हैदराबाद: एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और तेलंगाना इलेक्शन वॉच ने तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2023 में फिर से चुनाव लड़ रहे 103 विधायकों के स्व-शपथ पत्रों का विश्लेषण किया है. दोबारा चुनाव लड़ रहे 103 विधायकों में से 90 विधायकों (87%) की संपत्ति में वृद्धि हुई है.
इन विधायकों की संपत्ति 3 से बढ़कर 1331 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है. जबकि 13 विधायकों की संपत्ति 1 से 79 प्रतिशत तक घट गई है. 2018 में निर्दलीय सहित विभिन्न दलों से फिर से चुनाव लड़ रहे इन 103 विधायकों की औसत संपत्ति 14.44 करोड़ रुपये थी. 2023 में दोबारा चुनाव लड़ रहे इन 103 विधायकों की औसत संपत्ति 23.87 करोड़ रुपये है.
2018 और 2023 के तेलंगाना विधानसभा चुनावों के बीच, फिर से चुनाव लड़ रहे इन 103 विधायकों की औसत संपत्ति वृद्धि 9.43 करोड़ रुपये है. इस दौरान इन विधायकों की संपत्ति में औसतन 65 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. भोंगिर निर्वाचन क्षेत्र से बीआरएस के पैला शेखर रेड्डी की संपत्ति में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई. उनकी संपत्ति में अधिकतम 136.47 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है. 2018 में उनकी कुल संपत्ति 91.04 करोड़ रुपये थी. जो 2023 में 227.51 करोड़ रुपये हो गई.
देवरकादरा निर्वाचन क्षेत्र से बीआरएस के अल्ला वेंकटेश्वर रेड्डी की संपत्ति 59.02 करोड़ रुपये बढ़ गई है, जो 2018 में 20.15 करोड़ रुपये थी. 2023 में उनके पास कुल 79.17 करोड़ रुपये की संपत्ति है. इब्राहिमपटनम निर्वाचन क्षेत्र से बीआरएस के मनचिरेड्डी किशन रेड्डी की संपत्ति 52.59 करोड़ रुपये बढ़ गई है, जो 2018 में 7.99 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023 में 60.58 करोड़ रुपये हो गई है.
सीएम केसीआर की संपत्ति में 150 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2018 में यह 23.55 करोड़ रुपये थी जो 2023 में बढ़कर 58.93 करोड़ रुपये हो गई. जबकि उनके बेटे केटीआर की संपत्ति में 41.82 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ.
तेलंगाना चुनाव मैदान में 23% उम्मीदवारों ने आपराधिक मामले घोषित किए हैं: तेलंगाना में आगामी चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों में से 23% ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की नवीनतम रिपोर्ट में यह विश्लेषण सामने आया है. यह कुल 2,290 उम्मीदवारों में से 521 है जो मैदान में हैं. इससे पहले 2018 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में 1,777 उम्मीदवारों में से 21% (368 उम्मीदवारों) के खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए थे.
इस बार मैदान में कुल 2,290 उम्मीदवारों में से 15% (353) के खिलाफ 'गंभीर' आपराधिक मामले लंबित हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में कुल 1,777 उम्मीदवारों में से यह संख्या 13% (231) थी. 'गंभीर' आपराधिक मामलों की श्रेणी में वैसे अपराध आते हैं जहां किसी अपराध के लिए अधिकतम पांच साल या उससे अधिक की सजा हो सकती है. ये अपराध भी गैर-जमानती हैं. इस श्रेणी के अंतर्गत अपराधों में महिलाओं के खिलाफ अपराध, अपहरण, बलात्कार, हत्या सहित अन्य शामिल मामले शामिल हैं.
मैदान में प्रमुख दलों में, कांग्रेस से विश्लेषण किए गए 118 उम्मीदवारों में से 60 (51%), भाजपा से विश्लेषण किए गए 111 उम्मीदवारों में से 54 (49%), बीआरएस से विश्लेषण किए गए 119 उम्मीदवारों में से 34 (29%).
बसपा से विश्लेषण किए गए 107 उम्मीदवारों में से 28 (26%), सीपीआई (एम) से विश्लेषण किए गए 19 उम्मीदवारों में से छह (32%), ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक से विश्लेषण किए गए 41 उम्मीदवारों में से सात (17%), और तीन एआईएमआईएम से विश्लेषण किए गए नौ उम्मीदवारों में से (33%) ने अपने हलफनामों में अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं.