अंतरराष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस (International Everest Day) हर साल 29 मई को मनाया जाता है. नेपाल के तेनजिंग नोर्गे (Tenzing Norgay Sherpa) और न्यूजीलैंड के सर एडमंड हिलेरी (Sir Edmund Hillary) 29 मई 1953 को मांउट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ाई करने वाले पहले व्यक्ति बने थे.
11 जनवरी 2008 में एडमंड हिलेरी के निधन के बाद नेपाल ने 29 मई को साल 2008 से अंतरराष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया. इस दिन काठमांडू और एवरेस्ट क्षेत्र में की तरह के विशेष कार्यक्रमों आयोजन होता है.
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माउंट एवरेस्ट की वास्तविक ऊंचाई
चीन और नेपाल ने आधिकारिक रूप से माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8,848 मीटर (29,029 फीट) बताई है. चीन और नेपाल के साल 2020 में चोटी की समीक्षा करने के बाद इसकी वर्तमान ऊंचाई अब 8,848.86 मीटर है. यह पहली बार है, जब चीन और नेपाल इसकी वास्तविक ऊंचाई को लेकर सहमत हुए हैं.
ऊंचाई की पुनर्गणना क्यों की गई
नेपाल सर्वेक्षण विभाग ने माउंट एवरेस्ट को कभी मापने पर विचार नहीं किया था, लेकिन अप्रैल 2015 के विनाशकारी भूकंप के बाद, वैज्ञानिकों के बीच इस बात पर बहस छिड़ गई कि क्या इसने पहाड़ की ऊंचाई को प्रभावित किया है. सरकार ने बाद में 1954 के सर्वे ऑफ इंडिया के निष्कर्षों के बजाय खुद ही पहाड़ की ऊंचाई को मापने की . घोषणा की.
माउंट एवरेस्ट पर पहुंचने का पहला प्रयास
माउंट एवरेस्ट समुद्र तल से 29,029 फीट ऊपर है और यह पृथ्वी पर सबसे ऊंचा स्थान है. साल 1922 में चोटी पर चढ़ने का सबसे पहला प्रयास अंग्रेजों ने किया था. इसके बाद छह ब्रिटिश अभियानों ने चोटी के शीर्ष पर पहुंचने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे. इसके बाद 1952 में एडोर्ड वाइस डुनेंट की अगुवाई में एक स्वीडिश एवरेस्ट चोटी के करीब पहुंचने में कामयाब रहा, लेकिन खराब मौसम की वजह से स्वीडिश पर्वतारोही को शीर्ष चोटी से महज 250 मीटर की दूरी से वापस आना पड़ा.
एवरेस्ट पर हिलेरी और तेनजिंग
1953 में नौवें ब्रिटिश अभियान के तहत जॉन हंट की अगुवाई में एडमंड हिलेरी और तेनजिंग एवरेस्ट पर गए. यह कैंप दक्षिण में लगाया गया था. तेनजिंग और हिलेरी को 26 मई को एवरेस्ट की शीर्ष चोटी पर पहुंचना था, लेकिन बर्फबारी और तेज हवाओं के चलते अभियान में दो दिन की देरी हुई. फिर 28 मई को चढ़ाई की शुरुआत हुई और इस दिन दोनों ने 8,500 मीटर तक चढ़ाई की. वहीं, 29 मई की सुबह 11.30 बजे दोनों ने एवरेस्ट की शीर्ष चोटी पर पहुंचने में सफलता हासिल की. एवरेस्ट पर दोनों ने तकरीबन 15 मिनट बिताए. इस अभियान को फतेह करने के बाद एडमंड हिलेरी और जॉन हंट को महारानी एलिजाबेथ द्वितिय ने शूरवीर की उपाधि दी और वहीं तेनजिंग नोर्गे को जियॉर्ज मेडल से नवाजा गया.
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हिलेरी स्टेप
एवरेस्ट की चढ़ाई के दौरान रास्ते में सबसे कठिन हिस्सा 20 फुट (12 मीटर) की एक चट्टान थीा, जिसे अब हिलेरी स्टेप के नाम से जाना जाता है. यह दक्षिण-पूर्व रिज पर स्थित है, जो कि चोटी की कुल ऊंचाई के आधे भाग पर है.