हैदराबाद: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के स्वामित्व वाले 'साक्षी अखबार' की बिक्री में सुधार लाने के उद्देश्य से सरकारी आदेश (जीओ) को चुनौती देने वाली उशोदया पब्लिकेशन्स द्वारा दायर एक याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया है. बता दें कि उशोदया पब्लिकेशन्स एक प्रमुख तेलुगू दैनिक 'ईनाडु' प्रकाशित करता है.
प्रश्नगत सरकारी आदेश में प्रत्येक ग्राम स्वयंसेवक/वार्ड स्वयंसेवी के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता के रूप में राज्य निधि से प्रति माह 200 रुपये स्वीकृत किए गए, ताकि वे समाचार पत्र खरीद सकें. उशोदया प्रकाशन ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में राज्य सरकार द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी.
याचिकाकर्ता, उशोदय प्रकाशन ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसने जीओ पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. याचिका की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ और अन्य की पीठ ने की थी. चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की कि पीठ याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर देगी.
आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इस तरह के स्थानांतरण से आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय की छवि खराब होगी. हालांकि, पीठ ने उन्हें सुनिश्चित किया कि आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के आचरण पर कोई आक्षेप नहीं लगाया जाएगा. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने मौखिक टिप्पणी की.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम पर क्या भार है कि यह दो समाचार पत्रों के बीच नहीं है, यह दो राजनीतिक दलों के बीच है. तदनुसार, निम्नलिखित आदेश पारित किया गया. यह न्याय के हित में होगा कि याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया जाए. हम दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ से इस मामले को उठाने का अनुरोध करते हैं.
उशोदया के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ के संज्ञान में लाया कि एक नया शासनादेश जारी किया गया है, क्योंकि पूर्व में जारी शासनादेशों की समय सीमा समाप्त हो चुकी है. पीठ ने उन मामलों को दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर की जाने वाली याचिका में शामिल करने का सुझाव दिया.
सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि वे मामले के गुण-दोष में नहीं गए और दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ इस मामले की जांच करेगी. सीजेआई न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय को मामले की अंतिम जांच करने का निर्देश दिया.