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अवमानना मामले में जिलाधिकारी की जुर्माने के बदले समाज सेवा की पेशकश मंजूर - जुर्माने के बदले समाज सेवा की पेशकश

तेलंगाना हाईकोर्ट ने अवमानना मामले में नलगोंडा के जिलाधिकारी और एक महिला अधिकारी की जुर्माने के बदले समाज सेवा की पेशकश स्वीकार कर लिया है. इससे पहले एकल न्यायाधीश ने अवमानना के मामले में दोनों को दोषी ठहराया था और 2000-2000 रुपये का जुर्माना लगाया था.

तेलंगाना हाईकोर्ट
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Published : Apr 8, 2021, 5:52 AM IST

हैदराबाद : तेलंगाना हाईकोर्ट ने अवमानना के मामले में एक जिलाधिकारी और एक सेवानिवृत अधिकारी पर लगाए गए जुर्माने के बदले में समाज सेवा करने की उनकी पेशकश की अपील बुधवार को स्वीकार कर ली.

नलगोंडा के जिलाधिकारी और एक महिला अधिकारी को एकल न्यायाधीश ने वारंगल जिले के एक चावल मिल मालिक द्वारा दायर किए गए अवमानना के मामले में दोषी ठहराया था. यह जिलाधिकारी पहले वारंगल में संयुक्त जिलाधिकारी थे, जबकि महिला अधिकारी नागरिक आपूर्ति निगम से सेवानिवृत हुई थीं.

अदालत ने दोनों पर 2000-2000 रुपये का जुर्माना लगाया था, लेकिन अधिकारियों ने खंडपीठ में अपील की और दोषसिद्धि को खारिज करने का अनुरोध किया.

अदालत पिछली सुनवाई के दौरान इस शर्त पर ऐसा करने को राजी हो गई थी कि वे कुछ समाज सेवा करने को इच्छुक हों. दोनों ने समाज सेवा करने की पेशकश करते हुए अदालत में हलफनामे दाखिल किए.

तेलंगाना हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश हिमा कोहली और न्यायमूर्ति बी विजयसेन रेड्डी शर्त को पूरी करने की अपील मान ली और एकल न्यायाधीश का आदेश दरकिनार कर दिया.

यह भी पढ़ें- भारत-पाक बॉर्डर पर पहुंची प्यार में पागल ओडिशा की लड़की, बीएसएफ ने पकड़ा

जिलाधिकारी को छह महीने तक हर सप्ताह एक बार अनाथालय जाने और दो घंटे तक बच्चों की सेवा करने को कहा गया. महिला अधिकारी को उगादी और श्री रामनवमी पर दो अनाथलायों में जाने और बच्चों को भोजन देने को कहा गया.

हैदराबाद : तेलंगाना हाईकोर्ट ने अवमानना के मामले में एक जिलाधिकारी और एक सेवानिवृत अधिकारी पर लगाए गए जुर्माने के बदले में समाज सेवा करने की उनकी पेशकश की अपील बुधवार को स्वीकार कर ली.

नलगोंडा के जिलाधिकारी और एक महिला अधिकारी को एकल न्यायाधीश ने वारंगल जिले के एक चावल मिल मालिक द्वारा दायर किए गए अवमानना के मामले में दोषी ठहराया था. यह जिलाधिकारी पहले वारंगल में संयुक्त जिलाधिकारी थे, जबकि महिला अधिकारी नागरिक आपूर्ति निगम से सेवानिवृत हुई थीं.

अदालत ने दोनों पर 2000-2000 रुपये का जुर्माना लगाया था, लेकिन अधिकारियों ने खंडपीठ में अपील की और दोषसिद्धि को खारिज करने का अनुरोध किया.

अदालत पिछली सुनवाई के दौरान इस शर्त पर ऐसा करने को राजी हो गई थी कि वे कुछ समाज सेवा करने को इच्छुक हों. दोनों ने समाज सेवा करने की पेशकश करते हुए अदालत में हलफनामे दाखिल किए.

तेलंगाना हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश हिमा कोहली और न्यायमूर्ति बी विजयसेन रेड्डी शर्त को पूरी करने की अपील मान ली और एकल न्यायाधीश का आदेश दरकिनार कर दिया.

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जिलाधिकारी को छह महीने तक हर सप्ताह एक बार अनाथालय जाने और दो घंटे तक बच्चों की सेवा करने को कहा गया. महिला अधिकारी को उगादी और श्री रामनवमी पर दो अनाथलायों में जाने और बच्चों को भोजन देने को कहा गया.

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