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बैंक ने पंचायत के बाहर लगवाया जमीन नीलामी का बैनर तो किसान ने छोड़ा गांव - लोन न दे पाने पर किसान ने छोड़ा गांव तेलंगाना

तेलंगाना का एक किसान बैंक द्वारा उसकी जमीन नीलामी का बैनर पंचायत कार्यालय के बाहर लगवाने से इतना आहत हुआ कि उसने परिवार के साथ गांव ही छोड़ दिया. क्या है इसके पीछे की कहानी, आइए जानते हैं..

farmer left his village sangareddy
लोन न चुका पाने पर किसान ने छोड़ा गांव संगारेड्डी
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Published : Jun 20, 2022, 10:14 PM IST

हैदराबाद: किसी भी किसान के लिए उसकी कृषि भूमि मात्र जमीन का एक टुकड़ा नहीं बल्कि उसका अभिमान होती है. लेकिन जब उसकी जमीन की नीलामी की नौबत आ जाए तो यह किसान के लिए असहनीय होता है. तेलंगाना के संगारेड्डी जिले के कनसानीपल्ली गांव में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां किसान द्वारा लोन न अदा किए जाने पर बैंक ने गांव की पंचायत के बाहर उसकी जमीन की नीलामी का बैनर लगवा दिया, जिससे आहत होकर किसान ने अपने परिवार के साथ गांव ही छोड़ दिया.

दरअसल कनसानीपल्ली गांव के रहने वाले शंकर रेड्डी के पास 3.31 एकड़ कृषि भूमि है. शंकर ने 2012-13 में जिला केंद्रीय सहकारी बैंक से खेती के लिए 60 हजार रुपये का कर्ज लिया था लेकिन अच्छी पैदावार न होने के कारण वह कर्ज का भुगतान नहीं कर पाया. दो साल पहले उसने बैंक के दबाव के चलते 40 हजार रुपये का भुगतान किया, जिसके बाद उसने सोचा कि सरकार उसका कर्ज माफ कर देगी जिसने एक लाख रुपये तक का कर्ज माफ करने की घोषणा की थी.

यह भी पढ़ें- किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों को केसीआर देंगे 3-3 लाख रुपये

इस साल बैंक द्वारा शंकर को बाकी बची राशि के साथ ब्याज (जो कुल मिला के 79,641 रुपये हो चुका था) चुकाने के कई बार समन जारी किया गया. जब वह पैसे चुकाने में असमर्थ रहा तब बैंक ने पंचायत कार्यालय के बाहर 23 जून को उसकी कृषि भूमि नीलामी का बैनर लगवा दिया. इस घटना को अपने सम्मान पर आघात समझते हुए शंकर ने परिवार के साथ गांव से इसनापुर चला गया. वहीं शंकर ने कहा कि इस नोटिस को देखने के बाद मुझे कोई उधार नहीं देगा लेकिन परिवार की देखभाल करने के लिए मुझे काम की जरूरत है. अब मेरी जमीन भी नीलाम होने वाली है इसलिए मैं इसनापुर आ गया. यहां मैं मजदूरी करूंगा जिससे अपने परिवार का पेट पाल सकूं.

हैदराबाद: किसी भी किसान के लिए उसकी कृषि भूमि मात्र जमीन का एक टुकड़ा नहीं बल्कि उसका अभिमान होती है. लेकिन जब उसकी जमीन की नीलामी की नौबत आ जाए तो यह किसान के लिए असहनीय होता है. तेलंगाना के संगारेड्डी जिले के कनसानीपल्ली गांव में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां किसान द्वारा लोन न अदा किए जाने पर बैंक ने गांव की पंचायत के बाहर उसकी जमीन की नीलामी का बैनर लगवा दिया, जिससे आहत होकर किसान ने अपने परिवार के साथ गांव ही छोड़ दिया.

दरअसल कनसानीपल्ली गांव के रहने वाले शंकर रेड्डी के पास 3.31 एकड़ कृषि भूमि है. शंकर ने 2012-13 में जिला केंद्रीय सहकारी बैंक से खेती के लिए 60 हजार रुपये का कर्ज लिया था लेकिन अच्छी पैदावार न होने के कारण वह कर्ज का भुगतान नहीं कर पाया. दो साल पहले उसने बैंक के दबाव के चलते 40 हजार रुपये का भुगतान किया, जिसके बाद उसने सोचा कि सरकार उसका कर्ज माफ कर देगी जिसने एक लाख रुपये तक का कर्ज माफ करने की घोषणा की थी.

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इस साल बैंक द्वारा शंकर को बाकी बची राशि के साथ ब्याज (जो कुल मिला के 79,641 रुपये हो चुका था) चुकाने के कई बार समन जारी किया गया. जब वह पैसे चुकाने में असमर्थ रहा तब बैंक ने पंचायत कार्यालय के बाहर 23 जून को उसकी कृषि भूमि नीलामी का बैनर लगवा दिया. इस घटना को अपने सम्मान पर आघात समझते हुए शंकर ने परिवार के साथ गांव से इसनापुर चला गया. वहीं शंकर ने कहा कि इस नोटिस को देखने के बाद मुझे कोई उधार नहीं देगा लेकिन परिवार की देखभाल करने के लिए मुझे काम की जरूरत है. अब मेरी जमीन भी नीलाम होने वाली है इसलिए मैं इसनापुर आ गया. यहां मैं मजदूरी करूंगा जिससे अपने परिवार का पेट पाल सकूं.

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