हैदराबाद: तेलंगाना ने वर्ष 2014 के बाद से अग्रणी टीएस-आईपास प्रणाली की मदद से आईटी और आईटी-आधारित सेवा क्षेत्रों में 3.30 लाख करोड़ रुपये (40 अरब डॉलर) का भारी निवेश आकर्षित किया है. राज्य के आईटी एवं उद्योग मंत्री के.टी. रामाराव ने सोमवार को यह जानकारी दी.
राज्य में उद्योगों की स्थापना से संबंधित एकल खिड़की मंजूरी व्यवस्था लागू है. इसे 'तेलंगाना राज्य औद्योगिक परियोजना स्वीकृति एवं स्व-प्रमाणन प्रणाली' (टीएस-आईपास) के रूप में जाना जाता है. रामाराव ने कहा कि टीएस-आईपास प्रणाली की वजह से तेलंगाना ने 22.5 लाख से अधिक नौकरियां सृजित की हैं.
उन्होंने कहा कि अगर रियल एस्टेट, आतिथ्य, खनन, लॉजिस्टिक्स एवं अन्य क्षेत्रों को भी ध्यान में रखा जाए तो कुल निवेश राशि और रोजगार के आंकड़े बहुत अधिक होंगे. उन्होंने आईटी और उद्योग और वाणिज्य विभागों के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में मंत्री ने उन्हें सभी क्षेत्रों द्वारा आकर्षित निवेश पर एक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कुल 14 प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान की गई है और प्रत्येक क्षेत्र के लिए एक निदेशक नियुक्त किया गया है.
इससे पहले राव ने कहा था कि टीएस आईपास या तेलंगाना राज्य औद्योगिक नीति के तहत एक निवेशक को 15 दिनों के भीतर सभी मंजूरी दी जाती है. उन्होंने कहा कि अगर किसी निवेशक को तेलंगाना सरकार से कोई संदेश नहीं मिलता है तो उसका निवेश प्रस्ताव स्वीकृत माना जाता है और इस देरी के लिए संबंधित अधिकारी पर जुर्माना लगाया जाता है.
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राव ने कहा कि आईटी, फार्मा और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों ने पिछले आठ वर्षों में जबरदस्त विकास दिखाया है. तेलंगाना में काम कर रही कंपनियों की संख्या पर एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा, 'हम टीका विनिर्माण के मामले में दुनिया के सबसे बड़े केंद्र हैं. विश्व के 33 प्रतिशत टीके का उत्पादन तेलंगाना में ही होता है. हम भारत में 35 से 40 प्रतिशत दवा सबंधी उत्पादों का उत्पादन करते हैं.' उन्होंने कहा कि तेलंगाना सूचना और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी एक अहम केंद्र है और विश्व की सबसे बड़ी आईटी कंपनियां जैसे गूगल, एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक, अमेजन और क्वालकॉम सभी यहां मौजूद हैं.
(एक्सट्रा इनपुट भाषा)