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उत्तर कन्नड़ में एसएसएलसी के छात्रों से संपर्क नहीं कर पा रहे शिक्षक - एसएसएलसी

शिक्षकों को पुलिस की तरह जासूस के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया गया है. जिन छात्रों ने इस शैक्षणिक वर्ष में एसएसएलसी परीक्षा लिखने के लिए पंजीकरण कराया है, उनका अभी तक स्कूलों और शिक्षकों द्वारा संपर्क नहीं किया गया है. ऐसे में अब ऐसे छात्रों को खोजने की जिम्मेदारी शिक्षकों के कंधों पर है.

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Published : Jun 26, 2021, 5:58 PM IST

कारवार (उत्तर कन्नड़) : हाईस्कूल परीक्षा बोर्ड ने राज्य में एसएसएलसी परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया है. कोविड महामारी के कारण छात्र महीनों से अपने स्कूलों से दूर हैं. ऐसी कठिनाई में परीक्षा में लिखना भी छात्रों के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य है. हालांकि, उत्तर कन्नड़ जिले के कारवार और सिरसी जिलों में कुछ छात्र-शिक्षकों के बीच विभिन्न कारणों से संपर्क टूट गया है.

पहाड़ी क्षेत्र वाले उत्तर कन्नड़ जिले में नेटवर्क की समस्या और बस सेवा की समस्या के कारण शिक्षक कई छात्रों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं. गांवों से बच्चों को ढूंढना उनके लिए एक बड़ी चुनौती है. संबंधित स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि वे छात्रों को मॉडल प्रश्न पत्र देकर उसका अध्ययन कराएं. पिछले हफ्ते एक शिक्षक बैठक में अधिकारियों ने शिक्षकों को छात्रों का पता लगाने और उनसे संपर्क करने का सुझाव दिया है.

कुछ दिन पहले संबंधित विद्यालय के अधिकारियों ने हाईस्कूल के प्रधानाध्यापकों की बैठक की थी. उस समय, कारवार जिले में 83 छात्र और सिरसी जिले के 2 हजार छात्र अभी तक स्कूलों या शिक्षकों से संपर्क नहीं कर पाए थे. यह अधिकारियों के लिए भी सिरदर्द बन गया है. हाई स्कूल के शिक्षकों को छात्रों को खोजने और लाने की जिम्मेदारी दी गई है. अध्यापकों की जिम्मेदारी है कि वे किसी तरह अपने स्कूल के सभी बच्चों से संपर्क करें और उन्हें पढ़ाएं. वे बाइक के जरिए छात्रों के घरों की तलाश कर रहे हैं.

शहरी बच्चे पहले से ही व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से शिक्षकों के संपर्क में हैं और ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं. शिक्षक रोज सुबह शहरी छात्रों को बुलाकर उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में जहां मोबाइल नेटवर्क नहीं है, वहां के छात्र कनेक्ट नहीं हो पा रहे हैं. उनका पता प्राप्त करना और उन्हें ढूंढना एक मुश्किल कार्य है. सिर्फ नेटवर्क ही एकमात्र समस्या नहीं है.

यह भी पढ़ें-क्या फाइजर-मॉडर्ना के टीके आनुवांशिक कोड को प्रभावित कर सकते हैं? जानें सब कुछ

कई परिवार ऐसे हैं जो उत्तरी कर्नाटक के जिलों के बाहर से आए हैं, वे कोविड लॉकडाउन और वित्तीय कठिनाई के कारण अपने गृहनगर गए हैं. ऐसे कई माता-पिता के पास मोबाइल तक नहीं है. शिक्षकों को पता चला है कि कुछ बच्चे कुली का काम करने लगे हैं. कोविड महामारी के कारण, छात्र जहां संपर्क करने में असमर्थ थे वहीं शिक्षकों को उनकी तलाश में भटकना पड़ रहा है.

कारवार (उत्तर कन्नड़) : हाईस्कूल परीक्षा बोर्ड ने राज्य में एसएसएलसी परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया है. कोविड महामारी के कारण छात्र महीनों से अपने स्कूलों से दूर हैं. ऐसी कठिनाई में परीक्षा में लिखना भी छात्रों के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य है. हालांकि, उत्तर कन्नड़ जिले के कारवार और सिरसी जिलों में कुछ छात्र-शिक्षकों के बीच विभिन्न कारणों से संपर्क टूट गया है.

पहाड़ी क्षेत्र वाले उत्तर कन्नड़ जिले में नेटवर्क की समस्या और बस सेवा की समस्या के कारण शिक्षक कई छात्रों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं. गांवों से बच्चों को ढूंढना उनके लिए एक बड़ी चुनौती है. संबंधित स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि वे छात्रों को मॉडल प्रश्न पत्र देकर उसका अध्ययन कराएं. पिछले हफ्ते एक शिक्षक बैठक में अधिकारियों ने शिक्षकों को छात्रों का पता लगाने और उनसे संपर्क करने का सुझाव दिया है.

कुछ दिन पहले संबंधित विद्यालय के अधिकारियों ने हाईस्कूल के प्रधानाध्यापकों की बैठक की थी. उस समय, कारवार जिले में 83 छात्र और सिरसी जिले के 2 हजार छात्र अभी तक स्कूलों या शिक्षकों से संपर्क नहीं कर पाए थे. यह अधिकारियों के लिए भी सिरदर्द बन गया है. हाई स्कूल के शिक्षकों को छात्रों को खोजने और लाने की जिम्मेदारी दी गई है. अध्यापकों की जिम्मेदारी है कि वे किसी तरह अपने स्कूल के सभी बच्चों से संपर्क करें और उन्हें पढ़ाएं. वे बाइक के जरिए छात्रों के घरों की तलाश कर रहे हैं.

शहरी बच्चे पहले से ही व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से शिक्षकों के संपर्क में हैं और ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं. शिक्षक रोज सुबह शहरी छात्रों को बुलाकर उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में जहां मोबाइल नेटवर्क नहीं है, वहां के छात्र कनेक्ट नहीं हो पा रहे हैं. उनका पता प्राप्त करना और उन्हें ढूंढना एक मुश्किल कार्य है. सिर्फ नेटवर्क ही एकमात्र समस्या नहीं है.

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कई परिवार ऐसे हैं जो उत्तरी कर्नाटक के जिलों के बाहर से आए हैं, वे कोविड लॉकडाउन और वित्तीय कठिनाई के कारण अपने गृहनगर गए हैं. ऐसे कई माता-पिता के पास मोबाइल तक नहीं है. शिक्षकों को पता चला है कि कुछ बच्चे कुली का काम करने लगे हैं. कोविड महामारी के कारण, छात्र जहां संपर्क करने में असमर्थ थे वहीं शिक्षकों को उनकी तलाश में भटकना पड़ रहा है.

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