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पीएम मोदी के दौरे से पहले केदारनाथ में 'हंगामा', तीर्थ पुरोहित बोले- धाम को बनाया जा रहा राजनीति का अड्डा - devasthanam board

केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित पीएम मोदी के दौरे का विरोध करने की रणनीति बना रहे हैं. पीएम मोदी के केदारनाथ धाम पहुंचने पर तीर्थ पुरोहित देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग करेंगे. इसके साथ ही तीर्थ पुरोहित केदारनाथ धाम से पीएम मोदी का लाइव प्रसारण नहीं करने की मांग कर रहे हैं.

pm modi
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Published : Nov 2, 2021, 5:09 PM IST

रुद्रप्रयाग : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच नवंबर को केदारनाथ धाम पहुंच रहे हैं. पीएम के आगमन को लेकर देवस्थानम बोर्ड और शासन-प्रशासन तैयारियों में जुटा हुआ है. वहीं, तीर्थ पुरोहित और पंडा समाज आंदोलन की रूपरेखा तय कर रहा है. तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि केदारनाथ धाम को राजनीति का अड्डा बनाया जा रहा है, जबकि तीर्थ पुरोहितों की देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को नहीं सुना जा रहा है. ऐसे में तीर्थ पुरोहित पीएम मोदी के दौरे का विरोध करने की तैयारी कर रहे हैं.

बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ धाम पहुंचकर सबसे पहले बाबा केदार के दर्शन करेंगे. इसके बाद वे आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि स्थल का अनावरण भी करेंगे. बताया जा रहा है कि केदारनाथ धाम में बनी पौराणिक गुफाओं का पीएम मोदी निरीक्षण भी करेंगे. इसके साथ ही देश के लोगों को संबोधित भी करेंगे.

तीर्थ पुरोहित बोले- धाम को बनाया जा रहा राजनीति का अड्डा

अगले साल 2022 में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. माना जा रहा है कि ऐसे में पीएम मोदी केदारनाथ धाम में विधानसभा चुनाव 2022 का शंखनाद करेंगे और प्रदेश की जनता से बीजेपी के पक्ष में आने की अपील करेंगे. उधर, देवस्थानम बोर्ड, शासन-प्रशासन और बीजेपी संगठन पीएम मोदी के आगमन की तैयारियों में जुटा है. वहीं, तीर्थ पुरोहित और पंडा समाज स्वागत के साथ ही विरोध की तैयारी भी कर रहा है.

तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी और सुमंत तिवाड़ी ने कहा कि तीर्थ पुरोहित चाहते हैं कि पीएम मोदी यहां आकर देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की घोषणा करें. अगर ऐसा नहीं किया गया, तो तीर्थ पुरोहित उनका विरोध करने से भी पीछे नहीं हटेंगे. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी केदारनाथ धाम पहुंचें, लेकिन लाइव प्रसारण ना दिखाएं और केदारनाथ धाम को राजनीतिक मंच ना बनाएं.

सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप

तीर्थ पुरोहित लंबे समय से देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांग कर रहे हैं. तीर्थ-पुरोहितों का कहना है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 30 अक्टूबर तक का समय मांगा था. उनको दिया गया समय खत्म हो गया है. ऐसे में तीर्थ पुरोहितों ने एक बार फिर से आंदोलन शुरू कर दिया है. इसी वजह से तीर्थ पुरोहितों ने बीते रोज पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और स्वास्थ्य मंत्री का केदारनाथ धाम पहुंचने पर जोरदार विरोध किया था.

केदारनाथ धाम में राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का माहौल

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता सूरज नेगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ धाम के प्रस्तावित दौरे को राज्य की भाजपा सरकार राजनैतिक प्रतिस्पर्धा का आयोजन करने जैसा माहौल बना रही है. सूरज नेगी ने आरोप लगाया है कि राज्य की भाजपा सरकार जनता के आक्रोश से बचने के लिए इस प्रकार के कदम उठा रही है.

उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार उत्तराखंड की जनता से अपने घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा करने में नाकाम साबित हुई है. साथ ही बेरोजगारी, महंगाई और पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हो रही है. इसीलिए बीजेपी जनता के बीच जाने से बच रही है. उन्होंने कहा कि बीजेपी उत्तराखंड में सत्ता पर काबिज होने के सपने देखना छोड़ दे. क्योंकि उत्तराखंड की जनता बीजेपी की जन विरोधी नीतियों से तंग आ चुकी है.

राज्य की जनता ने साल 2017 में बीजेपी को प्रधानमंत्री मोदी के कहने पर ही प्रचंड बहुमत दिया था. लेकिन बीजेपी ने सरकार बनने से लेकर आज तक विकास कार्यों में हीला हवाली की है. जनता की कोई सुनवाई नहीं हुई. राज्य में अफसर बेलगाम हैं. बेरोजगारी चरम पर है. चारधाम परियोजना में भी जमकर भ्रष्टाचार हुआ और लोगों को मुआवजे के लिए भी भटकना पड़ा. उन्होंने कहा कि जनता बीजेपी से मुक्ति चाहती है और किसी भी हालत में उत्तराखंड की सत्ता से बाहर करना चाहती है.

पढ़ेंः केदारनाथ में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र की 'No Entry'- पुरोहितों का जबरदस्त विरोध, Go Back के लगाए नारे

रुद्रप्रयाग : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच नवंबर को केदारनाथ धाम पहुंच रहे हैं. पीएम के आगमन को लेकर देवस्थानम बोर्ड और शासन-प्रशासन तैयारियों में जुटा हुआ है. वहीं, तीर्थ पुरोहित और पंडा समाज आंदोलन की रूपरेखा तय कर रहा है. तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि केदारनाथ धाम को राजनीति का अड्डा बनाया जा रहा है, जबकि तीर्थ पुरोहितों की देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को नहीं सुना जा रहा है. ऐसे में तीर्थ पुरोहित पीएम मोदी के दौरे का विरोध करने की तैयारी कर रहे हैं.

बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ धाम पहुंचकर सबसे पहले बाबा केदार के दर्शन करेंगे. इसके बाद वे आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि स्थल का अनावरण भी करेंगे. बताया जा रहा है कि केदारनाथ धाम में बनी पौराणिक गुफाओं का पीएम मोदी निरीक्षण भी करेंगे. इसके साथ ही देश के लोगों को संबोधित भी करेंगे.

तीर्थ पुरोहित बोले- धाम को बनाया जा रहा राजनीति का अड्डा

अगले साल 2022 में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. माना जा रहा है कि ऐसे में पीएम मोदी केदारनाथ धाम में विधानसभा चुनाव 2022 का शंखनाद करेंगे और प्रदेश की जनता से बीजेपी के पक्ष में आने की अपील करेंगे. उधर, देवस्थानम बोर्ड, शासन-प्रशासन और बीजेपी संगठन पीएम मोदी के आगमन की तैयारियों में जुटा है. वहीं, तीर्थ पुरोहित और पंडा समाज स्वागत के साथ ही विरोध की तैयारी भी कर रहा है.

तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी और सुमंत तिवाड़ी ने कहा कि तीर्थ पुरोहित चाहते हैं कि पीएम मोदी यहां आकर देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की घोषणा करें. अगर ऐसा नहीं किया गया, तो तीर्थ पुरोहित उनका विरोध करने से भी पीछे नहीं हटेंगे. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी केदारनाथ धाम पहुंचें, लेकिन लाइव प्रसारण ना दिखाएं और केदारनाथ धाम को राजनीतिक मंच ना बनाएं.

सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप

तीर्थ पुरोहित लंबे समय से देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांग कर रहे हैं. तीर्थ-पुरोहितों का कहना है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 30 अक्टूबर तक का समय मांगा था. उनको दिया गया समय खत्म हो गया है. ऐसे में तीर्थ पुरोहितों ने एक बार फिर से आंदोलन शुरू कर दिया है. इसी वजह से तीर्थ पुरोहितों ने बीते रोज पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और स्वास्थ्य मंत्री का केदारनाथ धाम पहुंचने पर जोरदार विरोध किया था.

केदारनाथ धाम में राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का माहौल

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता सूरज नेगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ धाम के प्रस्तावित दौरे को राज्य की भाजपा सरकार राजनैतिक प्रतिस्पर्धा का आयोजन करने जैसा माहौल बना रही है. सूरज नेगी ने आरोप लगाया है कि राज्य की भाजपा सरकार जनता के आक्रोश से बचने के लिए इस प्रकार के कदम उठा रही है.

उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार उत्तराखंड की जनता से अपने घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा करने में नाकाम साबित हुई है. साथ ही बेरोजगारी, महंगाई और पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हो रही है. इसीलिए बीजेपी जनता के बीच जाने से बच रही है. उन्होंने कहा कि बीजेपी उत्तराखंड में सत्ता पर काबिज होने के सपने देखना छोड़ दे. क्योंकि उत्तराखंड की जनता बीजेपी की जन विरोधी नीतियों से तंग आ चुकी है.

राज्य की जनता ने साल 2017 में बीजेपी को प्रधानमंत्री मोदी के कहने पर ही प्रचंड बहुमत दिया था. लेकिन बीजेपी ने सरकार बनने से लेकर आज तक विकास कार्यों में हीला हवाली की है. जनता की कोई सुनवाई नहीं हुई. राज्य में अफसर बेलगाम हैं. बेरोजगारी चरम पर है. चारधाम परियोजना में भी जमकर भ्रष्टाचार हुआ और लोगों को मुआवजे के लिए भी भटकना पड़ा. उन्होंने कहा कि जनता बीजेपी से मुक्ति चाहती है और किसी भी हालत में उत्तराखंड की सत्ता से बाहर करना चाहती है.

पढ़ेंः केदारनाथ में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र की 'No Entry'- पुरोहितों का जबरदस्त विरोध, Go Back के लगाए नारे

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